चैत्र नवरात्रि के व्रती अपने व्रतों में सच्चापन सुच्चापन सहर्ष संयम का करें पालन
चंडीगढ़ : 17 मार्च : आरके शर्मा विक्रमा / मोनिका शर्मा ;—– चैत्र नवरात्र कल यानि रविवार को नव सम्वत वर्ष के साथ ही शुरू हो रहे यहीं ! रविवार को चैत्र नवरात्रि प्रथम व्रत और नवरात्रि है ! और इस दिन से पवित्र कलश की घर में धर्म रीती रिवाज और परम्परागत रूप से स्थापना पूजा विधिविधान अनुरूप की जाएगी ! उक्त चैत्र नवरात्र में भी आश्विन में होने वाले नवरात्र की तरह माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है ! और श्रद्धालू व् आठवां उपवास रखते हैं ! कुछेक एकाध दिवस नवरात्रि और कुछेक तो नौ दिनों तक नवरात्रि माता के नामित उपवास रखते हैं ! और व्रत धर्म के नियमों का बहुत कड़ाई से आत्मिक शुद्धता से पालना करते हैं ! उक्त आदिशक्ति के उक्त नौ स्वरूपों को समर्पित नवरात्रि व्रतों के व्रती को अपने व्रतों की सफलता पूर्वक सम्पन्नता हेतु बहुत सी बड़ी छोटी सावधानियों के साथ नव रात्रि का चाला पूर्ण करना चाहिए ! लेकिन बहुतायत व्रती तो व्रत रखते हैं पर अज्ञानता वश बहुत साडी गलत परम्पराओं का अनुकरण करते हुए उल्टा हानि माता रानी की शक्तियों के कोपभाजक बनते हैं ! पीपल वाली माता कलावती शिवमंदिर संस्थापक और धर्मप्रज्ञ पंडित रामकृष्ण शर्मा ने उक्त संबंधी विस्तृत जानकारी नवरात्रि के व्रतियों के हितार्थ देते हुए कहा कि आदि शक्ति के व्रत का विधान जितना सरल है उतना ही जटिल भी है ! सब बातों का ध्यान पूर्वक निर्वहन करें तो नवदुर्गे आदि शक्ति माँ को प्रसन्न करके नानाप्रकार के सुख समृद्धि अन्न धन ज्ञान संयम आत्मिक बल प्राप्त करेंगे !इन तमाम बातों पर सावधानी से ध्यान देने पर माँ की असीम मेहरबानी खूब बरसेगी ! पंडित रामकृष्ण शर्मा जी कहा कि उक्त नवरात्रि के वालों में आस्थावानों में हिन्दुओं के अलावा हिन्दू और मुस्लिम अन्य धर्म सम्प्रदाय सहित विभिन्न जाति व् मतावलम्बी भी व्रत रखते हैं ! और आदि शक्ति माँ की अनुकम्पा और मां की विशेष कृपा के पात्र बनते हैं ! कुछे विशेष सावधानियां का ध्यान रखना होगा तो माँ की अति दयालुता भरी कृपा बनी रहेगी ! 1. कम से कम नौ दिनों तक किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए और हर रोज मंदिर में जाकर माता रानी का ध्यान करना चाहिए.! 2. माता रानी का ध्यान करते समय आपका मन कर्म वाणी साफ होना चाहिए ! और मन में किसी की बुराई करने वाला विचार और किसी प्रकार की कलुषिता का भाव नहीं रखना चाहिए.! 3. नवरात्रि का कलश की स्थापना के वक़्त नारियल का मुख नीचे की ओर नहीं रखना चाहिए !यानी उसे उस तरफ से रखना चाहिए जिस तरफ से वह पेड़ से जुड़ा होता है. शास्त्रों के अनुसार, नारियल का मुख नीचे की ओर रखने से उल्टा धन की हानि होती है ! 4. धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र के दौरान माता को स्वच्छ जल, पूजा हेतु दोनों वक़्त की आती के लिए पुष्प कर्पूर मौली सिंधुर चुनरी और विशेष नित्य भोग प्रसादी अर्पित करनी चाहिए ! तभी आदि शक्ति माता रानी जल्द प्रसन्न हो जाती हैं ! 5. मां दुर्गा के सामने पूजा करने के स्थान आदि देशी गाय के शुद्ध घी से अखंड ज्योति प्रज्वलित रखनी चाहिए! 6. जो भक्तजन नौ दिवसीय व्रत क्रम नहीं रख सकते हैं, पर दुर्गा नवरात्रि शक्ति अधिष्ठात्री माँ रानी के आस्थावान व् श्रद्धावान हैं, तो सदैव नवरात्र के दौरान तमो रजो अवगुणों से परे रहते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करें ! 7. यूँ तो प्रतिदिवस दुर्गा सप्तमी का पारिवारिक सदस्य सब मिलकर खूब उत्साह प्रवक पाठ करें माँ की प्रशादी का भोग लगाएं और फिर उपस्थिति करें ! और नवरात्री के आठवें दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें ! और शुद्ध मन वचन कर्म से माता रानी का ध्यान तप जप करें ! उक्त नवरात्रि के आठवें और नवें नवरात्रि एक ही दिन हैं सो दोनों की पूजा अलग अलग करें और दोनों स्वरूपों की पूजा अर्चन भी अलग अलग सम्पन्न करें !