चंडीगढ़ :-23 जून:– करण शर्मा /एनके धीमान:- सरकारी एंप्लाइज के चेहरे इस मर्तबा देखने वाले हैं! ना रो सकते हैं ना हंस सकते हैं। ना शाबाशी दे सकते हैं ना निंदा कर सकते हैं। हालात ही कुछ ऐसे मुखातिब हो गए हैं कि गुलाब जामुन ना मुंह में ठूंसते बने और न टपकती लार के चलते फेंकते बने।
सांप और छछूंदर की कहानी सटीक बैठती है। एंप्लाइज को छठा वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद झोली में गरमा गरम परोसा गया है। कहां तो खाने से मुंह का जायका ही सातवें आसमान पर होना था। उल्टा जो थोड़ा बहुत सूखते गले के आसपास नमी थी, वह भी जाती बनी।
खासकर पंजाब के सरकारी इंप्लाइज तो इतने दिलदार हैं कि यह खबर सुनते ही ढोल नगाड़े गाजे-बाजे लाल परी चाय पकौड़े यह जश्न आम हो जाने से लेकिन ना जाने क्यों छठा वेतन का नाम सुनते ही इनकी तो रगों में जैसे आसमानी बिजली ही कौंध गई हो। आखिर हुआ क्या, ऐसा क्यों हुआ है कि वेतन आयोग से लाभ मिलने पर चारों और मायूसी और आक्रोश व्याप्त है। इम्प्लाइज जो इस बात से खफा और हैरत में है कि उन्हें तो चंद ही नोटों का मुनाफा परोसा गया है। जबकि सारी मलाई आला बड़े अधिकारी ब्यूरोक्रेटस आदि की झोली में डाल दी गई है। छठे वेतन आयोग की घोषणाएं होते हैं तमाम दफ्तरों में बाबू झुंड बनाकर लेखा जोखा करने जुट गए और इस दौरान उनके चेहरों पर आने वाले जाने वाले हाव भाव देखकर ना हंसते बने ना हैरत में पड़ते बने।
भारी आक्रोश के चलते आज पंजाब सचिवालय के मिनिस्ट्रियल स्टाफ और टेक्निकल स्टाफ के कर्मचारियों ने बड़ी तादाद में इकट्ठे होकर सरकार विरोधी नारे लगाए।