अलौकिकता उपासना सिद्धियों का नाम मां कामाख्या देवी

Loading

चंडीगढ़ –आरके विक्रमा शर्मा बीरबल शर्मा — भौतिक जगत और धरा पर आदि अनादि काल से लेकर अभी तक 51 शक्तिपीठों में सिद्धपीठ मां कामाख्या देवी अपना अलग ही अलौकिक प्रकाश भरा इतिहास रखती है। यह रहस्य आज तक सनातन की परचम फैला रहा है फैला रहा है और शत्रु सनातन विरोधी आज तक इस रहस्य का पार नहीं पा सके हैं। यही उनके लिए अडिग अजेय चुनौती है। मां कामाख्या देवी यानी जननी मां का साक्षात श्रीदर्शन का सौभाग्य प्राप्त करने आस्थावान भक्तों का मां के मन्दिर हर समय तांता लगा रहता है।।

इक्यावन शक्तिपीठों में से एक मां कामख्या मंदिर में अम्बुबाची मेला आज से शुरू होगा। रहस्यों से भरा यह मंदिर अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है। मेले के तीन दिन तक ब्रह्मपुत्र के नदी का जल लाल हो जाता है।

नमो नमो कामख्या !!

कामाख्ये कामसम्पन्ने कामेश्वरि हरप्रिये।
कामनां देहि मे नित्यं कामेश्वरि नमोऽस्तुते।।

दस महाविद्याओं व शक्तियों में मां कामख्या का स्थान प्रमुख है। जब माता सती अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के यहां भगवान शिव का अपमान सहन न कर सकी तब उसने अपने देह का अग्नि में विध्वंस कर दिया। भगवान शिव माता सती के देह को अपने कंधे पर रखकर पूरे ब्रह्मांड में विचरण करते रहें। तब भगवान विष्णु ने सृष्टि के रक्षार्थ माता के शरीर को सुदर्शन चक्र से विभक्ति कर जगत के कल्याण के लिये ५१ शक्तिपीठों का निर्माण किया। यहां पर मां का योनि गिरा था।

मैं आद्याशक्ति, आदिशक्ति और पराशक्ति मां कामाख्या से जगत के कल्याण और विश्व की रक्षा के लिये कामना करता हूं।
🙏🙏🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

133497

+

Visitors