कोरोना से मरने वालों को अब नहीं मिल रहा श्मशान में ही स्थान

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चंडीगढ़/छत्तीसगढ़:-15 अप्रैल:- आरके शर्मा विक्रमा, एनके धीमान:– कोरोनावायरस वैश्विक महामारी ने भारत में मौत का पहला ग्रास केरल में दिसंबर 2019 में बनाया था। हो सकता है कोरोना ने भारत में इससे पहले ही एंट्री ली होगी। लेकिन एक पुष्ट आंकड़ों मुताबिक इस बीमारी से मरने वाला पहला व्यक्ति केरल का बताया गया था। यह महामारी अपने दूसरे चरण में मौतों की सुनामी लेकर देश को जहां लाशों का ढेर बनाने में तुली हुई है। वहीं पर अज्ञात कारणों से सरकारें, प्रशासन, पुलिस और जिम्मेदार और जवाबदेह विभाग मूकदर्शक बने हुए हैं। कब्रिस्तानों के बाहर मुर्दों की लाइनें लगी हुई हैं। और कब्र खोदने वालों की भारी किल्लत सामने आ रही है। इसी तरह श्मशान घाटों में भी मुर्दों को जलाने के लिए लकड़ी आदि  तादाद में अब घटती जा रही है। इलेक्ट्रिक शब्दों में शव दाह  गृह में अब मुर्दों की कतारें अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ रोगी ही अपना वैद्य साबित होगा।

प्रांत छत्तीसगढ़ के रायपुर से एक बेहद शर्मनाक दृश्य सामने आया है। यहाँ एक जिले में कचरा उठाने वाली गाडी से कोरोना संक्रमितों का शव मुक्ति धाम ले जाने की बात सामने आई है। मामला छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का है। जहा कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई। उन्हें शव वाहन तक नहीं मिला। उनके शवों को नगर पंचायत के कचरा फेंकने वाले वाहन से ले जाया गया।मिले समाचार के अनुसार डोंगरगांव कोविड केयर सेंटर में 13 अप्रैल को दो सगी बहनों समेत तीन लोगों को भर्ती कराया गया था। आरोप है कि ऑक्सीजन की कमी के चलते तीनों की कोरोना से मौत हो गई। डोंगरगांव के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी एक व्यक्ति की ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत हो गई। इन चारों शवों को नगर पंचायत के कचरा फेंकने वाले वाहन से मुक्तिधाम ले जाया गया।पूरे मामले में सीएमएचओ डॉ0 मिथलेश चौधरी ने कहा कि मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बेहद कम था। कचरा वाहन से शव ले जाने के मामले में उन्होंने कहा कि शव ले जाने की व्यवस्था सीएमओ और नगर पंचायत की है। वो ही अंतिम संस्कार के लिए शवों को मुक्तिधाम ले जाते हैं। वही सीएमओ और नगर पंचायत के ज़िम्मेदार कुछ भी बोलने से कतरा रहे है। लेकिन कोरोना को हल्के में लेने वाले और गंभीर बीमारी से बेपरवाह लोग यह समझ लें कि कहीं रावण के कुटुंब जैसा हाल ना हो जाए। जहां दीया बाती करने के लिए कोई नहीं बचा था। तो अभी भी सरकारी दिशानिर्देशों का पूर्णतया पालन करें। और अपने साथ-साथ अपने परिवार और समाज को भी सुरक्षित रखें। साभार पीएनएन ।

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