यूरोप की विवशता – हमारी अज्ञानता :यानि आयुर्वेद के धनी एलोपैथी चिकित्सा के गुलाम

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चंडीगढ़: 26 नवंबर: आरके विक्रमा शर्मा/अनिल शारदा प्रस्तुति:—👁 *1.* आठ महीने ठण्ड के कारण, कोट पैंट पहनना उनकी विवशता *और शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट – पैंट डाल कर बरात ले जाना, हमारीअज्ञानता*

 

👁 *2.* ताजा भोजन उपलब्ध ना होने के कारण, सड़े आटे से पिज्जा, बर्गर, नूडल्स खाना यूरोप की विवशता *और 56 भोग छोड़ कर ₹ 400/- की सड़ी रोटी (पिज्जा ) खाना, *हमारी अज्ञानता*

 

👁 *3.* ताज़ा भोजन की कमी के कारण फ्रीज़ इस्तेमाल करना, यूरोप की विवशता *और रोज ताजी सब्जी बाजार में मिलनें पर भी, हफ्ते भर की सब्जी फ्रीज में ठूँस सड़ा कर खाना, *हमारी अज्ञानता*

 

👁 *4.* जड़ी – बूटियों का ज्ञान ना होने के कारण, जीव जन्तुओं के माँस से दवायें बनाना, उनकी विवशता *और आयुर्वेद जैसा महान चिकित्सा होने के बावजूद, माँस की दवाईयाँ उपयोग करना, *हमारी अज्ञानता*

 

👁 *5.* पर्याप्त अनाज ना होने के कारण जानवरों को खाना, उनकी विवशता *और 1600 किस्मों की फसलें होनें के बावजूद, स्वाद के लिए निरीह प्राणी मार कर खाना, *हमारी* *अज्ञानता*

 

👁 *6.* लस्सी,मट्ठा, छाछ, दूध, जूस , शिकंजी आदि ना होने के कारण, कोल्ड ड्रिंक पीना उनकी विवशता *और 36 तरह के पेय पदार्थ होते हुऐ भी, कोल्ड ड्रिंक नामक जहर पी कर खुद को आधुनिक समझना, *हमारी* *अज्ञानता*

 

🙏 *अनुरोध :* भारतीय सँस्कृति अद्वितीय, पुरातन एवं महान है । इस पर अवश्य विचार करें….lll

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