सम्भल जाओ वरना प्रकृति सम्भलने संवरने नहीं देगी ; रेखा दीपक

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सम्भल जाओ वरना प्रकृति सम्भलने संवरने नहीं देगी ; रेखा दीपक 
दिल्ली /चंडीगढ़ ; 12 अप्रैल ; सुमन वैदवान/अल्फ़ा न्यूज इंडिया  ;—–कुदरत का जब अपना कड़ा रुख अपनाती है तो कहर मौत का तांडव बन कर नाचता है ! कुदरत की संरक्षण और समूची देखभाल ही हमारी अपनी जैविकता का संरक्षण है; ये 
विचार दिल्ली स्कूल की टीचर रेखा ने न सिर्फ अपने स्कूल के बच्चों से बल्कि समूची दुनिया के लिए व्यक्त किये ! रेखा के मानना है कि आज जो विषम और विकट परिस्थितियां मानव समाज भुक्त रहा है इससे भी विकराल परिस्थितयों से हम सब को दो चार होना ही पड़ेगा और हंसती खेलती सभ्यता देखते ही देखते खाक हो जाएगी ! रेखा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम जितने शिक्षित हुए हैं उससे भी कहीं ज्यादा हम बेपरवाह हुए हैं और निराशाजनक तथ्य तो ये हैं कि  हम बेपरवाह भी कुदरत के बेहिसाब अमूल्य खजाने के प्रति अपनी स्वार्थपूर्ति और धनलोलुपता के कारण हुए और हो रहे हैं ! हमारी भावी पीढ़ी स्वच्छ वायु जल और ताप का सुख भोगे तो हमको अभी सम्भलना होगा ! हर व्यक्ति नहीं तो कम से कम एक परिवार तो एक पेड़ का पौधा लगाए ! तभी भविष्यगत पीढ़ियां ठंडी छाया में बैठ पाएंगी और मीठे जीवनदायी फल आदि का भक्षण कर सकेंगे ! रेखा बचपन से ही कुदरत के सुनहरे स्वरूपों से छटाओं से और घर स्कूल आदि के आसपास बिखरी हरियाली और पसरी लताओं से खूब स्नेह रखते हुए उनके फलने फूलने का क्रम निहारती थी ! अपने आसपास के वातावरण में भी रेखा हरियाली और पेड़ पौधों को दिल से तरजीह देती है ! रेखा चाहती है कि इसकी शुरुआत अपने घर के सदस्यों बच्चों से की जाये ! तभी तो रेखा अपने पति दीपक और दोनों बेटियों को प्रकृति का चितेरा बनने का मार्ग प्रशस्त करती है ! दीपक और बेटियों घर में हरियाली का बखान और विस्तार देखकर रेखा को शाबाशी और अनुसरण करने का संकल्प लेना नहीं भूले ! स्कूल में भी रेखा के हरियाली के प्रति सोच को लेकर स्कूल प्रबंधन और स्टाफ स्टूडेंट्स सब प्रशंसा करते नहीं अघाते हैं ! 
     टीचर रेखा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अगले दस वर्षों एम् धरती का तापमान आजसे चार डिग्री अधिक हो जायेगा ! हिमालय के हिमखंड [ग्लेशियर] पिघलेंगे तो खुदा ही खैर करे ! भविष्य में भौतिक संसार को  इसकी कीमत चुकानी ही होगी !  सो, प्लास्टिक प्रयोग करनी, जलानी तत्काल प्रभाव से बंद करें और अधिक से अधिक जल संरक्षण करें और हरियाली की वृद्धि हेतु हर इंसान अपने हिस्से का फर्ज अदा करे और एक पौधा अपने जीवन में जरूर लगाए !तभी हम सब भावी पीढ़ियों के प्रति सच्चे और सार्थक जवाबदेह और जिम्मेवार साबित कर पाएंगे !   

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