जलियांवाला बाग़ निहत्थे देशवासियों की कब्रगाह बना था आज के दिन
चंडीगढ़ ; 13 अप्रैल ; आरके शर्मा विक्रमा ; देश आज ठीक सौ वर्ष बाद फिर सिहर उठा है क्योंकि आज के ही दिन पंजाब के रामतीर्थ और दुर्ग्याणा मंदिर सहित हरिमंदिर [ गोल्डन टेम्पल] की ऐतिहासिक नगरी में फिरंगी हकूमत के सर्वेसर्वा को खुश करने के लिए इंसानियत के दुश्मन फिरंगी अफसर जर्नल अडवायर ने जलियांवाला बाग़ में वैशाखी मानाने की खातिर जुड़े हजारों लोगों को घेर कर अंधधुंध फायरिंग करके बेवक़्त बेकसूरों को मौत नींद सुलाया था ! इस खौफनाक नरसंहार दास्ताँ को याद करने मात्र से ही आत्मा चीत्कार उठती है ! याद करो, उन बच्चों बीबियों बुजुर्गों और युवाओं को निर्दयी फिंरगी ने गोलियों की बरसात में शहीद किया होगा और वो जान बचाने के लिए भागते भागते हुए जीवन बचाने वाले मीठे ठंडे जल के कुएं में कूदते गए और कुछ पलों में कुआँ मौत की कब्रगाह बन गया था ! देश गमगीन है और अपराधी फिरंगी मुल्ख शर्मसार है ! तभी तो आज ब्रिटेन के भारत में तैनात उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्क्विथ ने जलियांवाले बाग निरीह निहत्थे शहीदों को श्रद्धांजलि दी ! अमृतसर स्थित खूनी साके के गवाह बाग़ में बने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी !
आज इस दुखद घटना को स्मरण करते हुए देशी विदेशी नेता आखिर बोल उठे ;—
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दमोदर मोदी ने कहा,
‘आज, जब हम भयावह जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ वर्षों को देखते हैं, तो भारत उस घातक दिन पर शहीद हुए सभी लोगों को श्रद्धांजलि देता है। उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनकी स्मृति हमें उस भारत के निर्माण के लिए और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है जिस पर उन्हें गर्व होगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘100 वर्ष पहले आज ही के दिन, हमारे प्यारे स्वाधीनता सेनानी जलियांवाला बाग में शहीद हुए थे। वह भीषण नरसंहार सभ्यता पर कलंक है। बलिदान का वह दिन भारत कभी नहीं भूल सकता। उनकी पावन स्मृति में जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को हमारी श्रद्धांजलि।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल पूरे होने पर जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल पहुंच शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे द्वारा खेद जताने को नाकाफी करार देते हुए कहा कि “ब्रिटेन द्वारा औपचारिक माफी मांगने से कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा”।