चंडीगढ़– 05 अक्टूबर– हरीश शर्मा/ अश्वनी शर्मा प्रस्तुति — देसां मा देस हरियाणा जित दूध दही घी ना मिले खाणा।। साढ़े नौ साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मास्टर मनोहर लाल खट्टर ने आज विधानसभा चुनाव में अपने बूथ पर जाकर अपना वोट डाला। किसको डाला यह सब जानते हैं और यही झूठ है। बस जानता है तो वोट डालने वाला खुद। यही लोकतंत्र की गारिमा है। मजेदार नहीं बल्कि शरम की बात कहिए कि
ये पोलिंग बूथ उनके अपने गांव के स्कूल में बना हुआ है। आज यह स्कूल सोच तो रहा होगा काश मेरे यहां का पढ़ा कोई सफेदी करने वाला होता या फिर मिस्त्री होता। स्कूल की जर्जर हालत देख सफेदी लीपापोती करता या सीमेंट से प्लास्टर करता। जो पढ़कर समाज को अच्छी दिशा दिखाकर दशा बदलने वाला बनाया वो लीपापोती में ही व्यस्त हो गए।
मास्टर मनोहर लाल खट्टर के अपने कार्यकाल में हरियाणा का कितना विकास किया गया इसी की तस्वीर, इसकी गवाही उनके गांव का यह एकमात्र अभागा स्कूल भर रहा है।
मास्टर जी साढ़े नौ साल में अपने गांव के स्कूल की दर- ओ- दीवार की साफ सफाई, रंग रोगन ना करा सका,
उसने हरियाणा का कितना विकास किया होगा,
इसका अंदाजा तस्वीर में दिख रहे स्कूल की हालत से लगाया जा सकता है
हरियाणा की सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री आज केंद्रीय मंत्री हैं । लेकिन स्कूल तब भी अश्रु बहात था। जब वह मुख्यमंत्री थे। आज हरियाणा से मुख्यमंत्री का ताज छिन जाएगा। तब भी हरियाणा के साथ ही यह स्कूल भी आंसू बहाएगा। फर्क सिर्फ इतना ही कहेंगे कि एक सत्ता जाने पै और दूसरा सत्ता से इनके चले जाने पै। समझदार को इशारा काफी है कि आज सत्ता सेवा के लिए नहीं बल्कि सुख के लिए है।। पंचकूला के चुनाव में एक लच्छेदार भाषणों से तो दूसरा छल-कपट से वोटिंग के लिए लुभा रहा था। अगर ईमानदार हो कर काम किया होता।तो जनता को हाथ नहीं जोड़ने पड़ते। ना इनको ना उनको।।