साहिबजादों की शहादत को बालदिवस और वीर हकीकत राय बलिदान दिवस को राष्ट्रीय बाल बलिदान दिवस के रूप में घोषित करें ; धर्म समाज

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साहिबजादों की शहादत को बालदिवस और वीर हकीकत राय बलिदान दिवस को राष्ट्रीय  बाल बलिदान दिवस के रूप में घोषित करें ; धर्म समाज

चंडीगढ़ ; 14 नवम्बर ; आरके शर्मा /करणशर्मा ;—-देश भर में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में हर साल की भांति इस वर्ष भी खूब धूमधाम से मनाया गया ! कांग्रेसी खेमों में नेहरू का जन्मदिवस अपने अपने स्तर पर खूब धूमधाम से मनाया गया ! 
इस मौके पंजाब के हिन्दू सिख संगठनों ने भी दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह के दो साहिबजादों जोरावर  सिंह उम्र सात वर्ष और फ़तेह सिंह उम्र पांच साल को सरहिंद के तात्कालीन नवाब वजीर खां के  दरबार में दादी माँ के साथ हिरासत में लेकर मुसलमान बनने के लिए डराया धमकाया गया था ! नन्हे साहिबजादों ने मुस्लिमों की एक न सुनी और मुसलमान न बनने के अपने इरादे पर अडिग रहे ! गुस्से में आगबबूले नवाब ने दोनों बच्चों को दीवार में जिन्दा चिनवा दिया !  पंजाब के हिन्दू सिख समाज ने एकजुट मांग करते हुए बाल दिवस को अब साहिबजादों की स्मृति को समर्पित बाल दिवस घोषित किया जाये ! 
              अभी तक तो इस दिवस को नेहरू जी के जन्मदिवस के मौके बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है ! 
           कुछ सजग और धर्म प्रेमियों ने वीर हकीकत राय उम्र महज चौदह वर्ष  सब से पहले दुनिया में माँबाप घरपरिवार और बाल्यपन की खेलें तक तज कर मुसलमानों के लाख तसिहों की परवाह किये बिना हँसते हँसते खुद जल्लाद के हाथ  में तेजधार तलवार थमा कर धर्म की रक्षा हेतु अपना नन्ही  बलिदान देकर आने वाली कौमों नस्लों और धर्म प्रेमियों के  बलिदान की नई मिसाल  रची थी ! वीर हकीकत राय का जीवन काल सन 1719 से 1734 तक पाकिस्तान में था ! हकीकत का मतलब ही सच्चाई होता  वीर बालक ने अपने नाम की  सार्थकता  निभाने हेतु अपने पारणों की आहुति देकर सब के लिए प्रेरणादायी इतिहास रचा था ! देश वासी भी चाहते हैं ऐसे वीर निडर धर्म पालक और धर्म संरक्षक के बलिदान दिवस को राष्ट्रीय धर्म बाल बलिदान दिवस के रूप में घोषित किया जाये ! क्योंकि वीर हकीकत राय ने आने वाली पुश्तों नस्लों और कौमों के बच्चों तक के लिए भी साहसिक इतिहास  रचा था !ये ही उदाहरण उस ज़माने में माताएं अपने नौनिहालों को सुनाया करती थीं और उनमे धर्म के प्रति अटूट विश्वास आस्था और समर्पण की ज्योति जागृत करती थीं ! 

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