चण्डीगढ:8जनवरी : – इन्सान जब मन- वचन- कर्म से एक होकर जीने लगता है तो वह मानुष जीवन कावास्तविक आनन्द उठाता है, ये उद्गार आज यहां सैक्टर 30- ए में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में देहलीसे आए सन्त निरंकारी मण्डल के सचिव, श्री सी0 एल0 गुलाटी ने सन्त समागम में हजारों की संख्या में उपस्थितश्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए । श्री गुलाटी ने आगे कहा कि इन्सान मन रूप से अन्दर व बाहर से तभी एक होता हैजब उसके मन में यह भय होता है कि परमपिता परमात्मा जो कण-कण में विराजमान है यह अन्तर्यामी भी हैऔर मेरे अन्दर क्या चल रहा है यह उस बारे में भी सब कुछ जानता है । वही इन्सान मन व वचन रूप से अन्दरव बाहर से तभी एक होता है जब वह किसी के यश-अपयश के बारे में वही शब्द बोलता है जैसा उसके मन मेंउसके प्रति भाव होता है । इसीप्रकार वही इन्सान मनवचन- कर्म रूप में अन्दर व बाहर से तभी एक होता है जबवह ऐसा कोई कर्म नहीं करता जो उसके मन के भाव व उस द्वारा अपने मुख से बोले गए शब्दों के विपरीत हो ।ऐसे व्यक्ति के मन में यदि किसी के प्रति भले की भावना है तो वह न तो अपनी वाणी से और न ही अपने हाथोंसे उस व्यक्ति के प्रति कोई दुष्कर्म करता है ! इससे पूर्व श्री मोहिन्द्र नन्दवानी ने भी सत्गुरू माता सविन्द्र हरदेव जी द्वारा दिए जारहे दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मन-वचन-कर्म से एक होकर जीने की प्रेरणा दी ! यहां के संयोजक श्री मोहिन्द्र सिंह जी ने देहली से आए गुलाटी जी का सारी साधसंगतकी ओर से स्वागत किया ।