सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ।।
“अमृत से परिपूरित कलश को धारण करने वाली व कमलपुष्प से युक्त तेजोमय मां कूष्मांडा हमें सब कार्यों में शुभदायी सिद्ध हों”।

चंडीगढ़ 6 अक्टूबर आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा हरीश शर्मा करण शर्मा अश्विनी शर्मा बीरबल शर्मा —कार्तिक मास के नवरात्रों में आज चौथा नवरात्र जगत जननी देवी कुष्मांडा माता का है! चराचर जगत की रचना कुषमांडा माता ने की थी। चंडीगढ़ सेक्टर 30 स्थित श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर के पुजारी देवभूमि वासी ज्योतिषाचार्य पंडित विवेक वशिष्ठ ने अल्फा न्यूज़ इंडिया को बताया कि कूष्मांडा माता शेर पर सवार अनंत सूर्य लोक में वास करती हैं। अष्टभुजा कूष्मांडा माता के हाथों में (सुदर्शन) चक्र, गदा, कमल का फूल व अमृत कलश, कमंडल धनुष व बाण शोभित हैं। कूष्मांडा माता को कुम्हड़े की अतिप्रिय बलि से प्रसन्न किया जाता है। भौतिक सृष्टि में माता का वास कण कण में है। मां को प्रसन्न करने पर रोग नाश होते हैं। और स्वस्थ दीर्घायु सहित परम पद की प्राप्ति होती है। दैहिक रोगियों को आज हरे रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। माता की पूजा भी हरा कपड़ा बिछाकर मां को विराजमान कर स्वयं भी हरे वस्त्र धारण कर हरा कपड़ा बिछाकर उसपर पालथी लगाकर पूजा अर्चना विधि पूर्वक करनी चाहिए। मां को हरी इलायची हरी सौंफ, कुम्हड़ा और हरी नारियल बर्फी आदि का भोग लगायें तो मां कूष्माण्डा देवी प्रसन्न हो मन वांछित फल देती है। मां कुषमुंडा का अचूक रामबाण मूलमंत्र है “ओम् कूष्मांडा देवयै नमः” का जाप अति सिद्ध कर फलदाई जाप है। मां कुष्मांडा ब्रह्मांड की रचनाकार है। और देवी कुष्मांडा माता सच्ची सादगी भरी भक्ति से भी प्रसन्न हो जाती है।
