मुसीबत में साया भी साइड हो जाता,डेरा मुखी भी इससे हुए दुखी

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मुसीबत में साया भी साइड हो जाता,डेरा मुखी भी इससे हुए दुखी 

चंडीगढ़ ; 28   अगस्त ; आरके विक्रमा शर्मा ;—-डेरा प्रमुख बाबा रामरहीम ने हर मुसीबत में घिरे का साथ दिया और तन ढकने को वस्त्र और खर्च को धन और मन को मनोबल दिया तभी बाबा के प्रेमी उनके लिए जान देने को आज भी आतुर हैं ! जैसे बाबा आसाराम के अनुयायी आज भी उनका दामन बिलकुल  पाक दामन समझते मानते हुए उनकी पूजा करते हैं ठीक  अगर रामरहीम के भी  ऐसे ही करते तो बाबा दोषी करार दिए जाने के बाद इतनी गंभीर मुद्रा और चिंतनशील कदापि न दिखाई देते ! बाबा दोषी क्या करार दिए गए उनके कई चाहने वाले सिख धर्म की ओर  गतिशील होने लग पड़े हैं ! अभी तो बाबा के ऊपर लगे और दोषों का भी फैसला बाकि है तब इन प्रेमियों के मनोचित की दशा क्या होगी, इनके पिता जी भी न जानें !

 बाबा और डेरा और विवादों का चोली दामन का साथ रहा ! पर कुछ तो सच शक्ति समार्थ्य है जो करोड़ों लोगों को सम्मोहित कर रखा था ! इस सम्मोहन का सच कौन बताएगा ! आज वो बाबा को छोड़ के जा रहे हैं जो बाबा के डेरे में स्थित गुफा तक के अँधेरे राज रहस्य जानने के दावे कर रहे हैं ! जहाज क्या डूबने लगे सब भागने लगे नए बिल खोदने नहीं खोजने लग पड़े ! सरकार और सियासतदानों ने कैसे तेवर बदले सब देख रहे हैं ! पंजाब राजस्थान और हरियाणा सहित समीपवर्ती प्रदेशों की सरकारें कभी डेरे के दहलीज पर घुटने तक टेक कर लकीरें खींचते देखे  जाते रहे ! और आज जब बाबा पर मुसीबतों का वज्रपात हुए तो सब को बाबा की बुराइयां एकदम से नजर आने लगीं ! 

 यहीं नहीं बाबा के डेरे में जो भी नतमस्तक होते रहे कुछ राज जानते रहे पर तब अपने स्वार्थों की पूर्ति के चलते मौन रहे आज उनसब की खुली जुबान से भले ही कानून को कोई लाभ नहीं क्योंकि अब तो सब सामने है पर उन मौका परस्तों की सोच और जामीर भी नंगी हो रही है ! बाबा ने जो भी गुनाह किये उनकी सजा कानून दे रहा है पर जो बाबा ने इस मुल्ख और कई कौमों व् मानवता हेतु कल्याणकारी कार्यों को अंजाम दिए वो सरकारी तंत्र सोच भी नहीं सकता ! बाबा के अनैतिक कार्यों को उनके लिए छोडो, पर जो कार्यों का पुलिंदा बाबा ने जन कल्याण में बांधे, क्या उनको भी कोई यथावत जारी रख पायेगा ! इतने सिरों का साईं कोई और बन कर उनके जठराग्नि को शांत करते हुए अन्नपानी देता रहेगा ! ये भी तो  एक यक्ष प्रश्न  मुंह बाये खड़े होते जा रहे हैं !                                                                              [chhayachitroan ; sabhar]

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