प्रिय पाठकों/मित्रों, नवरात्र भारतवर्ष में हिंदूओं द्वारा मनाया जाने प्रमुख पर्व है। इस दौरान मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र तो शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र और आश्विन नवरात्र में आश्विन नवरात्र को महानवरात्र कहा जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि ये नवरात्र दशहरे से ठीक पहले पड़ते हैं दशहरे के दिन ही नवरात्र को खोला जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की देवी भागवत् पुराण के अनुसार पूरे वर्ष में चार नवरात्र मनाए जाते हैं जिनमें दो गुप्त नवरात्र सहित शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र जिसे चैत्र नवरात्र कहते हैं शामिल हैं। दरअसल यह चारों नवरात्र ऋतु चक्र पर आधारित हैं और सभी ऋतुओं के संधिकाल में मनाए जाते हैं।
शारदीय नवरात्र वैभव और भोग प्रदान देने वाले है। गुप्तनवरात्र तंत्र सिद्धि के लिए विशेष है जबकि चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए। वैसे सभी नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना महत्व है।आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता है। प्रकृति मातृशक्ति होती है इसलिए इस दौरान देवी की पूजा होती है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि संपूर्ण सृष्टि प्रकृतिमय है और वह सिर्फ पुरुष हैं। यानी हम जिसे पुरुष रूप में देखते हैं वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से प्रकृति यानी स्त्री रूप है। स्त्री से यहां मतलब यह है कि जो पाने की इच्छा रखने वाला है वह स्त्री है और जो इच्छा की पूर्ति करता है वह पुरुष है।
नवरात्र के नौ दिनों में मनुष्य अपनी भौतिक, आध्यात्मिक, यांत्रिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूर्ण करने की कामना से व्रतोपवास रखता है और ईश्वरीय शक्ति इन इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है। इसलिए आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना महत्व है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों का आरंभ वर्ष 28 मार्च 2017 के दिन से होगा | इसी दिन से हिंदु नवसंवत्सर का आरंभ भी होता है. चैत्र मास के नवरात्र को ‘वार्षिक नवरात्र’ कहा जाता है | इन दिनों नवरात्र में शास्त्रों के अनुसार कन्या या कुमारी पूजन किया जाता है. कुमारी पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओं का विधान है |
मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है। दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात उपवास खोला जाता है।
आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं। हालांकि गुप्त नवरात्र को आमतौर पर नहीं मनाया जाता लेकिन तंत्र साधना करने वालों के लिये गुप्त नवरात्र बहुत ज्यादा मायने रखते हैं। तांत्रिकों द्वारा इस दौरान देवी मां की साधना की जाती है।
चैत्र नवरात्र पर्व तिथि व मुहूर्त 2017 — चैत्र (वासंती) नवरात्र 28 मार्च से 5 अप्रैल 2017 तक मनाया जायेगा |
पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 28 मार्च 2017, दिन मंगलवार
दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि 29 मार्च 2017, दिन बुधवार
तीसरा नवरात्रा, तृतीया तिथि, 30 मार्च 2017, दिन बृहस्पतिवार
चौथा नवरात्र , चतुर्थी तिथि, 31 मार्च 2017, दिन शुक्रवार
पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 1 अप्रैल 2017, दिन शनिवार
छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 2 अप्रैल 2017, दिन रविवार
सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि , 3 अप्रैल 2017, दिन सोमवार
आठवां नवरात्रा , अष्टमी तिथि, 4 अप्रैल 2017, दिन मंगलवार
नौवां नवरात्र नवमी तिथि 5 अप्रैल, दिन बुधवार
==============================================================================
जानिए चैव नवरात्र का महत्व —
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ज्योतिष की दृष्टि से चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है क्योंकि इस नवरात्र के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं और फिर से अगला चक्र पूरा करने के लिए पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्नि तत्व वाले हैं इसलिए इनके संयोग से गर्मी की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। इसी दिन से वर्ष के राजा, मंत्री, सेनापति, वर्षा, कृषि के स्वामी ग्रह का निर्धारण होता है और वर्ष में अन्न, धन, व्यापार और सुख शांति का आंकलन किया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की नवरात्र में देवी और नवग्रहों की पूजा का कारण यह भी है कि ग्रहों की स्थिति पूरे वर्ष अनुकूल रहे और जीवन में खुशहाली बनी रहे। धार्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना अलग ही महत्व है क्योंकि इस समय आदिशक्ति जिन्होंने इस पूरी सृष्टि को अपनी माया से ढ़का हुआ है जिनकी शक्ति से सृष्टि का संचलन हो रहा है जो भोग और मोक्ष देने वाली देवी हैं वह पृथ्वी पर होती है इसलिए इनकी पूजा और आराधना से इच्छित फल की प्राप्ति अन्य दिनों की अपेक्षा जल्दी होती है।
जहां तक बात है चैत्र नवरात्र की तो धार्मिक दृष्टि से इसका खास महत्व है क्योंकि चैत्र नवरात्र के पहले दिन आदिशक्ति प्रकट हुई थी और देवी के कहने पर ब्रह्मा जी को सृष्टि निर्माण का काम शुरु किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष शुरु होता है। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी। इसके बाद भगवान विष्णु का सातवां अवतार जो भगवान राम का है वह भी चैत्र नवरात्र में हुआ था। इसलिए धार्मिक दृष्टि से चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की नवरात्र का महत्व सिर्फ धर्म, अध्यात्म और ज्योतिष की दृष्टि से ही नहीं है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी नवरात्र का अपना महत्व है। ऋतु बदलने के लिए समय रोग जिन्हें आसुरी शक्ति कहते हैं उनका अंत करने के लिए हवन, पूजन किया जाता है जिसमें कई तरह की जड़ी, बूटियों और वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने न सिर्फ धार्मिक दृष्टि को ध्यान में रखकर नवरात्र में व्रत और हवन पूजन करने के लिए कहा है बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। नवरात्र के दौरान व्रत और हवन पूजन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बढ़िया है। इसका कारण यह है कि चारों नवरात्र ऋतुओं के संधिकाल में होते हैं यानी इस समय मौसम में बदलाव होता है जिससे शारीरिक और मानसिक बल की कमी आती है। शरीर और मन को पुष्ट और स्वस्थ बनाकर नए मौसम के लिए तैयार करने के लिए व्रत किया जाता है।
=============================================================================
नवरात्र में इन मंत्रों के जपने से आपकी कई परेशानी दूर हो सकती है —
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की नवरात्र में इन मंत्रों के जपने से आपकी कई परेशानी दूर हो सकती है |माँ दुर्गा के मंत्र में बहुत शक्ति है जिससे आप कई मुसीबतों से बहार आ सकते है। जीवन में हर तरह की बाधा दूर हो सकती है। साफ और स्वच्छ दिल से मां के कुछ मंत्र का जाप कर आप अपने मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं |
इच्छा को पूरा करने के लिए –मंत्र–
ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः
माँ दुर्गा के चमत्कारी महामंत्र यह मंत्र सभी प्रकार की सिद्धि को पाने में मदद करता है, यह मंत्र सबसे प्रभावी और गुप्त मंत्र माना जाता है और सभी उपयुक्त इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति इस मंत्र में होती है।
“ॐ अंग ह्रींग क्लींग चामुण्डायै विच्चे “
यह देवी माँ का बहुत लोकप्रिय मंत्र है। यह मंत्र देवी प्रदर्शन के समारोहों में आवश्यक है। दुर्गासप्तशा प्रदर्शन से पहले इस मंत्र को सुनाना आवश्यक है।
इस मंत्र की शक्ति : यह मंत्र दोहराने से हमें सुंदरता ,बुद्धि और समृद्धि मिलती है। यह आत्म की प्राप्ति में मदद करता है।
गौरी मंत्र, लायक पति मिलने के लिए—-
” हे गौरी शंकरधंगी ! यथा तवं शंकरप्रिया,
तथा मां कुरु कल्याणी ! कान्तकान्तम् सुदुर्लभं “
सब प्रकार के कल्याण के लिये—
“सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”
धन के लिए मंत्र–
“दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥”
आकर्षण के लिए मंत्र—-
“ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही सा, बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति “
विपत्ति नाश के लिए मंत्र—
“शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”
शक्ति प्राप्ति के लिए मंत्र—-
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥
रक्षा पाने के लिए मंत्र—-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंत्र—
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
भय नाश के लिए मंत्र—
“सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥
महामारी नाश के लिए मंत्र—
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए मंत्र—
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
पाप नाश के लिए मंत्र—
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽन: सुतानिव॥
भुक्ति-मुक्ति की प्राप्ति के लिए मंत्र—–
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
===========================================================================
जानिए, ऐसे कार्यों के बारे में जो भूल कर भी नवरात्र में नहीं करने चाहिए –
मां जगदंबा की आराधना का विशेष पर्व हैं – नवरात्र। इस दौरान नियमों के पालन पर खास ध्यान देना चाहिए। उन कार्यों और गतिविधियों से दूर रहना चाहिए जो मां दुर्गा को अप्रसन्न कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है।इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं। ऐसे में हम आपको ऐसे ही कुछ बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आपको व्रत के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए या यूं कहे कि नवरात्रि के व्रत में इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। मन, वचन और कर्म में पवित्रता को स्थान देना चाहिए।
जानिए, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री से ऐसे कार्यों के बारे में जो नवरात्र में साधकों/भक्तों को नहीं करने चाहिए—
— चैत्र नवरात्री के नौ दिन (नवरात्र) में किसी की निंदा, चुगली नहीं करनी चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए और किसी के साथ विवाद नहीं करना चाहिए। इससे शरीर की सात्विक शक्ति का नाश होता है। खासतौर से जो व्यक्ति नवरात्र के उपवास कर रहा है या मां दुर्गा का पूजन करता है, उसे ऐसे कार्यों से दूर रहना चाहिए।
—- चैत्र नवरात्री के नौ दिन तक संभव हो तो इस दौरान छौंक नहीं लगाना चाहिए। छौंक से भोजन का स्वाद भले ही बढ़ जाता है लेकिन उसका तन और मन पर नकारात्मक असर होता है। इस दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए और वह भी भूख से कम करें।
— चैत्र नवरात्री के नौ दिन प्याज, लहसुन आदि का पूर्णतः त्याग करना चाहिए। तेज और तीखे मसाले, मांसाहार, मदिरा आदि तामसिक प्रकृति के पदार्थ माने जाते हैं। इनसे सदैव दूर रहना चाहिए।
—- चैत्र नवरात्र में कैंची का उपयोग कम से कम करें। इस दौरान दाढ़ी या शरीर के बाल काटने का निषेध होता है। जो नवरात्र के उपवास करता है उसे इन नियमों का जरूर पालन करना चाहिए, क्योंकि जो भक्त नवरात्र में उपवास-पूजन आदि करता है, उसके शरीर के हर अंश में भगवती का वास होता है। अतः उसे बाल-नाखून आदि नहीं काटने चाहिए।
—-कलश स्थापना करने या अखंड दीप जलाने वालों को नौ दिनों तक अपना घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
—चैत्र नवरात्र का व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए।
—काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
—-व्रत में खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। एक घर में तीन शक्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान 7 दिन पूजन नहीं करना चाहिए।रोज सुबह मां दुर्गा की पूजा और शाम में दिया जरूर जलाएं ।
====================================================
जानिए 2017 में चैत्र नवरात्री के लिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त–
शरद नवरात्रि के दौरान किये जाने वाले सभी अनुष्ठानों को चैत्र नवरात्रि के दौरान भी किया जाता है। घटस्थापना मुहूर्त और सन्धि पूजा मुहूर्त शरद नवरात्रि के दौरान अधिक लोकप्रिय हैं, लेकिन इन मुहूर्तों का चैत्र नवरात्रि के दौरान भी उतना ही महत्व होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की घटस्थापना नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण कर्मकाण्डों में से एक है। इसी से नौ दिन के उत्सव की शुरुआत होती है। हमारे शास्त्रों में घटस्थापना के लिये नियमों और दिशा निर्देशों को अच्छी तरह से वर्णित किया गया है। घटस्थापना कर नवरात्रि की शुरुआत एक निश्चित अवधि के दौरान मुहूर्त देख के ही की जानी चाहिये। घटस्थापना से भगवती दुर्गा का आवाहन कर पूजा के लिये निमन्त्रित किया जाता है और हिन्दु शास्त्रों के अनुसार गलत समय पर किया जाने वाला आवाहन देवी शक्ति का क्रोध और प्रकोप ला सकता है। अतः घटस्थापना मुहूर्त का चयन अत्यधिक महत्तपूर्ण है। घटस्थापना के लिये अमावस्या तिथि और रात्रि का समय निषिद्ध है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की घटस्थापना का मुहूर्त, प्रतिपदा तिथि में दिन के पहले एक तिहाई भाग में, सबसे उपयुक्त होता है। कुछ कारणों की वजह से यदि मुहूर्त इस समय उपलब्ध नहीं है तो घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त के दौरान की जा सकती है। नवरात्रि घटस्थापना चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दौरान टालने की सलाह दी जाती है, लेकिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग का निषिद्ध नहीं है। घटस्थापना का मुहूर्त विचार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक प्रतिपदा तिथि और दोपहर से पहले का समय है।
घटस्थापना मुहूर्त = ०८:२६ से १०:३०
अवधि = २ घण्टे ३ मिनट्स
प्रतिपदा तिथि क्षय होने के कारण घटस्थापना मुहूर्त अमावस्या तिथि के दिन निर्धारित किया गया है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ = २८/मार्च/२०१७ को ०८:२६ बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त = २९/मार्च/२०१७ को ०५:४४ बजे
=============================================================
जानिए घट स्थापना हेतु शुभ चौघड़िया मुहूर्त— 28 मार्च 2017 (मंगलवार )
०९:२९ – ११:०१ चर
११:०१ – १२:३२ लाभ
१२:३२ – १४:०३ अमृत
२६:००+ – २७:२९+चर
१५:३५ – १७:०६ शुभ
==================================================================
जानिए घट स्थापना हेतु अभिजीत मुहूर्त —28 मार्च 2017 (मंगलवार )
12:07 to 12:56 (अवधि– = 0 Hours 48 मिनट तक)
Click here to reply or forward
|