चंडीगढ़ 12.1.2025 आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा —आज के दौर में कोई अपना है ये ही आज शिक्षित समाज और दौर में यक्ष प्रश्न है. अपना कहने वाले ही ज्यादा लूटते और संताप देते हैं. पराया तो लिहाज करता है. अपना तो लिहाफ भी उतार लेता है. हमने थोड़ा बोला आप समझदार हैं ज्यादा समझना होगा. कभी भी बेईमान अपने से कुछ भी नहीं खरीद करो. यही मूल मंत्र है गांठ बाँध लो. अपने भी हैं धन दौलत के दौर में पर दीपक लेकर खोजने की जरूरत है जैसे पुराने जमाने में बेईमान को खोजना पड़ता था. एक अपना बन कर लूटता है और इक अपना बन कर लुट जाता है. इक माता पिता और भगवान के सिवा कोई अपना नहीं है ना ही होता है. और जो कोई अपना होगा उसको हम पहचान नहीं पाते और उसको खो देते हैं.