महामृत्युंजय मंत्र यथोचित स्थान और समय पर पवित्रता से चाहिए बोलना

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चंडीगढ़: 21फरवरी : आरके शर्मा विक्रमा :—-

महामृत्युंजय मंत्र-    
’ऊं त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्।’
कहते हैं कि इस मंत्र का जाप करने से वैभव व ऐश्वर्य की कामना पूरी होती है। ये एक ऐसा चमत्कारी मंत्र है, जिसका नित्य जाप करने से कुंडली में मौजूद दोष दूर हो जाते हैं।

शिवपूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’, जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भोलेनाथ को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है इसके समान अन्य कोई नहीं है। हृदय में ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभकार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।

घर में सुख- शांति और आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।

“ॐ पार्वतीपतये नमः”
इस मंत्र के जाप से भगवान भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती की कृपा भी मिलती है और विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।।।।

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