तिल तैल के दीपक का महत्व और उसका सदुपयोग*

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चंडीगढ़:- 4 अप्रैल:- आरके शर्मा विक्रमा /कर शर्मा:-*तिल तैल के दीपक का महत्व और उसका सदुपयोग* आज कोरोनावायरस महामारी से निपटने के संदर्भ में सटीक कामयाब व उपयोगी है ।उक्त तिल के तेल के दीया दान का महत्व और फल बहुविध है।। अल्फा न्यूज इंडिया को उपलब्ध सामग्री के आधार पर सटीक तथ्यपरक जानकारी मुताबिक* एक मोमबत्ती 2 kcal गर्मी देती है,एक मोबाइल फ़्लैश 0.5 kcal गर्मी,एक तिल के तेल का दिया 3 kcal गर्मी देता है।मान लीजिए130 करोड़ में से 70 करोड़ लोगों ने भी इस आदेश का पालन किया और उसमें 35 करोड़ मोमबत्ती,20 करोड़ फ़्लैश और15 करोड़ दिए जलाए गए तो 125 करोड़ kcal गर्मी उत्पन्न होगी।Corona Naam Ka दरिंदा तो 10kcal गर्मी में ही मर जाता है।इसलिए 5 अप्रैल को सारे विषाणु मर सकते हैं अगर हम मिल कर इस अभियान को सफल बनाएं। 5अप्रैल को दीपावली समझ कर दिए अवश्य जलाएं।*

*आप तिल तैल के दिया जब 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे जलाएं तो उसके साथ आप उस दीया के थोड़ी उपर एक मिट्टी का पात्र लगाना है क्योंकि उस दीपक से निकलने वाला धुंआ उपर वाले मिट्टी के पात्र पर इक्कठा हो जाएगा जो काजल बन जाएगा। आप उस काजल को पूरे परिवार को अपनी अपनी आंखों मे डलना अर्थात हमे आंख मे लगाना है। इससे आपकी आंखे संक्रमण से बचेगी साथ ही आपकी आंखों की रोशनी भी बढ़ेगी। पुराने समय से अपने दादा दादी नाना नानी दिपावली पर इस तरह से काजल बनाकर पूरी साल काम में लेते थे। जिसका परिणाम यह होता था कि आज भी उनको चश्मा नही लगाना पडता है और आज भी बिना चश्मे के अखबार पढते हैं। जबकी आप और हमने इस प्रक्रिया को बंद कर दिया तो उसका परिणाम अपने सामने है आज हर घर परिवार के लगभग सभी सदस्यों को चश्मा लगाना अनिवार्य हो गया है।*
*आप इसे गंभीरता से ले ओर अगर रोशनी करनी है तो तिल्ली के तैल की करना चाहिए*
*घरों मे एक साथ दिया जलेगा तो सभी ने सकारात्मक एनर्जी का संचार होगा।*

*मेरी आपको सलाह है, रोशनी मिट्टी के दीपक मे तिल तेल मे ही करना*।।

साभार*डाँ.कैलाश शर्मा पाटोदा*
सहायक निदेशक,आयुर्वेद विभाग सीकर
(राज.)।मो. नं. 09414291928*।।

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