चंडीगढ़:-17 मई:- राजेश पठानिया /अनिल शारदा प्रस्तुति:— हरियाणा सरकार ने महिला आईएएस अधिकारी रानी नागर को पिछले कई महीनों से ड्यूटी पर नहीं आने के कारण चार्जशीट करने का फैसला किया है। वर्ष 2014 बैच की आईएएस अधिकारी रानी वर्तमान में हरियाणा सरकार के नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआईडी) में अतिरिक्त सचिव हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ड्रीम प्रोजैक्ट परिवार पहचान पत्र समेत कई अन्य योजनाओं को लागू करने में इस विभाग की भूमिका अहम है।
नागर की एक हालिया फेसबुक पोस्ट के अनुसार वह सात अगस्त 2021 से छुट्टी पर चल रही हैं। वह तभी से गाजियाबाद में हैं। रानी नागर ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बुधवार को दूसरी बार अपने पद से इस्तीफा दिया है। जिसके बाद सरकार अब सतर्क हो गई है। हरियाणा सरकार के एक अधिकारी के अनुसार रानी नागर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लगभग एक महीने पहले ही ले लिया गया था। क्योंकि बार-बार चेतावनी के बावजूद वह डयूटी ज्वाइन नहीं कर ही हैं।
अब रानी ने दूसरी बार सात मई की तारीख डालकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पत्र के मुताबिक इसकी प्रतियां डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) और हरियाणा के मुख्य सचिव को भेज दी गई हैं। हरियाणा के मुख्य सचिव के अनुसार अभी तक उन्हें नया त्यागपत्र नहीं मिला है। सरकार द्वारा अपने स्तर पर पहले ही कार्रवाई की जा रही है। 12/5/22.
अगर यही सब मनमर्जियां लापरवाही या नैतिक और कानूनी तौर पर किसी भी विभाग के आमुख कर्मचारी ने की होती तो आज की तारीख में वह अपने घर में पढ़ा होता नौकरी छीन ली गई होती और अनेकों प्रकार की रिकवरी की गई होती। ताज्जुब इस बात का है की रानी नागरा आईएएस पर सरकार का कौन सा मंत्री यह कौन सा उच्च अधिकारी नजरें नेक बनाए हुए हैं जो इन पर आज तक अनुशासनात्मक कार्यवाही तक नहीं की गई है यह मामला पिछले साल अगस्त का है तब से अब तक रानी नागरा को कई प्रकार के नोटिस में मो आदेश जारी किए गए हैं कि वह आकर अपनी ड्यूटी ज्वाइन करें। लेकिन रानी नागरा की अपनी मनमर्जियां हैं। जिनके आगे सरकार के प्रति उनकी जवाबदेही उनकी जिम्मेवारी जीरो बनकर सरकारी तंत्र के मुंह पर तमाचा जड़ रही हैं। आखिर एक उच्च अधिकारी यानी रानी नागरा और एक आम अधिकारी या कर्मचारी के साथ दोगली नीतियां, दोहरा व्यवहार और अनुशासनात्मक कार्यवाही को लेकर भेदभाव क्यों है। क्या मौजूदा सत्तासीन सरकार रानी नागरा के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही को अंजाम देंगी। और इस मामले में केस को लिंगर आन करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी। तमाम वाक्यात बड़ी अंदर खाते मिलीभगत की ओर इशारा कर रही हैं। कानाफूसी पर ध्यान दें तो हरियाणा सचिवालय में यह कानाफूसी खुलेआम है कि ना जाने रानी नागरा पर किस मंत्री या किस उच्च अधिकारी की नजरें नेक नियति मेहरबान है। नहीं तो पारदर्शिता और ईमानदारी और सुशासन के नाम पर भारतीय जनता पार्टी का अपना चेहरा दर्पण की भांति साफ है। लेकिन हरियाणा में रानी नागरा आईएएस के केस में सब कुछ ऊंट के मुंह में जीरा से भी परे हो जाता है।