संतान प्राप्ति और संतान की स्वस्थ दीर्घायु समृद्धि के लिए मनाते हैं मां अहोई व्रत

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चंडीगढ़: 7 नवंबर: आर के विक्रम शर्मा/ करण शर्मा प्रस्तुति:–प्रत्येक वर्ष करवाचौथ के ठीक चार दिन बाद यानि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। करवाचौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए तो वहीं अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं अपने संतान की तरक्की व लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। सनातन धर्म में इस व्रत को विशेष महत्व है। बता दें इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 08 नवंबर, दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर हम आपको एक ऐसे जगह के दर्शन करवाने वाले हैं, जहां अगर कोई निसंतान दंपत्ति दर्शन करती हैं, व वहां स्थित कुंड में श्रद्धा विश्वास से स्नान करती है तो उन्हें निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है। तो चलिए आपके इंतज़ार को खत्म करते हुए बतात हैं कहां हैं ये मंदिर-

दरअसल जिस कुंड की हम बात कर रहे हैं वो और कहीं नहीं बज्र में स्थित है। जी हां, मथुरा से लगभग 26 कि.मी दूर एक कुंड स्थित है जिस राधाकुंड के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है ये कुंड का धार्मिक और पौराणिक दोनों ही दृष्टि से महत्व रखता है। कहां जाता है इस कुंड में इतनी शक्ति है कि केवल यहां डुबकी लगाने मात्र से दंपत्ति को संतान प्राप्त हो सकती है।

विशेष तौर पर यहां अहोई अष्टमी की रात 12 बजे स्नान करने का मान्यता प्रचलित है कि कोई इस समय यहां स्नान करता है तो उसे पुत्र रत्न प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष अहोई अष्टमी पर यहां महास्नान का आयोजन होता है, जिसमें हज़ारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं।

यहां श्री कृष्ण ने दिया था राधा रानी को वरदान
इस कुंड से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक बार अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप धारण कर श्रीकृष्ण पर हमला किया, जिसका श्री कृष्ण ने वध कर दिया था। इसके बाद जब श्री कृष्ण राधा रानी के पास गए तो राधारानी ने उन्हें बताया कि जब अरिष्टासुर का वध किया तब वह गौवंश के रूप में था, जिस कारण उन पर गौवंश हत्या का पाप लग गया है।

ऐसी कथाएं हैं कि इस पाप से मुक्ति का उपाय करने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड जिसका नाम श्याम कुंड था, उसे खोदा व उसमें स्नान किया। इसके उपरांत ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी राधा रानी ने भी श्याम कुंड के बगल में अपने कंगन मात्र से एक और कुंड खोदा, जिसे आज के समय में राधा कुंड के नाम से जाना जाता है। जिसमें श्री कृष्ण ने स्नान भी किया। ऐसा कहा जाता है कि यहां स्नान करने के बाद राधा जी और श्रीकृष्ण ने वहां महारास रचाया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने राधा को वरदान मांगने को कहा। तब राधा रानी जी उन्हें कहा कि जो भी इस तिथि को राधा कुंड में स्नान करे, उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो, ऐसा वरदान दें। जिस कारण अहोई अष्टमी के दिन यहां स्नान करने की परंपरा प्रचलित हुई है।

*हेमन्त किगंर से साभार।।।

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