चंडीगढ़:10 जून:- अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क प्रस्तुति:–मान लो… 100 लोगों ने माता वैष्णो देवी के दरबार में जाने का मन बनाया.
जम्मू तक पहुंचने के बाद… अब उनमें से 20 लोगों ने फैसला किया कि… अब चॉपर से कटरा चले जायेंगे.
और, 40 लोगों ने चुना कि वे कोई टैक्सी रिजर्व करके कटरा जाएंगे.
वहीं… 30 लोगों ने सरकारी बस से जाने का फैसला किया
तथा.. 10 लोगों ने तांगे से जाने का सोचा.
हालाँकि… इसमें कटरा तक जाने और माता वैष्णो देवी के दरबार तक पहुंचने के मोड अलग-अलग हैं..
लेकिन… फिर भी सभी एक ही ग्रुप के हैं..
तथा.. वे सब “श्रद्धालुओं के ग्रुप” के रूप में ही रजिस्टर होंगे.
ये एक सामान्य समझ की बात है और इसे समझने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है.
अब इस बात को थोड़ी देर के लिए यहीं छोड़ते हैं और कुछ दूसरी बात करते हैं.
आज जियो पॉलिटिक्स में भारत का कद लगातार बढ़ रहा है और भारत.. पूरे विश्व पटल पर अपने आपको एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है.
पहले जो भारत… अमेरिका और अन्य यूरोपियन देशों के सामने हाथ जोड़कर खड़ा रहता था आज उनकी आंखों में आंख डालकर बात कर रहा है.
पिग्गिस्तान को उसने हाथ में कटोरा पकड़ा दिया है और चीन को भी कोई भाव नहीं दे रहा है.
साथ ही साथ… आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि…
पूरा विश्व एक सुर से ये बोल रहा है कि… अगर ये मोदी कुछ दिन और भारत का प्रधानमंत्री रह गया तो… भारत को विश्व शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता.
तो अब सोचें कि… आखिर… मोदी को कौन हटाना चाहता होगा ?
और, जो ऐसा चाहता होगा क्या वो कभी भी भारत अथवा हिन्दू का हितैषी हो सकता है ???
सिंपल सा जबाब है …. *नहीं.*
अब इसमें जियो पॉलिटिक्स का एंगल जोड़ता हूँ…
आज पिग्गिस्तान, चीन और अमेरिका आदि को भारत का ये बढ़ता कद आंखों में बहुत खटक रहा है..
और… अरब, तुर्की, पिग्गिस्तान आदि को भारत में बढ़ता हिन्दुओं का प्रभाव खटक रहा है.
इसीलिए… ये सारे देश किसी न किसी तरह से भारत को रोकने एवं बैक फुट पर धकेलने के लिए प्रयासत है.
लेकिन… मोदी के रहते ये किसी भी हालत में मुमकिन नहीं है…
और… मोदी को हटाने का एक रास्ता है… चुनाव में मोदी को हरवाना.. जो कि जनता के सहयोग के बिना संभव नहीं है.
इसीलिए, मोदी को हरवाने के लिए पहले *जनता में मोदी के प्रति रोष पैदा करना होगा.*
लेकिन, मुसीबत ये है कि… देश का बहुसंख्यक समुदाय मोदी को अपना मानता है और जबतक ऐसा है तबतक मोदी को चुनाव में हरा पाना नामुमकिन है.
इसीलिए… इसमें खेल होता है.
*वो खेल होता है फंडिंग और टूलकिट के जरिए.*
इसमें… हिन्दुओं की ही ताकत को हिन्दुओं के खिलाफ इस्तेमाल करके हिन्दुओं को कमजोर किया जाता है.
अब, ये टूलकिट कैसे काम करता है वो समझें…
ये सबको मालूम है कि मोदी की ताकत हिन्दू हैं और कट्टर हिन्दू हमेशा मोदी को वोट करेगा.
इससे निपटने के लिए तुम्हें हिन्दुओं का विरोध नहीं करना है बल्कि उससे भी बड़ा कट्टर हिन्दू बन जाना है.
हमारे दुश्मन देशों से देश के गद्दारों (टूलकिट / स्लीपर सेल) को पैसा आता है कि तुम्हें किसी भी मुद्दे को धार्मिक एंगल देना है और उसमें ये प्रूफ करना है कि… मोदी हिन्दुओं का दुश्मन है.
इसीलिए, अधिक कट्टर हिन्दू बनकर तुम्हे मोदी का विरोध करना है.
जैसे कि… मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर बनवा दिया तो तुम्हे इसमें एंगल निकालना है कि…
ये मोदी ने नहीं बल्कि… कोर्ट ने किया है.
मोदिया तो इसको लटकाना ही चाहता था.. वो तो सुप्रीम कोर्ट के कारण मोदी मजबूर हो गया.
मोदी ने मंदिर में पूजा के दौरान गेंदा का फूल क्यों चढ़ाया, पारिजात क्यों नहीं चढ़ाया क्योंकि, भगवान राम को पारिजात का फूल पसंद है.
मान लो.. पारिजात का फूल भी चढ़ा दिया तो फिर एंगल होगा… सिर्फ भगवान राम को क्यों चढ़ाए सीता जी पर क्यों नहीं चढ़ाए ???
उसी तरह से… काशी कॉरिडोर में… कॉरिडोर बनवाये तो ठीक है लेकिन पहले आसपास का मन्दिर काहे तोड़े ?
इससे हमारे भगवान का अपमान हो गया.
ज्ञानवापी में अभी मोदी जी कुछ नहीं कहा है..
लेकिन, अगर उसमें कह भी दें कि भाई हमारे पास पक्का प्रमाण है.. दम धरो.
कोर्ट की फॉरमैलिटी पूरा होते ही मंदिर बन जायेगा.
उसमें भी एंगल निकल जायेगा कि… देखा ?
मोदिया इतना हिन्दू द्रोही है कि वहाँ हमारे महादेव ऐसी हालत में हैं और इधर मोदिया कोर्ट के जरिए ज्ञानवापी में मंदिर निर्माण रोकना चाहता है.
कहने का मतलब है कि… अब टूलकिट द्वारा हिन्दुओं का खुला विरोध नहीं किया जाता है कि मोदी हिन्दुओं के लिए इतना काम क्यों कर रहा है.
बल्कि… अब ये प्रूफ किया जाता है कि…
मोदी, हिन्दुओं के लिए कितना *कम काम कर रहा है.*
ताकि… हिन्दुओं के दिमाग में ये बिठाया जा सके कि… मोदी को हरवाने से ही हिन्दू सुरक्षित रह पाएगा.
और ये सब एंगल…. बड़े बड़े शातिर लोग बाकायदा अपने टीम के साथ बैठ कर खोजते हैं और अपने *टूलकिट के जरिए उसे ट्रेंड में लाते हैं.*
इधर… हमारे कुछ मंदबुद्धि (या फिर बेहद शातिर) मठाधीश भी *खुद को ज्यादा इंटलक्चुल दिखाने के लिए उस टूलकिट के पॉइंट को उठा कर पोस्ट कर देते हैं.*
और… जियो पॉलिटिक्स से अनजान भोले भोले हिन्दू (उनके फॉलोवर) को भी लगता है कि बात तो हमारे ये दद्दा सही ही बोल रहे हैं.
बाप रे… हमारे दद्दा कितने होशियार हैं कि इन्होंने इतनी बारीक बात भी पकड़ ली.
और… उनके वे दद्दा और फॉलोवर *लाइक्स और वाहवाही के लालच में जाने अनजाने ही उस टूलकिट का हिस्सा बन जाते हैं.*
*उन्हें अंत तक यही लगते रहता है कि… वे ये सब अपने हिन्दू धर्म और देश के लिए कर रहे हैं.*
मतलब कि… *वे खुशी खुशी उसी डाल को काटने लगते हैं जिसपर वे बैठे हुए हैं*.
और, उन्हें इस बात की खुशी भी होती है कि वे अपनी पूरी बुद्धि और बल लगाकर धर्मकार्य में जुटे हैं.
और.. ऐसे समझदार(?) मठाधीश एक दो नहीं सैकड़ों हजारों में हैं.
ऐसा आप हजारों मठाधीशों को कहते सुन सकते हैं कि… मोदिया बेकार है.
मोदिया हिन्दुओं के लिए ये गलत कर दिया.
मोदिया को नोबल चाहिए इसीलिए ऐसा कर दिया.
ये पूजा ठीक नहीं हुआ.
मंदिर का मुंह उधर क्यों कर दिया.
इस बार के चुनाव में .. बीजेपी को हरवा के उसको सबक सिखाना है… आदि आदि..
इसीलिए… *ऐसे पोस्ट और ऐसे पोस्टकर्ता से सावधान रहने की जरूरत है.*
अगर उतना कॉम्प्लिकेटेड पॉलिटिक्स नहीं भी समझना है तो सिंपल समझ लें…
भारत के *वो*.. और, भारत के दुश्मन देश पिग्गिस्तान, चीन, अमेरिका आदि किसी भी तरह मोदी को हरवाना चाहते हैं.
और, अगर आप भी वही चाहते हैं तो फिर *आपको ये बात पर फिर से सोचने की जरूरत है कि… आपकी पसंद… मियों से , पिग्गिस्तान से और चीन से क्यों मिल रही है ???*
कहीं ऐसा तो नहीं है कि… आप चीजों को समझने में गलती कर रहे हैं ???
और हाँ…. इसीलिए… लेख के शुरुआत में ही मैंने बताया कि *डेस्टिनेशन मायने रखती है कि आप क्या चाहते हैं ?*
किसी के भी पूरे पोस्ट में चाहे कुछ भी लिखा हो लेकिन पढ़ने के बाद एक बार उसका एनालिसिस जरूर करें कि *आखिर उस पोस्ट का डेस्टिनेशन क्या है..??*
अगर पोस्ट का डेस्टिनेशन … मोदी का विरोध, उसको हरवाना, बीजेपी को हरवाना, हिन्दुओं के सबसे बड़े संगठन आरएसएस को गलत बताना, विहिप, बजरंग दल, हिन्दू महासभा आदि को गलत बताना है..
तो… एक लाइन में समझ जाएं कि या तो पोस्टकर्ता उस टूलकिट गैंग का हिस्सा है या फिर वो उस टूलकिट गैंग से प्रभावित है.
क्योंकि बात बहुत सिंपल है कि…. आप जम्मू से कटरा चॉपर से जाएँ, टैक्सी से जाएँ, बस से जाएँ या तांगे अथवा पैदल ही क्यों न जाएं.
अगर आपका लक्ष्य… वैष्णो देवी है तो फिर आप… “श्रद्धालु” हैं.
क्योंकि… यात्रा का मोड मायने नहीं रखता है बल्कि *मायने रखता है… नीयत और डेस्टिनेशन.*
जिस दिन हमारा हिन्दू समाज और ‘सोशल मीडिया के योद्धा’ इस बात को समझ जाएँगे..
उस दिन हिन्दू अजेय हो जाएगा क्योंकि फिर किसी हिन्दू को किसी टूलकिट का हिस्सा बनाना संभव नहीं रह जायेगा.
साभार