चंडीगढ़ 25-022025- आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा हरीश शर्मा अश्वनी शर्मा प्रस्तुति –शिवपुराण के अनुसार व्रत करने वाले को महाशिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर ललाट पर भस्म का त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिए। तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि वैसे तो भगवान शिव सामान्य फूल से भी प्रसन्न हो जाते हैं, बस आपका भाव होना चाहिए। इस व्रत को जनसाधारण स्त्री-पुरुष, बच्चा, युवा और वृद्ध सभी करते है। धनवान हो या निर्धन, श्रद्धालु अपने सामर्थ्य के अनुसार इस दिन रुद्राभिषेक, यज्ञ और पूजन करते हैं। भाव से भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास करते हैं। महाशिवरात्रि व्रत प्रदोष निशीथ काल में ही करना चाहिए।
शिवरात्रि में चार प्रहरों में चार बार अलग-अलग विधि से पूजा का प्रावधान है। जो व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से करने में असमर्थ हो, उन्हें रात्रि के प्रारम्भ में तथा अर्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन अवश्य करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान शिव की ईशान मूर्ति को दुग्ध द्वारा स्नान कराएं, दूसरे प्रहर में उनकी अघोर मूर्ति को दही से स्नान करवाएं और तीसरे प्रहर में घी से स्नान कराएं व चौथे प्रहर में उनकी सद्योजात मूर्ति को मधु द्वारा स्नान करवाएं। इससे भगवान आशुतोष अतिप्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिव को दुग्ध से स्नान कराते हुए ‘ॐ ह्रीं ईशानाय नम:’ का जाप करना चाहिए।
द्वितीय प्रहर में दही स्नान करके ‘ॐ ह्रीं अघोराय नम:’ का जाप करना चाहिए।
तृतीय प्रहर में घृत (घी) स्नान करके ‘ॐ ह्रीं वामदेवाय नम:’ का जाप करना चाहिए।
चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान करके ‘ॐ ह्रीं सद्योजाताय नम:’ का जाप करना चाहिए।
ॐ नमः शिवाय
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि शिवरात्रि” का अर्थ है “भगवान शिव की महान रात्रि,” फाल्गुन के 13वें दिन भगवान शिव के सभी भक्तों के द्वारा पूरी रात जागरण रखा जाता है। यह ज्यादातर हिन्दू उत्सवों से अलग है, जिन्हें दिन के समय मनाया जाता है। रात्रि के समय भगवान शिव की पूजा और आराधना उस दिन का स्मरण करने के लिए मनाया जाता है जब भगवान शिव ने “संसार का विनाश होने से बचाया था,” जिसे अंधकार से दर्शाया जाता है।
फाल्गुन की 14वीं तिथि को हिन्दू पूरे दिन व्रत रखते हैं। वे भगवान शिव को फूल, बेलपत्र, और फल भी अर्पण करते हैं। वे दीप जलाते हैं, गंगा और अन्य पवित्र नदियों में पवित्र स्नान करते हैं, योग ध्यान करते हैं, और पूरे दिन “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते हैं। इस दिन भारतवर्ष के संपूर्ण मंदिर भक्तगणों के “हर हर महादेव!” के जयकारों से गूंजते हैं। साथ ही, वे मंदिर की घंटियां बजाते हैं और, इसके बाद शिवलिंग का चक्कर लगाते हैं, इसे जल या दूध से स्नान कराते हैं। अंत में, वे शुद्धता, ज्ञान और प्रायश्चित के प्रतीक के रूप में अपने माथे पर “पवित्र भस्म” की तीन रेखाएं लगाते हैं।
संपूर्ण भारत में हिन्दू मंदिरों के आसपास होने वाले उत्सवों और मेलों में जाएँ। मंदिर दीयों, फूलों और अन्य सजावटों से युक्त होंगे, और कई पर्यटक इसमें शामिल होते हैं। उत्तर भारत के मंडी शहर में होने वाला कार्यक्रम संभवतः सबसे बड़ा होता है जहाँ 81 मंदिर हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि मध्य भारत में, महा शिवरात्रि के पर्व काल में साधना अनुष्ठान और उत्सव के लिए महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध दर्शन स्थलों में से एक है।
दक्षिण भारत में, कर्नाटक में विश्वनाथ मंदिर के पास होने वाले कार्यक्रम सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि यदि आप चाहें तो महा शिवरात्र से जुड़ी कुछ कहानियों के बारे में जान सकते हैं।
उदाहरण के लिए
एक_कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान विष का घड़ा निकलने पर संसार को बचाने के लिए शिवजी ने इसे स्वयं पी लिया था, लेकिन उन्होंने इसे निगला नहीं। हालाँकि, इसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार एक आदमी जंगल में लकड़ियां चुनने के लिए गया और उसे वहां रात हो गयी। वह सुरक्षित रहने के लिए पेड़ पर चढ़ गया, और जगे रहने के लिए (और पेड़ से गिरने से बचने के लिए), उसने भगवान शिव का नाम लेते हुए पेड़ की पत्तियों को तोड़कर एक-एक करके गिराना शुरू कर दिया। संयोग से, पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, और चूँकि शिवजी को यह अनुभव बहुत पसंद आया, इसीलिए वर्तमान में भगवान शिव का रात में जप किया जाता है और उन्हें बेलपत्र चढ़ाये जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि महा शिवरात्रि को भारत में वसंत ऋतु के आगमन और विशेष रूप से फूलों के खिलने से जोड़ा जाता है। इसलिए, आप बैंगलोर के लालबाग बॉटनिकल गार्डन और इसके प्रसिद्ध फूलों के पौधे और “हाउस ऑफ ग्लास” देखने जा सकते हैं। यहाँ एक झील और उष्णकटिबंधीय पक्षी अभयारण्य भी है। एक दूसरा विकल्प पश्चिम हिमालय के राज्य में फूलों की घाटी का राष्ट्रीय उद्यान भी हो सकता है। यह पहाड़ पूरी तरह से अल्पाइन फूलों से ढंका होता है।
हालाँकि, महा शिवरात्रि हिंदुओं का धार्मिक उत्सव है और हिन्दू मंदिरों पर केंद्रित होता है, लेकिन इसमें जीवंत और रुचिकर सांस्कृतिक गतिविधियां भी होती हैं जिन्हें पर्यटक देख सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि भगवान शिव जितने रहस्यमयी हैं, उनकी वेश-भूषा व उनसे जुड़े तथ्य उतने ही विचित्र हैं। सभी देवताओं में भगवान शिव एक ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की पूजा पाठ से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है इसलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है और यही कारण था की असुर भी वरदान प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या किया करते थे और उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त कर लेते थे।
भगवान शिव को लेकर एक विशेष सीरीज में आज आपको बता रहा हूं,भगवान शिव को प्रसन्न करने के 10 उपाय….

- शिव को प्रसन्न करने के लिए डमरू जरूर बजाएं और बम बम भोले बम बम भोले कहने से कृपा मिलेगी।
- बिल्व पत्र व बिल्व फल चढाने से धन की प्राप्ति के साथ साथ शिव को सरलता से रिझाया जा सकता है।
- शिवरात्रि पर धतूरा,भांग,और आक चढ़ना शिव की पूरी साधना करने के बराबर फलदायी होता हैं।
- शिवलिंग को प्रतिष्ठित कर करें शिवलिंग का पूजन तो जीवन सफल हो जाता है।
- ज्ञान एवं विद्वत्ता की इच्छा वाले साधकों को स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
- गृहस्थ सुख चाहने वालों को पत्थर के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
- मुकद्दमों एवं युद्ध में प्रतियोगिताओं में सफलता पाने वालों को अष्ट धातु शिवलिंग का पूजन करना चाहिए।
- सब सुख चाहने वाले को सोने चांदी अथवा रत्नों से बना शिवलिंग पूजना चाहिए।
- सबसे श्रेष्ठ तो केवल पारे का शिवलिंग होता है जिसकी पूजा से जन्म मरण से मुक्ति प्राप्त होती है शिव की अमोघ कृपा बरसती है।
- शिवरात्री के दिन शिव मंदिर के दर्शन, कैलाश मानसरोवर के दर्शन, शिवभक्तों के दर्शन अथवा सुमिरम से शिव भोले बरदान देते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि राशि अनुसार करे मंत्र जाप और करे भोले बाबा को प्रसन्न:
मेष राशि
मेष राशि वाले इस महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा के बाद ‘ह्रीं ओम नम: शिवाय ह्रीं’ मंत्र का जप 108 बार करें।
वृष राशि
वृष राशि वाले जातक ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करें। शिवरात्रि पर भगवान शिव की इस प्रकार पूजा करने से ऊर्जा का विकास होता है और कार्य क्षमता बढ़ती है और परिवार के बीच प्यार बढ़ता है।
मिथुन राशि
इस राशि वाले लोग शिवरात्रि के दिन महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ओम नमो भगवते रूद्राय मंत्र का जप करें।
कर्क राशि
शिव पूजा के बाद भक्त ओम हौ जूं स: इस मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जाप से सुख समृद्धि में बढ़ोतरी होगी।
सिंह राशि
सिंह राशि वाले लोग इस महाशिवरात्रि को ह्रीं ओम नम: शिवाय ह्रीं का कम से कम 51 बार मंत्र का जप करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले ओम नमो भगवते रूद्राय मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जप से कन्या राशि वाले जातकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा
तुला राशि
तुला राशि वाले इस शिवरात्रि शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का 108 बार जप करें।
वृश्चिक राशि
इस राशि के लोग शिवरात्रि के दिन ह्रीं ओम नम: शिवाय ह्रीं मंत्र का जप करें।
धनु राशि
शिवरात्रि के दिन चन्द्रमा कमजोर होता है। धनु राशि वाले जातक इस दिन ओम तत्पुरूषाय विध्म्ये महादेवाय धीमाह। तन्नो रूद: प्रचोदयात के मंत्र का जप करने से चंद्रमा मजबूत होता है और शिव जी की कृपा मिलती है।
मकर राशि
इस राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने के लिए ओम नम: शिवाय का जप करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के स्वामी शनिदेव है। इसलिए इस राशि के जातक मकर राशि की तरह ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
मीन राशि
इस राशि के लोग जितना हो सके उतनी बार ओम तत्पुरूषाय विघ्म्हे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र प्रचोदयात् मंत्र का जप करना चाहिए।