नॉमिनेटेड पार्षदों के राइट टू वोटिंग बन्द करवा कर ही दम लेंगे भाजपा पार्षद सतिंदर सिंह

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चंडीगढ़  ;  मोनिका शर्मा /करना शर्मा ;-— नगर निगम हाउस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पार्षद पर महिला नोमिनेटेड पार्षद अरूणा गोयल द्वारा थप्पड़ उठाना अब भारी पड़ने लगा है। शहर के कई बड़े राजनेताओं का मानना है कि नोमिनेटेड पार्षदों का शीघ्र वोटिंग राइट खत्म हो, क्योंकि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्षद व वरिष्ठ वकील सतिंदर सिंह ने नोमिनेटेड पार्षदों का वोटिंग राइट खत्म कराने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मन बना लिया है। बताया जा रहा है कि अगले मेयर चुनाव में नोमिनेटेड पार्षदों का वोटिंग राइट, कोर्ट के हस्तक्षेप से खत्म हो जाएगा।
थप्पड़ की गूंज से उठे सवाल ;  भाजपा सूत्रों की मानें तो एमसी हाउस में नोमिनेटेड पार्षद अरूणा गोयल द्वारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पार्षद पर थप्पड़ उठाने से शहर के लोग बेहद नाराज हैं। इस घटना के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन ने भी खुलकर नोमिनेटेड पार्षदों के वोटिंग राइट खत्म करने की वकालत की थी। अब धवन के बाद पार्षद सतिंदर सिंह ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए नोमिनेटेड पार्षदों का वोटिंग राइट खत्म कराने के लिए हाईकोर्ट जाने की कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली है।
राष्ट्रपति को सतिंदर सिंह लिखेंगे  पत्र  ;    कुछेक खबरचियों खबरचियों की मानें तो  सतिंदर सिंह इस संबंध में कई पत्र  तैयार चुके हैं। इस संबंध में सिंह ने अगले सप्ताह सोमवार को राष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर, मिनिस्ट्री आॅफ अर्बन डेवेलपमेंट और स्थानीय प्रशासक को पत्र भेजने की तैयारी की है। इसके बाद श्री सिंह यहां से उचित समय पर सही जवाब मिलने या न मिलने की स्थिति में हाईकोर्ट में भी इस मसले को ले जाएंगे।
सतिंदर सिंह से सीधी बात  ;    इस संबंध में जब पार्षद सतिंदर सिंह से सीधी बात की गई तो उनका कहना था कि संविधान में नोमिनेटेड पार्षदों के लिए वोटिंग राइट नहीं है। नोमिनेटेड पार्षद जिस प्रकार से मेयर चुनाव या किसी मीटिंग में वोटिंग कर रहे हैं, यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सिंह ने पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि शहर में पंजाब का एक्ट लागू है। इसके बावजूद चंडीगढ़ एमसी में मेयर चुनाव के दौरान नोमिनेटेड वोटिंग का इस्तेमाल करते हैं, जबकि पंजाब एमसी चुनावों में यह व्यवस्था नहीं है। इस प्रकार से कई सालों से नोमिनेटेड पार्षद वोटिंग का इस्तेमाल कर संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता का यहां तक कहना है कि नोमिनेटेड पार्षदों को किसी अन्य मीटिंग में भी वोटिंग का अधिकार नहीं है। इसलिए संविधान की रक्षा के लिए नोमिनेटेड पार्षदों का वोटिंग राइट खत्म कराने की जरूरत है। 
 एडवोकेट सतिंदर सिंह ने फ़रमाया ;-    एक सवाल पर सतिंदर सिंह ने कहा कि  इस ओर पहले कभी ध्यान नहीं गया था। अन्यथा चार साल पहले ही नोमिनेटेड पार्षदों का वोटिंग राइट खत्म कराने के लिए हाईकोर्ट चले जाते। पर देर से ही सही अब इस मुद्दे पर काम करने की जरूरत है। अगले सप्ताह सोमवार को राष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर, मिनिस्ट्री आॅफ अर्बन डेवलपमेंट में पत्र भेजने के बाद हम हाईकोर्ट तक जाएंगे।
पूर्व केंद्रीयराज्यीय उड्ययन मंत्री धवन ने किया था  विरोध  ;    ध्यान रहे कि इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन ने नोमिनेटेड पार्षदों को मिले वोटिंग राइट को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि नोमिनेटेड होकर भी चुने हुए पार्षदों पर ये हुक्म चलाए तो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की ह्त्या हो रही है। इसलिए नोमिनेटेड पार्षदों के वोटिंग राइट खत्म हो। 
पूर्व  सांसद सत्यपाल जैन भी क्र चुके स्पष्ट  ;     एडवोकेट  सत्यपाल जैन ने  कहा कि एक्ट में नोमिनेटेड पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं है ! कई बार नोमिनेटेड पार्षदों की वोटिंग राइट खत्म करने की मांग की गई है। गत वर्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नाड्डा ने भी नोमिनेटेड पार्षदों के मताधिकार खत्म कराने की बात कही थी। 
पूर्व मेयर चावला ने भी उठाया सवाल ;    पूर्व कांग्रेसी मेयर सुभाष चावला ने भी नोमिनेटेड पार्षदों के वोटिंग राइट को खत्म करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान में नोमिनेटेड पार्षदों को वोटिंग राइट नहीं है। 
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