चंडीगढ़:- 18 दिसंबर:– आरके विक्रमा शर्मा/ हरीश शर्मा :-—प्रशासन के तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों को उस वक्त अचानक दिल दहला देने वाला दुखद समाचार मिला!! जब इस तरह के समाचार की दूर-दूर तक कोई सोच भी नहीं सकता था! यह दुखद समाचार था कि चंडीगढ़ प्रशासन के सरकारी कर्मचारी सुरेंद्र जी यकलखत इस दुनिया को अलविदा कह गए। मिली जानकारी मुताबिक सुरेंद्र की उम्र महज 30 वर्ष ही थी। पुर यौवन अवस्था में उनका यू मौत को गले लगाना, सब को झकझोर गया।। सबकी भेद शून्य में ताकती आंखों में नमी की दो बूंद नम कर गया। सुरेंद्र सप्ताहिक छुट्टी के बाद आज सवेरे सोमवार को हिसार से बस द्वारा चंडीगढ़ आ रहा था कि अचानक यह जानलेवा हादसा घटा। और फिर सुरेंदर घर परिवार और दफ्तर में आकर अपने दोस्तों के साथ जमा नहीं हो सका। सुरेंद्र इन दिनों चंडीगढ़ ट्रेजरी ऑफिस में कॉमन कैडर एंप्लाइज के नाते कार्यरत था।
चारों ओर कानाफूसी का बाजार गर्म है। खबरों के मुताबिक जानकारी मिली है कि उनको सवेरे ही साइलेंट अटैक ने मौत के मुंह में धकेल दिया। संभलने का तो मौत ने जिंदगी को एक क्षण का भी अवसर नहीं दिया। मौत जिंदगी से इतनी निष्ठुर हो गई कि उसने सुरेंद्र को किसी को बुलाने का इशारा करने का मौका देना गवारा ही नहीं समझा।। हर कोई स्तब्ध है, निशब्द है। यह कैसी सुरेंद्र के परिवार के साथ अनहोनी हो गई है। सोशल वीडियो पर व्हाट्सएप ग्रुप्स में सुरेंद्र के देहावसान की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। चारों ओर से शोक संदेश सोशल नेटवर्किंग पर यहां से वहां फॉरवर्ड होने लगे। लोगों के खिले चेहरे मातम फैलाती खबर के फैलने के साथ ही मुरझा गए। वह हंसमुख सा चेहरा अतीत की याद बनकर रह गया है। लेकिन अपने पीछे ना जाने कितनी कहानियां सुरेंदर इतने ही अंदाज में कह गया है। हम सबकी भगवान से करबद्ध प्रार्थना है कि सुरेंद्र को अपने श्री चरणों में स्थान दे। और शोकाकुल परिवार को सदमे से उभरने का बल और सूझबुझ प्रदान करें। दुखी परिवार के साथ उनके शुभचिंतक और दोस्त मित्र रिश्तेदार एकजुट होकर साथ खड़े हैं। सुरेंद्र के जाने से होने वाली क्षति तो अपूरणीय है। लेकिन सब की कोशिश होनी चाहिए कि उसके परिवार को उसकी कमी ना खले। और ना ही कुछ सुलगता रहे। इसके लिए परिवार का सबल सहारा बनना सबकी प्राथमिकता हो।