उभरते कवि अशोक सपरा की एक प्रशंसनीय कविता

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चंडीगढ़ :- 04 म ई बीरबल शर्मा करण शर्मा — दिल्ली रोहिणी के उभरते कवि अशोक सपरा हमदर्द ने हाल ही में आयोजित कवि सम्मेलन में यह रचना विषय चित्र लेखन प्रतियोगिता में आदरणीय कपूराराम मेघसेतु जी के समक्ष उक्त रचना कविता पाठ किया।

आओ तो कान्हा तुम प्यार बनकर जिंदगी में मेरी

तुम उपहार बनकरराह देखूँ दिन रात मैं तेरी कान्हाआये तू पतझड़ में बहार बनकर

तेरी खुशबू का अहसास मुझ में प्रीत में मेरी

आजा संसार बनकर

खुश्क जिंदगी यह तुझे ही पुकारे प्यास बुझा मेरी, रसधार बनकरभीगी पलकों से यूँ आँखें न चुरा विरह में मेरे आ उपचार बनकर गहरा लिखता अपना प्रेम तुझसे सरेआम ऐलान अख़बार बनकर।।

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