सावधानी न हटे,न ही कोई हृदय विदारक घटना घटे,तो कोई बुखार न डटे ; डॉ राजेश कपिला

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चंडीगढ़ ; सितम्बर ; अल्फा न्यूज़ इंडिया ;--यूँ तो पूरा देश ही बुखारों की चपेट में है और दर्दनाक बेवक़्त मौतों का तांडव निरन्तर जारी है ! चिकित्सा प्रणाली सहित सरकारी व्यवस्थाओं की चरमराई उलब्धता अपने इलाज की बाट जोह रही है ! रोज देश में बुखारों के बम्बों से न जाने कितने प्राण हताहत हो रहे हैं ! सरकारी तन्त्र और चिकित्सा तन्त्र एक बारगी  देखा जाये तो पूरी तरह ध्वस्त दिखाई देता है ! केंद्र से लेकर यूटी तक के प्रदेशों में चिकित्सा व्यवस्था बुखारों को रोकने में कितने सक्षम रहे ये अब मौतों के आकंड़े ब्यान कर रहे हैं ! चंडीगढ़ दो प्रान्तों की राजधानी में भी व्यवस्था अपाहिज ही है ! मौतों की रेल सरपट दौड़ती जा रही है ! बड़े बड़े दावे और आम जन तकको  निशुल्क  चिकित्सा मुहैया करवाने  के वादे सरेआम धराशायी हो रहे हैं और बुखार मौतों का खेल खेलता  ही जा रहा है ! मौत की खाई दिन ब दिन गहरी हो रही सो हर कोई सोशल मीडिया अख़बार टीवी वेब चैनल्स जैसे भी सम्भव और सहज हो रहा उक्त बुखारों से निपटने के एलोपैथी यूनानी आयुर्वेदिक और होम्योपैथी आदि ढंगों के दवाइयां सुझा रहे हैं ! यानि दूसरा पहलू  देखें तो इन बुखारों ने भले ही मरीज इंसानों को जिस्मानी तौर पर निर्बल करके तोड़ दिया पर सच  कि बुखारों ने अनजाने में ही मानव समाज  को जोड़ दिया ! सब एकजुट होकर मानवीय सेवा में अपना अपना सहयोग और योगदान दे रहे हैं ! कोई भस्म तो कोई विभूति तो कोई गण्डा तावीज दे रहा है ताकि किसी माँ की गोद बेवक़्त बेमियादी बुखार के कारण उजड़े नहीं ! ये सामाजिक भाईचारे मि अपनी तरह की मिसाल है ! 
 
***चिकुनगुनिया एक तरह का वायरल बुखार है जो कि मच्छरों (mosquito) के कारण फैलता है। चिकुनगुनिया अल्फावायरस (alphavirus) के कारण होता है जो मच्छरों के काटने के दौरान मनुष्यों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।चिकुनगुनिया में जोड़ों में दर्द (joint pain), सिर दर्द (headache), उल्टी (vomit) और जी मिचलाने (nausea) के लक्षण उभर सकते हैं जबकि कुछ लोगों में मसूड़ों और नाक से खून (blood from gums and nose) भी आ जाता है। मच्छर काटने के लगभग बारह दिन में चिकुनगुनिया के लक्षण उभरते हैं।चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बहुत से घरेलू नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर चिकुनगुनिया से खुद को बचाया जा सकता है।
1. पपीते की पत्ती (Papaya leaf)
पपीते की पत्ती न केवल डेंगू बल्कि चिकुनगुनिया में भी उतनी ही प्रभावी है। बुखार में शरीर के प्लेटलेट्स (platelates) तेजी से गिरते हैं, जिन्हें पपीते की पत्तियां तेजी से बढ़ाती हैं। मात्र तीन घंटे में पपीते की पत्तियां शरीर में रक्त के प्लेटलेट्स को बढ़ा देती हैं। उपचार के लिए पपीते की पत्तियों से डंठल को अलग करें और केवल पत्ती को पीसकर उसका जूस निकाल लें। दो चम्मच जूस दिन में तीन बार लें।

2. तुलसी और अजवायन (Tulsi aur ajwain)
तुलसी और अजवायन भी चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बेहद अच्छी घरेलू औषधि हैं। उपचार के लिए अजवायन, किशमिश, तुलसी और नीम की सूखी पत्तियां लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पेय को बिना छानें दिन में तीन बार पीएं।

3. लहसुन और सहजन की फली (Garlic and drum stick)
लहसुन और सहजन की फली चिकुनगुनिया के इलाज के लिए बहुत बढ़िया है। चिकुनगुनिया में जोड़ों में काफी दर्द होता है, ऐसे में शरीर की मालिश किया जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए किसी भी तेल में लहसुन और सहजन की फली मिलाकर तेल गरम करें और इस तेल से रोगी की मालिश करें।

4. लौंग (Laung or clove)
दर्द वाले जोड़ों पर लहसुन को पीसकर उसमें लौंग का तेल मिलाकर, कपड़े की सहायता से जोड़ों पर बांध दें। इससे भी चिकुनगुनिया के मरीजों को जोड़ों के दर्द से आराम मिलेगा, और शरीर का तापमान (body temprature) भी नियंत्रित होगा।

5. एप्सम साल्ट (Epsom salt)
एप्सम साल्ट की कुछ मात्रा गरम पानी में डालकर उस पानी से नहाएं। इस पानी में नीम की पत्तियां भी मिलाएं। ऐसा करने से भी दर्द से राहत मिलेगी और तापमान नियंत्रित होगा।

6. अंगूर (Grapes)
अंगूर को गाय के गुनगुने दूध के साथ लेने पर चिकुनगुनिया के वायरस मरते हैं लेकिन ध्यान रहे अंगूर बीजरहित हों।

7. गाजर (Carrot)
कच्ची गाजर खाना भी चिकुनगुनिया के उपचार में बेहद फायदेमंद है। यह रोगी की प्रतिरोधक क्षमता (immunity power) को बढ़ाती है साथ ही जोड़ों के दर्द से भी राहत देती है।
                        
            चंडीगढ़ सेक्टर 28 स्थित आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी के प्रभारी और समाजसेवी डॉ राजीव कपिला कहते हैं कि बुखार में सबसे अहम पानी पीते रहो !  आर्थिक तंगी वाले मरीज को भी जीने का अधिकार है सो कीवी बकरी का दूध महँगी दवाई न मिलने पर मुंह में छोटी इलायची के दाने रखो चुसो पर चबाओ मत ! कच्चा पपीता खाओ और पपीते के कोमल पत्तों गिलोय तुलसी पत्तों का काढ़ा निरन्तर पीओ ! 
                                       
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