दिल्ली के पूर्वी व उत्तरी निगमों के हजारों शिक्षक वेतन से वंचित भुखमरी के कगार पर

Loading

चंडीगढ़/ नई दिल्ली:-16 मई:- आरके विक्रमा शर्मा+सुमन वैदवाल :- बुध पूर्णिमा के दिन भगवान बुध का जन्म हुआ था। इसी दिन ज्ञान प्राप्ति हुई थी।और इसी दिन महानिर्वाण को प्राप्त हुए थे। ज्ञान को अर्जित करने के लिए और फिर उसका प्रकाश दुनिया में फैलाने के लिए सर्वविदित है कि भगवान बुद्ध ने बहुत ही उच्च घराने में  और महाराजा के घर जन्म लिया था। लेकिन आपने दुनिया में फैले अशिक्षा, अज्ञान उद्दंडता, पापाचार अनैतिकता धर्म विरोधाभासों को दूर करने के लिए ज्ञान प्राप्ति का मार्ग अपनाया था। लेकिन आज दिल्ली में जो भारत देश की सर्व संपन्न राजधानी है। जहां तीन तीन  निगम कार्यरत हैं। और इन तीनों के क्षेत्रों में शिक्षा का ज्ञान बांटने वाले शिक्षक समाज का आर्थिक मानसिक शारीरिक शोषण पुर जोरों पर है। दीगर बात तो यह है कि उत्तरी और पूर्वी निगम में शिक्षक अपनी सैलरी लंबित एरियर को लेकर परेशान हैं। जबकि दक्षिण निगम में शिक्षकों को उनका वेतन और बकाया अन्य एरियर्स तक उपलब्ध हो चुके हैं। इन शिक्षकों को अपनी मेहनत इमानदारी से शिक्षा बांटने की  परिश्रमिक अर्थ राशि तक के लिए मोहताज होना पड़ा है। उत्तरी पूर्वी निगम के शिक्षकों को उनके बकाया सैलरी चिरलंबित एरियर आदि नहीं देकर शिक्षकों का बेपरवाही से आर्थिक शोषण के साथ-साथ दिमागी शोषण भी कर रहा है। और जब दिमागी शोषण और आर्थिक शोषण मिलते हैं तो घर परिवार को चलाने वाले का शरीर का संतुलन तो अपने आप प्रभावित होता है।

इसी को मद्देनजर रखते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय पर 26 मई को सवेरे 10:00 बजे शिक्षक समाज अपने सम्मान गरिमा अस्मिता और अपने रोजगार को बचाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने पर शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के बैनर तले बाध्य है।

शर्म और सोचनीय विषय तो यह है कि आखिर शिक्षकों को मिलने वाला वेतन फंड कौन कहां किस के इशारे पर  किस हेड में यूज कर रहा है। और यह यूज़ नहीं शिक्षकों की सैलरी फंड का मिस यूज है। जिस पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी का शासन है। इसके बावजूद भी शिक्षक समाज का शोषण आर्थिक तौर पर लंबे समय से चला आ रहा है। लेकिन कोई भी सरकार इस और अनिवार्य और विशेष ध्यान ना देकर शिक्षक समाज के साथ-साथ विद्यार्थियों के भविष्य से भी खिलवाड़ करने का षड्यंत्र जारी रखे हुए हैं। शिक्षा का अधिकार अपने आप में एक मजाक बनकर दोनों सरकारों के मुंह पर तमाचा जड़ रहा है। आज नौबत यहां तक आ चुकी है कि अपनी मेहनत की कमाई पाने के लिए महिला और पुरुष शिक्षकों को अनिश्चितकालीन धरना और प्रदर्शन करने पर सड़कों पर राजनीतिक पार्टियों के मुख्यालयों पर मजबूरन आग बरसाते मौसम में भिखारियों की तरह हाथ फैलाये बैठना पड़ रहा है। यह दोनों सरकारों के लिए शिक्षकों की जुबानी डूब मरने वाली बात है। आखिर शिक्षकों का सैलरी फंड किस साजिश के तहत दूसरे विकास कार्यों पर उड़ाया जा रहा है। इसकी जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। और दिल्ली में ही सर्वोच्च न्यायालय को इस गंभीर चिंतनशील समस्या की ओर भी खुद संज्ञान लेते हुए प्राथमिकता के तौर पर ध्यान देना चाहिए। और समय रहते किसी अनहोनी से पहले ही अपना शिक्षक सर्व हिताय फैसला सुनाना चाहिए।।ंं ताकि किसी शिक्षक को धन अभाव के चलते परिवार की मजबूरियों को जलते हुए आत्महत्या कर लेने का गैरकानूनी और अनैतिक कदम ना उठाना पड़े।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

132329

+

Visitors