चंडीगढ़: 21 जून:-आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा/ राजेश पठानिया/ अनिल शारदा प्रस्तुति:–*एक बार श्री गुरु नानक देव जी के पास भगवे कपड़े धारण किये हुए एक साधू आये, उस समय गुरु नानक देव जी अपने घर पर कोई काम कर रहे थे, उनको देख कर उस साधू ने सोचा की इनकी वेशभूषा तो सन्तो जैसी नहीं है, जिस त्यागी महात्मा की खोज में मैं यहाँ आया हूँ ये वो नहीं है।*
*उस साधू ने गुरु नानक देव जी को प्रणाम किया और उनसे कहा के बाबा जी मैं बहुत दूर से आया हूँ, मुझे सच्चे ज्ञान की अभिलाषा है, क्या आप मुझे किसी सच्चे और त्यागी महात्मा के बारे में बता सकते है, संत सतगुरु कभी अपने से नहीं कहते की वह सच्चे संत यां महात्मा है, गुरु नानक देव जी ने उस साधू को कहा जी बिलकुल मैं ऐसे सच्चे महात्मा को जानता हूँ और वह आपको सच्चा ज्ञान ज़रूर देंगे, उन महात्मा का नाम भाई लालो है, वह एक बढ़ई का काम करते है, आप उनके पास चले जाये, आप उनको जाकर कहना के नानक ने भेजा है।*
*वह साधू बिना समय गवाएं भाई लालो के घर पहुँच गया घर का द्वार बंद था। उस साधू ने जब घर का द्वार खटखटाया तो भाई लालो ने द्वार खोला और पुछा की आप कौन है, इस पर उस साधू ने कहा, ”जी मुझे भाई लालो से मिलना है” भाई लालो ने कहा जी कहिये मैं ही लालो हूँ, साधू ने कहा जी मुझे नानक जी ने आपके पास भेजा है सच्चे ज्ञान के लिए,,भाई लालो को समझने में देर न लगी भाई लालो ने कहा के आप अन्दर आ जाइये, भाई लालो ने उस साधू को एक खाट पर बिठा दिया और कहा के आप यहाँ बैठ जाइये मैं थोडा काम निपटा लूं, भाई लालो जल्दी जल्दी कुछ सामान घर के बरामदे में इकट्ठा करने लगा, इस पर उस साधू ने पुछा के लालो जी आप यह क्या कर रहे है, इस पर भाई लालो ने कहा के आज मेरा जमाई अपने गाँव से जब दुसरे गाँव जायेगा तो मार्ग में दुर्घटना से उसकी मृत्यु हो जाएगी, मैं उसके अंतिम संस्कार का प्रबन्ध कर रहा हूँ।*
*इस पर साधू जो अभी तक खाट पर बैठा यह सब कुछ देख रहा था, चोंक कर खड़ा हो गया और बोला लालो जी ऐसा कैसे हो सकता है आप कैसी बात कर रहे है, इस पुरे संसार में किसी में ऐसा धैर्य नहीं की मरने से पहले उसके अंतिम संस्कार का प्रबन्ध करे, और अगर आपका अपना जमाई है तो आपकी आँखों में आँशु क्यूँ नहीं है, मुझे लगता है वो आपका जमाई नहीं कोई दूर का रिश्तेदार होगा, भाई लालो ने कहा मैं आपसे झूठ क्यूँ बोलूँगा, वह मेरा अपना जमाई है।*
*साधू ने कहा अगर वह आपका अपना जमाई है तो आप उस दुर्घटना के बारे में उसको बता दो और उसको बोलो के अभी अपने गाँव से बाहर ना निकले, भाई लालो ने कहा के ऐसा नहीं हो सकता यह तो प्रकृति का नियम है और इस नियम को चलाने वाला ईश्वर है, मैं ईश्वर के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जो होना है वो होकर ही रहेगा, साधू ने कहा ऐसा बिलकुल नहीं है अगर आपको पहले से ज्ञात हो गया है तो आप उनको बचा सकते है, इस पर भाई लालो ने कहा आप व्यर्थ में तर्क वितर्क कर रहे है, अगर बचा जा सकता है तो आप बच के दिखाओ, साधू ने कहा जी मैं आपकी बात का मतलब नहीं समझा,,भाई लालो ने कहा के मेरे घर के सामने जो आपको पेड़ नज़र आ रहा है, आज से चार दिन बाद आपको उसी पेड़ से लटका कर फांसी दी जाएगी, यह सुन कर साधू के पैरों से ज़मीन निकलने लगी।*
*साधू उसी समय ज्ञान लिए बिना ही वहां से निकल कर भागने लगा, साधू ने सोचा की जिस पेड़ के साथ मुझको फांसी दी जाएगी, अगर मैं उस पेड़ से दूर भाग जाऊ तो मैं बच सकता हूँ।*
*मृत्यु का भय होने की वजह से वो साधू 2 दिन तक लगातार दौड़ता रहा, भूख और प्यास की वजह से साधू मूर्छित होकर गिर गया,,थोड़ी देर में जब होश आया तो उसने देखा के अभी भी मृत्यु के 2 दिन बाकी हैं, मार्ग का ज्ञान नहीं था और ऊपर से मृत्यु का भय बुद्धि ने काम करना मानो बंद कर दिया था।*
*जिस मार्ग से 2 दिन लगातार भाग कर आया था, वापिस उसी मार्ग पर भागने लगा 2 दिन बाद उसी पेड़ के नीचे जाकर खड़ा हो गया, 4 दिन लगातार भागने की वजह से थकावट से हड्डियाँ टूट रही थी, जैसे ही साधू भूमि पर बैठा उसी समय नींद आ गयी।*
*वहां पास में ही तीन चोर आपस में चोरी का माल बाँट रहे थे, चोरी का सारा माल बांटने के बाद उनके पास एक कीमती हीरे का हार बच गया, जब एक चोर उस हार को बराबर बांटने के लिए उस हार को तोड़ने लगा तो बाकी के 2 चोरों ने कहा की मित्र इस हार की बनावट और चमक बहुत ही बढ़िया है, अगर इसको आधा आधा बाँट लिया तो इस हार की शोभा ही खत्म हो जाएगी,,जब वो आपस में बात कर रहे थे तभी एक चोर की नज़र पेड़ के नीचे सोये हुए साधू पर गयी, एक चोर ने कहा के देखो भाई अगर इस हार को आपस में नहीं बांटना तो यह हार इस साधू को दे देते है, इसका भी गुजारा हो जायेगा, चोरों ने ऐसा ही किया उस कीमती हार को साधू के गले में डाल कर वहां से चले गए।*
*चोरी की सूचना पुरे गाँव में फ़ैल चुकी थी, जब राजा के सैनिक चोरों को खोजते खोजते उस पेड़ के पास आये तो उन्होंने उस साधू के गले में चोरी का हार देखा और उसको गिरफ्तार कर लिया गया, वँहा का राजा भी वहां आ गया, पुराने समय में चोरी की बहुत ही कठोर सज़ा होती थी।*
*राजा ने वहां खड़े खड़े ही साधू को सजा सुना दी, राजा ने अपने सैनिकों से बोला के चोरी का माल इस साधू के पास से बरामद हुआ है, इसलिए इसको इसी पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी जाये।*
*साधू यह देख कर हक्का-बक्का रह गया,,उसने अपने बेकसूर होने का बहुत दावा किया किन्तु राजा ने एक न सुनी।*
*जब साधू को फांसी देने का पूरा प्रबंध कर दिया गया तो राजा ने उस साधू से पुछा के तुम्हारी कोई अंतिम ईक्षा है तो बताओ, साधू ने कहा के सामने वाले घर में भाई लालो रहता है मैं उनसे मिलना चाहता हूँ, राजा के सैनिक भाई लालो को बुला कर ले आये, जब भाई लालो वहां पहुंचा तो साधू ने उनसे कहा के आपकी बात बिलकुल सच हुई है,,मैंने परमात्मा का विधान बदलने की अर्थात मृत्यु से भागने की बड़ी कोशिश की मगर असफल हुआ, अगर हो सके तो मुझे इस चोरी के दाग से बचा लीजिये, मैं ऐसे कृत काम का दाग लेकर मरना नहीं चाहता।*
*भाई लालो ने कहा मैं तो उन्ही गुरु नानक जी का बहुत छोटा सा दास हूँ जिन्होंने आपको यहाँ मेरे पास भेजा है, वो ही सच्चे साधु है और वह ही सब कुछ करने में सक्षम है,,उनके पास ज्ञान का अनमोल भन्डार हैं और उनको बाँटने की अनुमति भी है,आप भी उनका ध्यान लगा कर उनसे विनती करो, मैं भी आपके लिए उनसे प्रार्थना करता हूँ उधर जब चोरों को पता चला के उस कीमती हार की वजह से उस निर्दोष साधू को फांसी की सजा हो रही है, उन चोरों ने सोचा के सारी ज़िन्दगी हमने चोरी की डाके डाले शायद परमात्मा से इन काले धंधों की क्षमा तो मिल भी जाये मगर आज अगर हमारी वजह से उस साधू को फांसी हो गयी तो हमें परमात्मा कभी क्षमा नहीं करेगा, वह चोर सारा माल लेकर राजा के सामने पेश हो गए और राजा से कहा के यह साधू निर्दोष है, हम तीनों ने ही इनके गले में यह हार डाला था, इतना सुनते ही राजा ने उस साधू को फांसी की सजा से बरी कर दिया।*
*भाई लालो ने उस साधू से कहा की जब आपने गुरु नानक जी को पहली बार देखा तो उनकी वेषभूषा की वजह से आप संशय में आ गए,,सच्चा बैरागी कपड़ों से नहीं मन से होता है, भगवे कपडे पहनने से कोई साधू नहीं बन जाता,,साधू नाम जो साधना करें, परमात्मा का नियम सब जीवात्माओं के लिये एक जैसा ही होता है, मगर जो सच्चा गुरु होता है वो काल से भी अपने शिष्यों की रक्षा कर लेता है और सूल की सुई बना देता है ,,,,*
*करता करे न कर सके*
*गुरु करे सो होए*।।।।।।