सऊदीअरब से भारतीय मृतक की देह लाने में सरकार उदासीन

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 बाड़मेर/जैसलमेर; 23 अप्रैल ; चंद्रभान सोलंकी ;—बाड़मेर जिले के काश्मीर गांव में एक युवक की आज से साठ दिन पूर्व सउदी अरब में मृत्यु हो गई। लेकिन उसका शव लाने को लेकर भारत के नेताओं के पास या तो समय नहीं है या उनकी वि  देशनीति कमजोर है।
पिछले साठ दिनों से मृतक युवक के परिवार के घर चूल्हा नहीं जला है, घरवाले नेताओं की चौखट पर जाते, हाथ जोड़ते है लेकिन बस आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिलता है। पिछले दिनों शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह ने कहा ​था कि विदेशमंत्री से बात हो चुकी है और जल्द ही युवक का शव भारत आ जाएगा। उस ​बात को भी करीब बीस दिन गुजरने को है लेकिन आज तक कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।
घर का चूल्हा बीते 60 दिन से खामोश है, घर के हर सदस्य की आंखों में आंसू सुर्ख लाल रंग में तर रहे है। घर का हर सदस्य घर आने वाले हर राहगीर की तरफ उम्मीद से देखता है लेकिन उम्मीदें बीते 60 दिनों से जवाब ही नहीं दे रही। यह है बाड़मेर जिले के काश्मीर गांव का एक युवक राजुदास के घर की स्थिति। राजदास 6 माह पूर्व कमाई करने के लिए सउदी अरब अपने रिश्तेदार के साथ गया था। लेकिन तकरीबन 60 दिन पहले 19 फरवरी उसकी वहां पर मौत हो गई। राजदास के शव के लिए परिजन बीते 60 दिनों से इधर-उधर प्रशासन और नेताओं के पास चक्कर काट रहे हैं लेकिन राहत कहीं से मिलती नजर नहीं आ रही है।
उम्मीदों और स्वर्णिम भविष्य का सपना लेकर राजूदास साल 6 माह पहले अपने साले के साथ मजदूरी के लिए सऊदी अरब गया था। 60 दिन पहले परिजनों को खबर मिली कि उसकी वहां मौत हो गई। इसके बाद परिजनों के बुरे हाल है। मृतक के भाई कुंभदास ने बताया कि उसका भाई राजू चार माह पहले ही सऊदी अरब गया था, वहां बकरियां चराने की मजदूरी कर रहा था। इसके लिए उसे हर माह 18-20 हजार रुपए मजदूरी मिल रही थी। अब 60 दिन पहले उसकी मौत हो गई, अब परिजन शव का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इतने दिन बाद भी उसका शव नहीं मिला है।
परदेस में बेटे की मौत की खबर से बीते 60 दिन से काश्मीर स्थित घर में चूल्हा नहीं जला है। परिवार के लोग बेटे का शव भारत लाने के लिए सरकार की ओर ताक रहे हैं। पिछले 60 दिन से छोटा भाई अपने बड़े भाई के शव को भारत लाने की कोशिश में जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के द्वार लगातार चक्कर काट रहा हैं, लेकिन उसे कहीं से आशा की किरण दिखाई नहीं पड़ रही।
अपना 60 दिन पहले दुनिया को अलविदा कह चुका है ,लेकिन उसकी मैय्यत के दीदार कब होंगे या नहीं होंगे। यह किसी को पता नहीं है। विदेशमंत्री के आश्वासन के बाद परिवारजनों को कुछ आस बंधी थी लेकिन अब वो भी जाती नजर आ रही है। 

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