कुकुरमुत्ते की भांति पनपते देवभूमि में छुटभैय्ए डडूं पत्रकार

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चंडीगढ़ 13 जुलाई अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति —चर्चा में है डडूं/ स्वयंभू पत्रकार धर्मशाला में गिरफ्तारी के बाद उठे अनेक प्रश्नगुल्ला पत्रकार गुल्ला/ डडूं गैंग हिमाचल के हर क्षेत्र के कोने-कोने में ऐसे लोग हाथ में डडूं/0शगुल्ला लेकर अलग-अलग नाम के चैनल बनाकर घूम रहे हैं। ना उनके पास कोई स्वीकृत है ना कोई अधिकार है और हमारे राजनीतिज्ञ जो खुद को बड़े सूझबूझ वाला और दूरदर्शी समझते हैं वह उनके आगे घुटने टेक कर अपने बयान जारी करते हैं। मजेदार बात तो यहां है कि हिमाचल सरकार द्वारा बनाई गई डिजिटल मीडिया पॉलिसी की के दायरे में भी यह अधिकांश डांडू पत्रकार नहीं आते उस पॉलिसी की शर्तों को यह पूरा ही नहीं कर पा रहे हैं लेकिन फेसबुक पर अपनी तथाकथित धाक जमा कर ये समाज में ऐसे काम कर रहे हैं जिससे पत्रकारिता का प्रोफेशन पूरी तरह से बदनाम हो रहा है।इनमें अधिकांश लोग तेल पानी का खर्चा लेकर लोगों को ठग रहे हैं और कई लोग तो ब्लैकमेल कर रहे हैं। जिससे पत्रकार जमात की बेइज्जती हो रही है। जब कोई वीआईपी आता है तो गुल्ला गैंग सबसे आगे होते हैं। उल्टे सीधे सवाल पूछते हैं जिससे कई पत्रकार पीछे हट जाते हैं।इस डडूं गैंग में अधिकांश पत्रकार 10+2 तक भी पढ़ें नहीं है कुछ तो दसवीं कक्षा से नीचे ही पढ़ें हैं लेकिन फेसबुक के दम पर कुछ डडूं स्वयंभू पत्रकार अपने आप को समाज का बुद्धिजीवी वर्ग मानते हैं।ये गुल्ला/डडूं पतलकार अब किसी भी कार्यक्रम में गैंग बनाकर पहुंच रहे हैं। ये कुछ गुल्ला गैंग गलत रवैए एवं कृत्यों से दूसरे पत्रकारों को भी बदनाम कर रहे हैं। जिसके कारण अब तो अधिकांश बड़े शैक्षणिक संस्थान या राजनेता अपने कार्यक्रम में पत्रकारों को बुलाने से भी कतराने लगे हैं। क्योंकि जिन कार्यक्रम में गुल्ला /।डडूं गैंग पहुंच जाते है और और उनमें से यदि कुछ के मनमुताबिक चढ़ावा या खानपान नहीं मिलता तो बदनाम करने की धमकी देते हैं। पुलिस प्रशासन के साथ समय बिताकर ये पुलिस अधिकारी के साथ सेल्फी को भी अपना भौकाल बनाने के लिए ये खूब इस्तेमाल करते हैं।आप किसी भी सरकारी कार्यालय में चले जाओ इनमें से अधिकांश डांडू गैंग के पतलकार कर वहां आपको मौजूद मिलेंगे यह सुबह से लेकर शाम तक इनमें से कुछ पतलकार अपनी गोटिया फिट करने में लगे रहते हैं।गुल्ला/डडूं पत्रकारों के लिए सरकार के पास कोई नियम कानून नहीं है। बिडम्बना है कि बड़े नेताओं के मुंह तक में गुल्ला /माइक ठूंसने वाले इन पतलकारों से सचिवालय व सरकारी कार्यालय भी भरा रहता है और वहां तूती भी इनकी ही बोलती है। किसी दिन यदि किसी भी सार्वजनिक स्थान या कार्यालय में इनकी वजह से कुछ अनहोनी हुई तो ज़िम्मेदार कौन होगा?और सबसे सबसे मजेदार और हैरानी वाली बात यह है कि इन तथाकथित स्वयंभू पत्रकारों को यदि कोई किसी समारोह में या कार्यक्रम में नहीं भी बुलाता है तो इनका सूचना तंत्र इतना मजबूत है कि यह बिना बुलाए भी समारोह और कार्यक्रमों में पहुंच जाते हैं और फिर वहां इनमें से अधिकांशत अपना भाषण बाजी और शर्तें थोपने शुरू कर देते हैं।वहीं धर्मशाला के स्कूल की भी ऐसी क्या मबजूरी थी कि पैसे देने तक की नौबत आई…इनका चमत्कार भी साक्षात होना। चाहिए..।।. व्हाट्सएप्प यूज़र संजय शर्मा की वाल पे।।

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