श्री गीताधाम, कुरुक्षेत्र की संचालिका माता सुरदर्शन जी महाराज भिक्षु ने कहा कि दान दिए गए रक्त की पूर्ति मात्र चंद दिनों में हो जाती है तो फिर दैहिक दुर्बलता का भी सवाल ही नहीं उठता ! युवा बढ़ेगा तो समाज जगेगा ! हमारे भीतर जो असीम शक्ति है वही हमारी भक्ति और सहयोग सहित मानवीयता गुणों से सज्जित है ! फिर भला हमारे लेशमात्र उदारता और मदद के बिना किसी के प्राण कैसे जा सकते हैं ! आओ मदद के लिए अपने हाथ जरूरतमंद की ओर बढ़ाओ ! किसी जरूरतमंद की मदद करने के बाद गौरव और मानव श्रेष्ठ का भाव जागृत होता है !
आश्रम मुनि मंदिर के मुख्यपुजारी पंडित दीपराम शर्मा के मुताबिक इंसान इंसान के ही काम आता है ! तो बड़ी बात नहीं है ! बड़ी बात तो ये है कि अनेकों विपत्तियों में जानवरों ने इंसानों की जान को अपनी जान जोखिमों में डाल कर बचाया है ! एक इंसान दूसरे इंसान से जुड़ा रहे शायद इसी बजह से भगवान ने रक का विकल्प रक्त के सिवा और कोई बनाया ही नहीं है !