चंडीगढ़ ; 21 अप्रैल ; अल्फ़ा न्यूज इंडिया डेस्क /व्हाट्सअप द्वारा प्रेषित ;[पाठकों के मनोरंजन हेतु] एक मीटिंग के बाद मैं होटल से बाहर आई। मैंने अपनी कार की चाबियाँ तलाशीं लेकिन मेरे पास नहीं थीं। वापस मीटिंग रूम में जाकर देखा, वहाँ भी नहीं थीं। *अचानक मुझे लगा कि, चाबियाँ शायद मैं कार के इग्नीशन में ही लगी छोड़ आई थी। मेरे पति बहुत बार मेरी इस आदत के लिए मुझे डाँट चुके थे।* *जबकि मेरा कहना ये होता था कि, चाबियों को कहीं और भूल जाने की अपेक्षा, इग्नीशन में लगी छोड़कर भूल जाना अच्छा।* *उनका कहना ये होता था कि, इग्नीशन में चाबियाँ भूलने पर गाड़ी चोरी हो सकती है।* खैर, जब मैं पार्किंग में पहुँची तो मुझे समझ आया कि, मेरे पति सही थे। पार्किंग खाली थी, कार चोरी हो चुकी थी। *मैंने तुरंत पुलिस को कॉल किया, अपनी लोकेशन और पार्किंग एड्रेस बताया और कार की पूरी जानकारी दी।* *मैं बराबर कन्फ्यूज थी कि, चाबियाँ इग्नीशन में भूल जाने के कारण ही कार चोरी हो गई थी।* फिर मैंने अपने पति को डरते डरते काल लगाईं और बोली---" *डार्लिंग ( ऐंसे समय मैं उन्हें डार्लिंग कहकर ही बुलाती थी ) मैं अपनी कार की चाबियाँ इग्नीशन में भूल गई और अपनी कार चोरी हो गई।* " फोन पर थोड़ी देर शान्ति रही। मुझे लगा मेरे पति गुस्से में फोन काट देंगे। लेकिन फिर उनकी गुस्से में चिल्लाने की आवाज आई---" *बेवकूफ, मैं खुद तुम्हे मीटिंग अटेंड करने के लिए होटल छोड़कर आया था !* " अब शांत रहने की मेरी बारी थी। मैं खुश हो गई थी कि, चलो कार चोरी तो नहीं हुई। फिर मैंने कहा---" *ओके, तो फिर प्लीज, मुझे लेने के लिए आ जाओ।* " पति फिर चिल्लाए---" *मैं जितनी जल्दी हो सकेगा, तुम्हें लेने के लिए पहुँचता हूँ, लेकिन पहले इस पुलिस वाले को तो बताओ, कि मैंने तुम्हारी कार नहीं चुराई है, जिसने मुझे पकड़ रखा है....* "