चंडीगढ़:- 29 अप्रैल:- आरके विक्रम शर्मा/ करण शर्मा:– आज जगत प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ जी के धाम के कपाट विधि विधान और मंत्रोच्चारण पूजन आदि के साथ आज सवेरे बुधवार को खोल दिए गए हैं। यह पहला अवसर है जब बाबा केदार धाम के कपाट महज चंद लोगों की उपस्थिति में खोले गए।। केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने धाम के कपाट विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद ही खोले।। आज सवेरे 6:10 पर केदार धाम के कपाट प्रशासनिक अधिकारियों और पुजारी मंडल सहित ज्यादा से ज्यादा डेढ़ दर्जन लोगों के हाजिरी में खोले गए हैं।
कहा जाता है कि यहां पर भगवान शंकर साक्षात विद्यमान रहते हैं पर यह भी सुना जाता है कि नवंबर से अप्रैल तक भगवान और उनके गणों का यहां पर स्थाई वास है। और अप्रैल से कपाट खुलने से कपाट बंद होने तक यहां भौतिक शरीर धारी मानस पूजा अर्चना करते हैं! तब भगवान शंकर और उनके गण कितने यहां विद्यमान रहते हैं और कितने नहीं यह सवाल खुद में जवाब है।
चार धामों में से दो धाम गंगोत्री यमुनोत्री के कपाट पहले ही खुल चुके हैं और गंगा माता सहित यमुना माता के भी दर्शन मानव समाज के लिए विद्यमान हैं! और आज केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद मई के दूसरे हफ्ते में बाबा बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।
कोरोनावायरस जैसी महामारी का सीधा असर चार धामों में भी देखने को मिला। भगवान के दर्शनों के लिए पहली बार जिलाधिकारी मंगेश घड़ियाल के मुताबिक किसी भी दर्शनाभिलाषी को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति नहीं दी गई। और कपाट खुलने के वक्त मंदिर परिसर पूर्णतया सूना सूना नजर आया। पहले बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के वक्त हजारों की संख्या में ढोल नगाड़ों बैंड बाजों के साथ स्थानीय लोगों की और देश दुनिया से दूर दूर से आए बाबा के दर्शन करने वालों की भीड़ देखी जाती रही है। धाम के चारों ओर कई-कई फुट बर्फ जमी हुई है। कहा जा रहा है इस मर्तबा बर्फ भी खूब देखने को मिली है। उधर गंगोत्री यमुनोत्री धाम के कपाट 26 अप्रैल को खुल गए थे यानी रविवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए पूजा अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ इन दोनों धामों के गंगोत्री धाम के कपाट 12:35 व यमुनोत्री के कपाट ठीक 12:41 बाद दोपहर खोले गए थे। अगली 15 मई को बद्रीनाथ के कपाट खोले जाएंगे।।
पिछले साल बाबा केदारनाथ धाम के कपाट 9 मई को सवेरे 5:35 पर खोले गए थे। और बद्री धाम के कपाट 10 मई को खोले गए थे।
सिखों के हेमकुंड साहब के कपाट 2013 से हर साल 25 मई को खुलते हैं, 10 अक्टूबर को बंद होते हैं।। हेमकुंड के कपाट खोलने की घोषणा जोशीमठ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करती है।
गंगोत्री धाम के बारे में बताया जाता है कि 6 महीने के लिए गंगा माता शीतकालीन प्रवास के दौरान मुखबा गांव में निवास करती हैं। और गंगोत्री धाम के लिए पारंपरिक रीति रिवाज के साथ विदा होती हैं। उस वक्त प्राचीन रीति-रिवाजों का पालन करते हुए सवा मन( 50 किलो) का कलयू और इस क्षेत्र में पकने वाले देहाती पकवान आदि देकर मां की डोली को मुखवा के गांव वासी विदाई देते हैं! माता की उत्सव डोली आर्मी बैंड स्थानीय गाजे-बाजे और खूब धर्म उत्साह के साथ विदा होती है! दुर्गम पहाड़ी रास्तों से गांव से गुजरते हुए डोली मारकंडे पुरी में स्थित दुर्गा मंदिर में पड़ाव डालती है! और कुछ पल विश्राम करती है! और उसके बाद फिर पुराने पैदल रास्तों से निकलती हुई गंगा माता की डोली शाम को भैरों घाटी पहुंचती है! यहीं पर अटूट भंडारा और गंगा माता की जागरण संपन्न होती है।।
चार धामों में पहले मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम के लिए शनिदेव की अगुवाई में अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव से सुबह यमुनोत्री धाम के लिए निकलती है। विदाई से पूर्व विधिवत पूजा अर्चना और हवन संपन्न होता है। गंगोत्री गंगा माता की विदाई यात्रा से पहले यमुनोत्री धाम की माता जमुना देवी की यात्रा से ही चार धाम के कपाट खोलने का आगाज होता है।।। यमुनोत्री की यात्रा खर्साली गांव से शुरू होती है और यमुनोत्री धाम में जाकर संपन्न होती है।।
उत्तराखंड के गढ़वाल के जिला रुद्रप्रयाग में भगवान तुंगनाथ का मंदिर तुंगनाथ पर्वत पर विद्यमान है। इस मंदिर का निर्माण कहा जाता है 1000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। पांच केदारनाथों बाबा केदारनाथ बाबा रुद्रनाथ बाबा तुंगनाथ बाबा मध्यममहेश्वर और बाबा कल्पेश्वर में से एक भगवान शिव के एक रूप तुंगनाथ की पूजा यहां होती है।।ं भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती जी ने यहां कठोर तप किया था। उसके बाद ही भगवान शिव पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।। छायाचित्र साभार।।।।