चंडीगढ़ ; 7 मई ; आरके शर्मा विक्रमा /करण शर्मा ;—– जनगणमन राष्ट्रीय गरिमा की ओज से परिपूर्ण राष्ट्रीयता का द्योतक है ! इस के रचेयता प्रथम ;नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर थे जिनको आठ वर्ष की आयु में कविता लिखने का शौक परवान हुआ था ! और सर्वप्रथम राष्ट्रपिता गाँधी ने ही अंतर्राष्ट्रीय कवि रविंद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव कह कर सम्बोधन किया था ! सो गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी की आज जयंती कृतज्ञ राष्ट्र खूब उल्लास और गर्व के साथ मना रहा है ! कलकत्ता में आज ही के दिवस इस महान साहित्य पिपासु का जन्म हुआ था ! आपने ही जनगणमन को संस्कृत और बंग भाषा में रचा था ! और इसको ही सब से पहले कलकत्ता में कांग्रेस के बड़े अधिवेशन में दूसरे दिवस गा कर सबको भावविभोर किया गया था !
रविंद्र नाथ टैगोर को अगर गुरुदेव कहा गया तो इसमें संशय भी नहीं है ! कलम के पुरोधा गुरुदेव ने साहित्य समाज के हवन में खूब बड़ी कृतियों की आहुति देकर साहित्य कुंड को समृद्ध किया है ! उन पर जार्ज पंचम की करने के लिए जनगणमन लिखने के भद्दे आरोप भी लगे थे ! और हैरत ये कि दाग आज भी उनके सफेद दामन को कलकित करते हैं ! रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने जीते दो मर्तबा इस बाबत खूब सफाई भी दर्ज करवाई थी पर कोई फर्क तक न पड़ा !
भले ही कांग्रेस आई और भारतीय जनता पार्टी व् बहुजन समाज पार्टी या अनेकों प्रांतीय पोलिटिकल पार्टीज देश का गर्व कहे जाने वाले गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को अपनी पार्टीज नई नीतियों के कारणवश भूल गईं हैं ! इससे गुरुदेव के आज भी करोड़ों चाहने वाले सरकारी और गैर सरकारी तौर पर अपने ही नहीं बल्कि अंतर् राष्ट्रीय स्तर की शख्सियत की अनदेखी कर के राजनीती और धन के प्रति लोलुपता के चिठ्ठे बन रहे हैं !