कोरोनावायरस का दंश झेलेंगी सरकारी कर्मियों की जेबें

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चंडीगढ़:- 23 अप्रैल :- आरके शर्मा विक्रमा/ एनके धीमान/ करण शर्मा:— कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के चलते सरकारी घटनाक्रमों के मुताबिक देश आर्थिक तंगहाली में आ चुका है। और इससे निपटने के लिए जल्दी ही केंद्र सरकार अपने खर्चों में कमी की दुहाई  देते हुए सरकारी कर्मचारियों के सैलरी से कुछ भाग प्रधानमंत्री केयर्स फंड में जमा करने की हिदायतें या दिशा निर्देश जारी कर सकती है। यही नहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि इस वर्ष जनवरी से मिलने वाला 4 फ़ीसदी  महंगाई भत्ता भी रोका जा सकता है। सरकार की अंदर खाते की मंशा को भांपने का प्रयास किया जाए तो लगता है कि पीएम केयर फंड में निरंतर साल भर दान राशि ली जाती रहेगी। शायद यह उसी की एवज में है कि गवर्नर पंजाब अपनी आय का कुछ हिस्सा पीएम केयर फंड में हर महीने जमा करवाएंगे।

यह तो स्पष्ट कर दिया कि जा रहा है कि सरकारी कर्मियों की सैलरी से कुछ भाग पीएम केयर्स फंड में साल भर जमा होता रहेगा। यानी हर महीने की तनख्वाह पर सरकार की तीखी कैंची चलती रहेगी। लेकिन सरकार अपने किन-किन खर्चों पर हाथ पीछे खींचे गी इसकी लिस्टिंग अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।। और सरकार को देश में फैली इस महामारी से निपटने में अभी कितने हजार करोड़ रुपयों की दरकार है। और सरकार यह भी सार्वजनिक करें कि उसे अमेरिकी सरकार से कितने हजार करोड रुपए की वित्तीय आपदा सहायता मिली है। और देश में बड़ी-बड़ी टाटा, बिरला,रिलाइंस जैसी छोटी बड़ी हजारों इकाइयों से कितने लाख करोड रुपए एकत्रित हुए हैं। और उनका कहां-कहां किस रूप में खर्च वहन किया गया है।।

सरकारी गलियारों में यह सब खूब चटकारे ले लेकर चर्चाएं पुर यौवन पर हैं। अधिकारी चाय की चुस्कियां लेते हुए एक दूसरे की टांग खींचते हुए हंसी ठिठोली कर रहे हैं कि टेबल के नीचे से नीचे की जेबें भरने वालों को तो किसी भी तरह की कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी।। लेकिन उन धर्मवीर हरिश्चंद्र शास्त्रियों का क्या होगा, जिन्हें सिर्फ ऊपर की जेब में तनख्वाह ही नसीब होती है।

खुद को ठगा सा महसूस करने वाले ठिठुराने वाली सर्दी में रजाई कंबल गीले हो जाने की तरह बेचारे कर्मचारी मायूस हैं। और सरकार को ही सलाह दे रहे हैं कि जिन भी अधिकारियों व नेताओं को सरकारी राजस्व विभाग से तनख्वाह मिलती है; उनसे तमाम तरह के वाहन वापस ले लिए जाएं!! जैसे आम कर्मचारी अपने वाहनों से दफ्तर आते जाते हैं इनके लिए भी वही कानूनी प्रावधान निर्धारित होना चाहिए।।

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