चंडीगढ़:-06 अक्टूबर:- विक्रमा शर्मा /हरीश शर्मा/ करण शर्मा+ राजेश पठानिया+ अनिल शारदा :—– पिछले कुछ अर्से से चंडीगढ़ प्रशासन और आउट सोर्सेस कर्मचारियों में तनी तनी बनी हुई है असम जस्सित का वातावरण या तो प्रशासन ने जानबूझकर बना रखा है यह कर्मचारी जानबूझकर कर्मचारी नेताओं के बहकावे में आकर शोर शराबा करते हैं यह सब रहस्य में गति है जो सुलझने का नाम नहीं ले रही है लेकिन सच बात तो यह है की कर्मचारी जो आउट सोर्स पर काम कर रहे हैं उन पर अधिकारियों की हर वक्त दहशत बनी रहती है कर्मचारी द्वारा छोटी सी गलती भी उनके लिए रोजी-रोटी से मोहताज करने के लिए काफी है अधिकारियों की मनमानी के आगे अगर कोई कर्मचारी कुछ कह देता है तो उसे अगले दिन से मत आना कह कर दो टूक जवाब दे दिया जाता है उनको संपूर्ण रुप से सुविधाओं का भी टोटा है और उनको मिलने वाली सुविधाओं का सरकार की ओर से भरपूर सप्लाई है लेकिन कर्मचारी तक वह चीजें नहीं पहुंचती हैं आखिर इसका भक्षण किस लेवल पर हो रहा है यह भी जांच का विषय है इन कर्मचारियों को मिलने वाली वर्दी का कपड़ा उसकी सिलाई साबुन गुड सरसों का तेल और जूते जैसी कई सुविधाएं प्रशासन के उच्च अधिकारी तो अप्रूवल करके देते भी हैं लेकिन इन बेचारे कर्मचारियों तक वह चीज नहीं पहुंचती है सरकारी रिकॉर्ड रजिस्टर तलब किए जाएं और उनकी जांच की जाए तो दूध का दूध पानी का पानी अपने आप हो जाता है। यही रोना इन कर्मचारियों के नेता अक्सर अधिकारियों से रोते हैं। अधिकारी अपनी जगह सही हैं कि उन्होंने सब कुछ दे दिया है।
स्थानीय कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ गवर्नमेंट एंड एमसी एम्प्लॉयज एंड वर्कर्स यूटी चंडीगढ़ ने प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल आईएएस को एक पत्र लिखा कर मांग की है कि त्योहारों के दिवस सिर पर आ चुके हैं । पर अफसोस यह कि आउट सोर्सेड वर्करों की तीन तीन महीने की पेंडिंग सैलरी नहीं मिल रही। उक्त पत्र में मांग की गई है कि प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि दिवाली से पहले सभी आउट सोर्सिंग तथा डेली वेज कर्मचारियों को सैलरी/ पेंडिंग सैलरी तथा बोनस मिल सके।
पत्र में यह भी लिखा गया है कि आउट सोर्सिंग वर्करों के संबंध में प्रशासन के आदेशों दिशा निर्देशों को कई बेपरवाह अफसर लागू ही नहीं कर रहे। सलाना कांट्रेक्ट बदलने पर वर्करों को ना निकालने वाली कंडीशन एग्रीमेंट में जान बुझ कर नही सम्मिलित की जा रही। फलस्वरूप सर्विस प्रोवाइडर कंपनीज वर्करों से नौकरी देने के लिए या तो एकमुश्त मोटी रकम या फिर हर महीने सैलरी में से कुछ हजार रुपे बताओ अपना हक जताते हुए ऐंठने में अग्रणी हो रही हैं। यही नहीं, वर्करों को अफसरों की छोटी मोटी बेकार नहीं करने पर ही निकाला भी जा रहा है।
उक्त पत्र में यह भी मांग की गई है कि अब जब यूटी प्रशासन के अपने कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू किए जा चुके हैं। ऐसे में कानूनन और मानवत आवत नैतिकता को मद्देनजर रखते हुए यूटी के सभी मुलाजिमों को भी दिवाली से पहले बोनस हाथों में थमा दिया जाना चाहिए। सही सटीक लहजे में देखा जाए तो तमाम आउट सोर्स वर्कर अपने ऊपर के अफसरों के आगे बंधुआ मजदूर सी जिंदगी जीने को हैं मजबूर। चंडीगढ़ के तकरीर में सबसे बड़े डिपार्टमेंट में आउट सोर्स वर्करों का मानसिक आर्थिक शारीरिक शोषण अवैध रूप से जारी है इन लोगों की उपस्थिति कहीं और दर्ज की जाती है और इनसे काम कहीं और लिया जाता है और अगर कोई कर्मचारी इसका विरोध करता है तो उसे तुरंत प्रभाव से आउट सोर्स जॉब से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है मरता क्या न करता बेचारे लेबर क्लास कर्मचारी घुट घट कर बंधुआ मजदूरों की जिंदगी जी रहे हैं।
कर्मचारियों के एक जुझारू नेता अश्विनी कुमार और वाई पी शर्मा ने अल्फा न्यूज़ इंडिया को बताया कि जल्दी ही आउट सोर्स और रेगुलर कर्मचारियों के शीर्ष पदाधिकारियों का प्रतिनिधि मंडल प्रशासक और प्रशासक के सलाहकार से जल्दी ही भेंट कर चिर लंबित मांगों का निपटारा करवाने की गुहार के लिए मिलने जा रहा है।