चंडीगढ़ : 12 अगस्त : अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क:—
*#कृष्ण #वंदे #जगत् #गुरु*
*#योगीराज #भगवान #श्रीकृष्ण जी के #5248वें #जन्मोत्सव व #दहीहंडी की #समस्त #देशवासीयो बधाई एवं #शुभकामनाएं , #श्रीकृष्ण जी #श्रीराम जी #हमारी #संस्कृति की #धरोहर हैं*।
🌷 *देखो कुछ लोगो की एक *और मूर्खता। मूर्खता यह कि श्री कृष्ण भगवान् को राधा के साथ जोड़ना ,अश्लीलता भरा वर्णन करना, प्रेम लीला रास लीला दिखाना, १६१०८ गोपियों से शादी करना* ।
*अरे कृष्ण के साथ राधा का नाम जोड़के आप खुद ही श्रीकृष्ण को गाली दे रहे हो। और गर्व महसूस करते हो* ।
*योगिराज धर्म संस्थापक श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र में कहीं भी कलंक नहीं है*।
*वे संदीपनी ऋषि के आश्रम में शिक्षा दीक्षा लिए तो रास लीला रचाने गोपियों और राधा के बीच कब आ गए ?*
*अपनी बुद्धि खोलो और विचारो।श्री कृष्ण जी वेदों और योग के ज्ञाता थे। उनके जीवन पर कलंक मत लगाओ । जागो। कब तक सोते रहोगे?*
*श्री कृष्ण भगवान् सम्पूर्ण ऐश्वर्य के स्वामी थे, दयालु थे, योगी थे,वेदों के ज्ञाता थे। वेद ज्ञाता न होते तो विश्वप्रसिद्ध “गीता का उपदेश ” न देते।*
*जो श्री कृष्ण जी मात्र एक विवाह रुक्मिणी से किये और विवाह पश्चात् भी १२ वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन किया । तत्पश्चात प्रद्युम्न नाम का पुत्र रत्न प्राप्त हुआ।*
*ऐसे योगी महापुरुष को रास लीला रचाने वाले ,छलिया चूड़ी बेचने वाला, १६ हजार शादियां करने वाला आदि लांछन लगाते शर्म आनी चाहिए। अपने महापुरुषों को जानो । कब तक ऐसी मूर्खता दिखाओगे।*
*जिस श्री कृष्ण का नाम तुम लोग राधा के साथ जोड़ते हो जान लो राधा क्या थी…*
*राधा का नाम पुराणों में आता है। सम्पूर्ण महाभारत में केवल कर्ण का पालन करने वाली माँ राधा को छोड़कर इस काल्पनिक राधा का नाम नहीं है,*
*भागवत् पुराण में श्रीकृष्ण की बहुत सी लीलाओं का वर्णन है, पर यह राधा वहाँ भी नहीं है.*
*राधा का वर्णन मुख्य रूप से ब्रह्मवैवर्त पुराण में आया है. यह पुराण वास्तव में कामशास्त्र है, जिसमें श्रीकृष्ण राधा आदि की आड़ में लेखक ने अपनी काम पिपासा को शांत किया है,*
*पर यहाँ भी मुख्य बात यह है कि इस एक ही ग्रंथ में श्रीकृष्ण के राधा के साथ भिन्न-भिन्न सम्बन्ध दर्शाये हैं, जो स्वतः ही राधा को काल्पनिक सिद्ध करते हैं.*
*देखिये- ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्मखंड के पाँचवें अध्याय में श्लोक २५,२६ के अनुसार राधा को कृष्ण की पुत्री सिद्ध किया है. क्योंकि वह श्रीकृष्ण के वामपार्श्व से उत्पन्न हुई बताया है.*
*ब्रह्मवैवर्त पुराण प्रकृति खण्ड अध्याय ४८ के अनुसार राधा कृष्ण की पत्नी (विवाहिता) थी, जिनका विवाह ब्रह्मा ने करवाया.*
*इसी पुराण के प्रकृति खण्ड अध्याय ४९ श्लोक ३५,३६,३७,४०,४७ के अनुसार राधा श्रीकृष्ण की मामी थी. क्योंकि उसका विवाह कृष्ण की माता यशोदा के भाई रायण के साथ हुआ था.*
*गोलोक में रायण श्रीकृष्ण का अंशभूत गोप था. अतः गोलोक के रिश्ते से राधा श्रीकृष्ण की पुत्रवधु हुई.*
*क्या ऐसे ग्रंथ और ऐसे व्यक्ति को प्रमाण माना जा सकता है? हिन्दी के कवियों ने भी इन्हीं पुराणों को आधार बनाकर भक्ति के नाम पर शृंगारिक रचनाएँ लिखी हैं.*
*ये लोग महाभारत के कृष्ण तक पहुँच ही नहीं पाए. जो पराई स्त्री से तो दूर, अपनी स्त्री से भी बारह साल की तपस्या के बाद केवल संतान प्राप्ति हेतु समागम करता है,*
*जिसके हाथ में मुरली नहीं, अपितु दुष्टों का विनाश करने के लिए सुदर्शन चक्र था, जिसे गीता में योगेश्वर कहा गया है.*
*जिसे दुर्योधन ने भी पूज्यतमों लोके (संसार में सबसे अधिक पूज्य) कहा है,*
*जो आधा पहर रात्रि शेष रहने पर उठकर ईश्वर की उपासना करता था, युद्ध और यात्रा में भी जो निश्चित रूप से संध्या करता था.*
*जिसके गुण, कर्म, स्वभाव और चरित्र को ऋषि दयानन्द ने आप्तपुरुषों के सदृश बताया, बंकिम बाबू ने जिसे सर्वगुणान्ति और सर्वपापरहित आदर्श चरित्र लिखा,*
*जो धर्मात्मा की रक्षा के लिए धर्म और सत्य की परिभाषा भी बदल देता था. ऐसे धर्म-रक्षक व दुष्ट-संहारक कृष्ण के अस्तित्त्व पर लांछन लगाना मूर्खता ही है।*
🕉️🚩 *श्रीमद्भगवद्गीता* 🕉️🚩
🌷 *योगस्थः कुरु कर्माणि संग* *त्यक्त्वा धनंजय* ।
*सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥२\४८॥*
💐 *भावार्थ : हे धनंजय! तू आसक्ति को त्यागकर तथा सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धिवाला होकर योग में स्थित हुआ कर्तव्य कर्मों को कर, समत्व (जो कुछ भी कर्म किया जाए, उसके पूर्ण होने और न होने में तथा उसके फल में समभाव रहने का नाम ‘समत्व’ है।*)
🕉🙏🕉🙏 *कृण्वन्तोविश्वमार्यम्* 🚩🚩🚩🚩 *जय आर्यावर्त* 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 *जय भारत*