शनैश्चरी अमावस्या  शनि देव को अत्यंत प्रिय,पूजन दान व व्रत से करें शनि देव को प्रसन्न:पंडित कृष्ण मेहता

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चंडीगढ़ 04 दिसंबर आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा+ अनिल शारदा प्रस्तुति:—सनातन धर्म मे महीने के तीस दिनो मे निम्नलिखित तीन दिनो का विशेष महत्व है, ये तीन दिन है अमावस्या, पूर्णिमा तथा सक्रांति, यह तीनों दिन सूर्य तथा चंद्रमा की चाल (गति) से संबंधित है, जिससे समस्त सौर-मंडल ( सम्पूर्ण पृथ्वी तथा समस्त प्राणी जगत ) प्रभावित होता है, सूर्य तथा चंद्रमा के एक ही राशि मे युति होने से अमावस्या होतीं हैं, और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़ जायें तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है ।

 

शनि ग्रह, शनिवार के अधिपति देवता है, यह नैसर्गिक रूप से क्रूर ग्रह है। सूर्य तथा चंद्रमा नैसर्गिक रूप से शनिदेव के शत्रु है, और अमावस्या, पूर्णिमा तथा सक्रांति के दिन अपने संक्रमण काल से निकल रहे होते हैं, जिससे इन दिनों मे ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट प्रकार की तरंगों का निष्कासन होता है, जिससे विशिष्ट प्रकार के कार्यों का निष्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है, जैसे पितरो की सदगति, पितृदोष निवारण, पिंड़दान, तर्पण, कालसर्प योग निवारण अनुष्ठान, पापो का क्षय करके पुण्य प्राप्ति हेतु स्नान-दान, जप-अनुष्ठान, सिद्धि प्राप्ति करने हेतू, तथा मारण, मोह, अभिचारक कर्म करने के लिए यह सर्वोत्तम दिन तथा समय होता है, और अमावस्या यदि  शनिवार के दिन पड़ जायें तो इसका महत्व तथा प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है ।

 

शनि देव की कृपा का पात्र बनने के लिए, इनकी प्रसन्नता पाने हेतु भी शनिश्चरी अमावस्या को सभी जनो को विधिवत पूजा तथा आराधना करनी चाहिए। भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव को अत्यधिक प्रिय होती है ।

 

इस दिन शनि का पूजन और तेलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है ।

 

शास्त्रो मे शनिवार से युक्त अमावस्या का विशेष माहात्म्य ( महत्व ) क्हा गया है, अत्यंत पवित्र दिन होने की वजह से इस दिन विभिन्न पुण्य कर्म करके अपने मनोरथो को पूर्ण कर सकते है ।

 

शनिवासरी अमावस्या पर शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिदेव के निमित्त किए जाने वाले कार्य :-

 

*शनि अमावस्या पूजा :-*

 

शनि अमावस्या के अवसर पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ तथा व्रत किया जाता है।

 

1. शनिदेव के निमित्त पूजा करने हेतु भक्त को चाहिए कि वह शनि अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठकर सर्वप्रथम तन पर सरसों का तेल लगायें।

 

2. तत्पश्चात पंचदेव तथा नवग्रह का पूजन किया जाता है।

 

3. शनि पूजा या दर्शन से पहले हनुमान जी के पूजन दर्शन भी जरूर करने चाहिये।

 

4.  शनिदेव की लोहे की मूर्ति या काले संगमरमर की मूर्ति स्थापित करें या मंदिर जाकर वहां स्थापित मूर्ति का सरसों के तेल से अभिषेक करे तथा षोड्शोपचार पूजन करें, यदि व्रत रखना हो तो व्रत का संकल्प करे।

 

5. तत्पश्चात शनिदेव के मंत्र का जाप तथा स्तोत्र इत्यादि का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए।

 

*शनिजयंती के कृत्य तथा अकृत्य कर्म:-*

 

1. शनि जयंती या शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।

 

2. इस दिन यात्रा को भी स्थगित कर देना चाहिये।

 

3. किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बने खाद्य पदार्थों का सेवन करवाना चाहिये।

 

4. गाय और कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिये।

 

5. बुजूर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिये।

 

6. शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करते तथा देखते समय उनकी आंखो में नहीं देखना चाहिए।

 

7. शनिदेव पूजा अथवा व्रत पूर्ण होने के बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

 

8. शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल ,उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए।

 

9. शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुएं जैसे  काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त डकौत (शनिचरी) को, या हरिजन को दान करे।

 

10. सेक हुए या तले हुए उडद की दाल के पापड़ बाटें।

 

11. छाया पात्र (सरसों के तेल) का विधिपूर्वक दान करे।

 

विधि :- लोहे के कटोरे मे तांबे का एक सिक्का डालकर, उसमे सरसो का तेल डालकर अपना चेहरा देखकर उसे एक कांच के बरतन मे डालकर, फिर उसे डकौत ( शनिचरी ) के बरतन मे डाले अर्थात दान करे।

 

चेतावनी :- डकौत के बरतन मे मौजूद तेल मे कभी अपना चेहरा न देखे ।

 

शनिदेव को तेल चढाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए शनिदेव को तेल अर्पित करे ।

 

*भो शनिदेव: सरसो तेल वासित स्निग्धता ।*

 

*हेतु तुभ्यं  प्रतिगृहयन्ताम ॥*

 

षोड्शोपचार पूजन करें साथ ही शनिदेव के किसी भी महामंत्र का उच्चारण करे, मंत्र :-

 

*परम पावन शनि वेदमंत्र :-*

 

*शंनो देवीरभीष्टय आपो भवन्तु पीतये*

 

*शं योरभिस्त्रवन्तु  नः ॐ शं शनैश्चराय नमः ॥*

 

शनि के ढैय्या, साढेसाती दशा-महादशा मे अशुभ फल से बचने के लिए राजा दशरथ कृत शनिस्त्रोत :-

 

*नमस्ते कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते ।*

 

*नमस्ते बुभ्रूणाय कृष्णाय च नमोऽस्तुते ॥*

 

*नमस्ते रौद्रदेहाय, नमस्ते चांतकाय च ।*

 

*नमस्ते यमसंज्ञाय, नमस्ते सौरये विभो ॥*

 

*नमस्ते मन्दसंज्ञाय, शनैश्चरः नमोऽस्तुते ।*

 

*प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च ॥*

 

*कोणस्थः पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्र न्तको यमः ।*

 

*सौरीः शनैश्वरो मदः पिप्पलदेन संस्तुत: ॥*

 

*एतानि दश नामानी प्रातरूत्था यः पठेत ।*

 

*शनैश्वर कृता पीडा न कदाचिद्  भविष्यति ॥*

 

पितृदोष अथार्त् स्वयं अथवा पूर्वजों द्वारा जाने अथवा अनजाने मे किये गये शनिदेव के अधिपत्य मे आने वाले अपराध या गलतियों के लिए शनिदेव से माफी मांगने के दो मंत्र :-

 

1. *अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहनिशं मया ।*

 

*दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरः ॥

 

2. *गतं पापं गतं दुःख गतं दारिद्रय मेव च ।*

 

*आगताः सुख-संपत्ति तव दर्शनात् ॥*

 

मंत्र की पूर्ण संख्या सवालाख, या 23000 रखे, एक बार मे एक या तीन माला का जाप अवश्य करे ।

 

शनिदेव की कृपा पाने हेतु शनि एकाक्षरी मंत्र :-

 

*॥ ॐ शं शनैश्चराय नमः ॥*

 

शनिकृपा पाने हेतु अन्य सरल परंतु शक्तिशाली मंत्र :-

 

1.  *॥ ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥*

 

2.  *॥ ॐ मंदाय नमः ॥*

 

3.  *॥ ॐ सूर्यपुत्राय  नमः ॥*

 

4.  *॥ ॐ शनिश्चराय नम:।।*

 

शनिकृपा पाने हेतु प्रभावशाली मंत्र :-

 

*सूर्यपुत्रो दीर्घदेही विशालाक्षः शिवप्रियः ।*

 

*मंदाचाराः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः ॥*

 

 

उपद्रवो को समाप्त करके शांति पाने हेतु शनिमंत्र :-

 

 

*॥ ॐ श्री शनिदेवायः शांति भवः ॥*

 

 

मंत्रो को सवा लाख, 23 हजार या अपने सार्मथ्यनुसार जाप करे। मंत्रजाप पूरा होने के बाद जाप संख्या का दसवां भाग का हवन अवश्य करे।

 

शास्त्रो मे शनिवार से युक्त अमावस्या का विशेष माहात्म्य ( महत्व ) क्हा गया है, अत्यंत पवित्र दिन होने की वजह से इस एक दिन विभिन्न पुण्य कर्म करके अपने मनोरथो को पूर्ण कर सकते है ।

 

शनिवासरी अमावस्या पर किए जाने वाले कार्य :-

 

1. गंगा स्नान या पवित्र नदी स्नान ।

 

2. व्रत तथा भगवान शिव का पूजन ।

 

3. पीपल पूजन , तुलसी पूजन

 

4. पितृ तर्पण या पिंडदान ।

 

5. ब्राह्मण भोजन ।

 

6. दान तथा पुण्य कार्य ।

 

1. गंगा स्नान या पवित्र नदी-सरोवर स्नान – इस दिन  प्रातःकाल गंगा स्नान या अन्य किसी भी पवित्र नदी अथवा सरोवर मे निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए स्नान करे, यदि तीर्थ स्नान न कर सके तो घर मे ही नहाने के पानी मे कोई भी पवित्र जल डालकर स्नान करे । स्नान करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करे, और विभिन्न पवित्र नदियों का ध्यान करे ।

 

 

 

1.गंगे  च यमुने चैव गोदावरी  सरस्वती ।

 

नर्मदे सिंधु  कावेरि जलेंऽसिमन्  सनि्नधिं कुरु ॥

 

 

2. अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्षदायिका ॥

 

 

स्नान करने के बाद निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल दे ।

 

सूर्य अध्य मंत्र :-

 

1. एहि सूर्य ! सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते ।

 

अनुकम्पय मां भक्तया गृहाणाध्य ॥

 

2. गायत्री मंत्र से भी अर्ध्य दे सकतें है ।

 

जल अपर्ण के बाद पात्र मे बचे जल को माथे व आंखों से लगाये , तथा कुछ चरणामृत के रूप मे निम्न मंत्र बोलकर ग्रहण करे :-

 

*अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् ।*

 

*सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ॥*

 

*2. व्रत तथा पूजन:-* यह दिन भगवान शिव को समर्पित है इस दिन व्रत करके भगवान शिव ( सोमेश्वर महादेव ) की पूजार्चन करने से करोड़ों यज्ञो का फल प्राप्त होता है । भगवान शिव की पूजा तथा जलाभिषेक के बाद आप व्रत या मौन व्रत का संकल्प भी ले सकते है ।

 

शिवपूजन के बाद चंद्र पूजन, तथा श्री विष्णु पूजन करे

 

 

*3. पीपल तथा तुलसी पूजन:-* पीपल के वृक्ष मे ब्रह्मा- विष्णु- महेश तीनो का वास है, इस दिन पीपल पूजन का अंनत पुण्य प्रभाव है । दुध मिश्रित गंगाजल, फल-फूल, चावल, कालेतिल, धूप-दीप, मिठाई तथा तिल के तेल की ज्योत जलाकर पीपल पूजा करे ।

 

 

*तुलसी पूजन:-* पीपल पूजन के बाद तुलसा जी को जल चढाकर धूप-दीप करके, पान, धान तथा साबुत हल्दी अर्पित करे तथा परिक्रमा करे । निम्नलिखित मंत्र से तुलसी जी की स्तुति करे ।

 

 

*तुलसी श्रीसखि शिवे पापहारिणि पुण्यदे ।*

 

*नमस्ते नारदनुते नमो नारायण प्रिये ॥*

 

 

अर्थ :-  क्षी लक्ष्मी की बहन , कल्याणकारी , पाप को दूर करने वाली, पुण्यदा, जिनकी स्तुति नारदजी भी करते है व जो श्री विष्णु जी को अंत्यंत प्रिय है,एेसी तुलसी माता को मैं नमस्कार करता हूँ  ।

 

 

( तुलसी गायत्री  मंत्र )

 

*ॐ क्षी तुलस्यै विदमहे, विण्णु प्रियायै धीमहि ।*

 

*तन्नो  वृन्दा प्रचोदयात् ॥*

 

 

*4. श्राद्ध या पिंडदान:-* अब श्रद्धापूर्वक पूर्वजों का पिंडदान करे, आज के दिन ऐसा करने से पूर्वजों का उद्धार तथा उन्हे मुक्ति प्राप्त होती है, जिससे घर मे धन-धान्य, सुख-सम्पदा, पुत्र-पौत्र तथा कारोबार बना रहता है, तथा घर मे मांगलिक कार्य सम्पन्न होते है।

 

5. ब्राह्मण भोज:- पिंडदान के उपरांत ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक भोजन करवाकर अपनी सामर्थ्यनुसार वस्त्र, फल, छाता, जूता, तथा दक्षिणा देकर संतुष्ट कर विदा करे, आज के दिन पिंडदान तथा ब्राह्मण भोजन से पितृरी दोष का भी शमन होता है ।

 

. _शनि संबंधी कुछ उपाय करके आप शनि दोष से छुटकारा पा सकते हैं।

 

*_शनैश्चरी अमावस्या के दिन भगवान शनि की पूजा करने से मिलेगा विशेष फल_*

 

*_हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस बार अमावस्या और भी ज्यादा खास हैं। क्योंकि इस दिन शनिवार पड़ने के साथ-साथ साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। इस बार शनिवार को पड़ने के कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान शनि के साथ मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से आपको हर समस्या से छुटकारा मिलेगा।_*

 

*_शनैश्चरी अमावस्या का दिन शनि से संबधित परेशानियों जैसे शनि की साढे-साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिये बहुत ही अच्छा है, साथ ही सुख-समृद्धि पा सकते हैं। जानिए आज के दिन कौन से उपाय करना होगा शुभ।_*

 

*_कुंडली में शनि दोष, साढ़े साती या फिर शनि ढैय्या है तो इस दिन एक स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर आप इसे पीपल के जड़ के नीचे रखकर अपनी चेहरा उसमें देखें और उसे पेड़ की जड़ के नीचे दबा दे। इससे आपका शनि ठीक हो जाएगा और आपको विशेष लाभ भी मिलेगा।_*

 

*_शनि दोष के कारण आपके कार्यों में अड़चनें आ रही हैं तो घर पर शमी का पेड़ लाकर गमले में लगाइए और उसके चारों तरफ गमले में काले तिल डाल दीजिये और उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि देव के इस मंत्र का 11 बार जप करें | मंत्र है –ऊं शं यो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, शं योरभि स्तवन्तु नः._*

 

*_शनि की साढे-साती या ढैय्या की चाल से परेशान हैं तो आपको शनि स्रोत का पाठ करना चाहिए, साथ ही सिद्ध किया हुआ शनि यंत्र धारण करना चाहिए। आज शनैश्चरी अमावस्या का दिन शनि यंत्र धारण करने के लिए बड़ा ही श्रेष्ठ है।_*

 

*_शनिवार के दिन स्‍नान के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें। इससे आपको हर समस्या से छुटकारा मिलेगा।_*

 

*_शनिदोष को कम करने के लिए इस शनि पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। आप चाहे तो इसमें थोड़े से काले तिल और एक रुपए का सिक्का भी डाल सकते हैं।_*

 

*_अगर आपके प्रेम-विवाह में किसी प्रकार की अड़चने आ रही हैं तो उन अड़चनों से पीछा छुड़ाने के लिये आज आपको पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही शनिदेव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- शं ह्रीं शं शनैश्चराय नमः_*

 

 

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