पार्कों के रखरखाव की फंडिंग खाने में किस किस का कितना हिस्सा

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पार्कों के रखरखाव की फंडिंग खाने में कितने पंगे,हमाम में सरकारी गैर सरकारी सब नंगे तो नहीं !!
बाड़ ही खा रही खेत को,पार्क बन रहे नरक, लाखों हुए हज्म,अब लीपापोती, अफसर मुकरे, एडवाइजर तक बेखबर, विपक्ष भी मौन  
चंडीगढ़ ; 30 दिस्मबर ; अल्फ़ा न्यूज इंडिया /एनके धीमान /करण शर्मा ;——  जब बाड़ ही खेत को खाने लगे फिर तो फसलों का खुदा ही  खैर ख़्वाह !! जी हाँ आजकल ये ही सब नगर निगम में और प्रशासन सहित पुलिस में पसरा हुआ होगा तभी बड़ी मिलीभगत के चलते पार्कों के रखरखाव के लिए मुहैया करवाई जा रही फंडिंग का खुलेआम पुरे के पुरे अमाउंट को चट करने की घपलेबाजी सामने आने वाली है ! अल्फ़ा न्यूज इंडिया को भनक लगी तो अनेकों रेजिडेंट्स इसके खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए पर्दे उघाड़ते नजर आने लगे ! निगम के खाते से पार्कों की सफाई और रखरखाव हेतु बड़ी रकमों का प्रबंध कथित तौर पर एरिया के  वार्डों के पार्षदों की सहमति से उपलब्ध करवाई जा रही है !
हैरत ये  कि सरकारी पेड़ सरकारी भूमि से एमसी से कथित परमिशन से काटने का मामला भी सामने आया है पर कोई जुबान खोले क्या मजाल है ! इन सब बेतुके गैरकानूनी कामों को अंजाम देने वाले लोग खुद को सत्तारूढ़ पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता बताते हैं और उनकी ही श्रीमती जी ने हाल ही में महिला विंग का गठन भी शायद आड़ लेने की मंशा से खड़ा कर डाला ! भले भी सदस्यों के नाम पर चार चौदह सहेलियां मात्र ही हैं !
               अल्फ़ा न्यूज इंडिया ने जब पार्कों में पसरी गंदगी और कूड़े के ढेरों को फोटोज करनी शुरु की तो कथित चोर चोर मौसरे भाइयों ने एमसी में जाली बिल देने और मुहल्लों के लोगों को सफाई का ज्ञान और दो माली प्रति पार्क देने की कवायद आनन फानन में शुरू कर दी ! सेक्टर 45 ऐ में तकरीबन 15 पार्कों के रखरखाव के नाम पर हुए कथित गबन को लेकर सेक्टर वासी प्रशासक के सलाहकार परिमल राय जी से जल्दी ही भेंट करेंगे ! पार्क की फंडिंग के नाम  अगस्त सितमबर अक्टूबर और नवम्बर के लिए लाखों रूपये एमसी ने जारी किये और किसने हड़प लिए ये किसी को नहीं मालूम ये ही बदहज्मी के लिए काफी है ! हॉर्टिकल्चरल शाखा एमसी के अफसर ने  तो उक्त मामले के बारे अपनी पूरी तरह से अनभिज्ञता भी जाहिर की ! वार्ड के पार्षद से इस बारे में मोबाईल पर बात करने में कोई कामयाबी नहीं मिली ! कांग्रेसी टिकट से चुनाव लड़े उपविजेता रहे पार्षद के फोन पर सम्पर्क भी नाकाम रहा ! ये भी बताते चलें हर मुहल्ला खुद के धन से पार्कों में माली लगाए हुए हैं और खूब मेंटेन रखते हैं ! ऐसे में सवाल ये है कि एमसी से मिली फंडिंग किस की जेब भर रही है ! मामले में कब मामला दर्ज होगा कोई नहीं बोलता पर हमाम में ऊपर से निचे तक कई नंगे सरकार व् गैर सरकारी जिम्मेवार अफसर और नागरिक मिलेंगे ! मामला तो विजिलेंस के काबिल है ये फर्जीबाड़ा न जाने कब से किन किन रूपों में चल रहा है कौन जाने !  

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