उमड़ घुमड़ आये काले बदरा दिनभर नहीं बरसे, शाम को खूब बरसे, तन मन न रहे तरसे,
चंडीगढ़ ; ; आरके शर्मा विक्रमा /मोनिका शर्मा /कर्ण शर्मा ;—मौसम की बेरुखी पत्थरों के शहर में देखि जा रही है ! कहीं तो इंद्र इतने बरस रहे हैं कि के लिए ठिकाने भी दुर्लभ बन गए हैं ! और कहीं काले बदरा से इक इक बून्द टपकाने की गुहार लगाई जा रही है !…