45 साल बाद शहादत, कर्नल समेत 20 जवान शहीद, चीन के भी 43 सैनिक हताहत

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चंडीगढ़/लद्दाख :- 16 जून:- अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क:-भारत-चीन सीमा विवाद अब बड़े तनाव में तब्दील होता जा रहा है। सोमवार रात लद्दाख की गालवन वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। जिसमें भारत के एक कर्नल सहित २० जवान शहीद व चीन के ४३ सैनिक हताहत हो गए। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, अभी संख्या में इजाफा हो सकता है। इनमें एक शहीद कर्नल संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे। उनके साथ झारखंड के कुंदन ओझा और हवलदार पलानी भी शहीद हुए हैं। कर्नल संतोष पिछले 18 महीने से लद्दाख में भारतीय सीमा की सुरक्षा में तैनात थे। उधर, पीएम मोदी ने मामले को लेकर बैठक की है।

बता दें कि 45 साल यानी 1975 के बाद भारत-चीन सीमा पर ऐसे हालात बने हैं, जब भारत के जवानों की शहादत हुई है। इस बार कोई गोली नहीं चली। दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में पत्थर और लाठी से झड़प हुई।

13 से 30 भारतीय हैं लापता

सूत्रों ने बताया कि गालवन वैली में झड़प के बाद 13 से 30 भारतीय मौके से लापता हैं। इनमें से ज्यादातर रोड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स हैं। सेना या सरकार की तरफ से इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया है।

चीन ने उल्टा भारत पर बॉर्डर क्रॉस करने का लगाया आरोप

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत एकतरफा कार्रवाई न करे, नहीं तो मुश्किलें बढ़ेंगी। वहीं, चीन के अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच रजामंदी बनी थी, लेकिन भारतीय जवानों ने इसे तोड़ दिया और बॉर्डर क्रॉस किया।

इस झड़प को हल्के में न लें: पूर्व डीजीएमओ

पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया बताते हैं कि दोनों ओर के सैनिकों के बीच ये हिंसक झड़प और उसमें एक कर्नल और दो जवानों की शहादत बेहद चिंता की बात है। दोनों ही पक्षों को आपस में मिल-बैठकर हालात को तुरंत काबू में लाना होगा। यह हिंसक झड़प बताती है कि हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। इसे हल्के में न लिया जाए।

1967 में भी हुआ था हिंसक टकराव

1962 की जंग के बाद 11 सितंबर 1967 को सिक्किम के नाथू-ला में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी। उसके बाद 15 सितंबर 1967 को भी झड़प हुई। विवाद अक्टूबर 1967 में जाकर थमा था। चीन ने तब दावा किया था कि भारत के 65 सैनिक शहीद हुए थे। वहीं, चो ला झड़प में भारत के 36 जवान शहीद हुए थे। अनुमान है कि पूरे टकराव के दौरान 400 चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी।

रक्षा मंत्री ने की हाईलेवल बैठक

इस घटना के बाद दोनों देशों के सेना के उच्च अधिकारी मौके पर बातचीत करके स्थिति को संभालने में जुटे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक बुलाई थी। उसके बाद फिर से उन्होंने एक दिन में दूसरी उच्चस्तरीय बैठक सेना प्रमुख और विदेश मंत्री एस.जयशंकर के साथ की। इस दौरान भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बीच आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने पठानकोट स्थिति मिलिट्री स्टेशन का अपना दौरा रद्द कर दिया है।

दोनों पक्षों के सैनिक हताहत

सेना ने बयान में कहा है कि लद्दाख के गालवान घाटी में चीन के साथ हिंसक टकराव में दोनों पक्षों को सैनिक हताहत हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, चीन के भी तीन सैनिकों के मारे जाने की भी खबर है। साभार अर्थ प्रकाश ।।।।

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