गीताधाम में दीन हीन कन्या गौ ब्राह्मण और दरवेशों की सेवा ही धर्मकर्म ; माताश्री
चंडीगढ़ /कुरुक्षेत्र; 3 दिसम्बर ; आरके शर्मा विक्रमा /मोनिका शर्मा ;—–कुरुक्षेत्र कर्म सहित धर्म स्थली है जिसकी महिमा का डंका त्रिलोक में बजता रहा और बजता ही रहेगा , धर्मवत ये सद्विचार कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर स्थापित ब्रह्मलीन सदगुरुदेव गीतानन्द जी महराज के गीताधाम की मौजूदा संचालिका और गुरुदेव की परम् स्नेही शिष्या माता श्री जी ने दूरदराज से एकत्रित हुए गीताधाम के प्रति आस्थावानों के साथ सांझे किये ! माताश्री जी ने सब को गीता का जीवनमोक्षदायी महत्व और प्रेरणा बिंदुओं से अवगत करवाते हुए बताया कि गुरु महराज गीतानन्दजी ने सर्वप्रथम कुरुक्षेत्र की कर्मस्थली पर गीता जयंती का श्रीगणेश किया था ! तब से लेकर अबतक अबाध रूप से गीता जयंती व्यापक स्तर पर आयोजित की जाती है ! भगवत गीता तो एक बेअथाह ज्ञान भंडार है जिसकी एक शब्द बूँद की तुलना समुन्दर से भी नहीं की जा सकती है ! गीताधाम जाति धर्म सम्प्रदाय नस्ल लिंग भेद से परे रहते हुए सबके लिए शरणस्थली के रूप में धर्म समाज और धर्म क्षेत्रों में अपना अग्रणी और सम्मानीय व् अनुकरणीय स्थान बनाये हुए है ! यहाँ गौ माता ब्राह्मण वर्ग सहित भिक्षुक समाज सबके लिए आश्रय जलपान का बुनियादी सहूलियत विद्द्यमान है ! गौ सेवा और भिक्षुक वर्ग की बेमिसाल सेवा का व्रत गीता ज्ञान ममर्ज्ञ भिक्षुक महाराज ने स्वंय प्रचलित की थी ! तब से अब तक ये परम्परा की गंगा अविरल बह रही है ! सात्विक भोजन व्यवस्था अपना सनी नहीं रखती है ! सुंदर वाटिकाएँ सुंदर फलदार पेड़ आंगन में पसरी हरी घास बरबस सबको मोहित करती है ! गौ शाला में अनुशासित गौपालन संचालकों की गहरी रूचि और गौधन के प्रति समर्पित सेवा का दर्पण है ! माता श्री अपने पूर्ववत गुरु श्रेष्ठों का अनुसरण करते हुए खुद गौशाला के कार्यों का चारे आदि का निरीक्षण करती हैं ! हर गौ बछड़े और नन्दी आदि के धर्म गणों के नाम पर नाम उचारण से पापाचार से विरक्ति होती है ! वृद्ध आश्रम में हर किसी का उम्र और लिंगभेद से दूर रहते हुए सेवा खानपान औषधि उपचार खुराक आदि का समुचित व्यवस्था देखते बनती है ! आश्रम की सेवा करने में समाज के धनी लोग उद्योगपति और समाजसेवी आस्थावान हमेशा तन मन धन से समर्पित हैं ! समाज को सही दिशा देने वाले कार्यक्रम वर्षभर निरन्तर गतिमान रहते हैं ! समाज के अपाहिज और लाचार बेसहारा गणों को भी पूरी तरजीह देते हुए उनके लालनपालन की व्यापक व्यवस्था शिक्षा पोषण प्रबन्ध आई यहाँ सर्वत्र उपलब्ध रहता है ! गरीब बेसहारा कन्याओं व् महिलाओं के लिए गीताधाम माँ के आँचल की भूमिका अदा करते हुए दूसरे आश्रमों के लिए भी प्रेरणा स्रोत्र और उदाहरण बिंदु है ! गीताधाम में पौष्टिक व् आरोग्य और सात्विक भोजन का कार्यभार माता श्री विज्ञानं जी अपने कधों पर सहर्ष सम्भाले हुए हैं ! अत; गीतधाम की वर्णन करना सूर्य को ही दीपक दिखाने तुल्य है !