चिड़ियों का चितेरा संरक्षक सरकारी अनदेखी से बेपरवाह राजा विक्रांत शर्मा करता सबको जागरूक [ विश्व गैरेया/चिड़िया दिवस पर विशेष अल्फ़ा न्यूज इंडिया की प्रस्तुति]
चंडीगढ़/पंचकूला : 20 मार्च ; आरके शर्मा विक्रमा / मोनिका शर्मा /करण शर्मा ;— बाबुल असां हुन उड़ जाना- – – साडा चिड़ियाँ दा चम्बा …….. ये चिड़ियाँ क्या गुफाओं में रहती थीं और ये शेर जैसी दिखती थीं या फिर गरुड़ से भी ज्यादा विशालकाय देहधारी होती थीं – – – – -जी हाँ आने वाली नस्लें अपने अभिभावकों से यही प्रश्न करती अगर राजा विक्रांत शर्मा जैसे पर्यावरण और चिड़िया के चितेरे आज के वातावरण के संरक्षक आगे बढ़ कर नई पहल नहीं करते ! ये यक्ष प्रश्न चिड़ियों के बारे पूछे जाते पर समाज और पंछियों के चेहतों के लिए मिसाल बन कर आगे आने वाले राजा विक्रांत शुभम ने चिड़ियों [गौरेया] को नया जीवन और आश्रय देकर अनुकरणीय उदाहरण रचे हैं ! राजा विक्रांत शर्मा ने अपने जीवन और मौत के बीच संघर्ष को लाँघ कर नवजीवन पाया ! ये जीवन उन्हें लाखों दुआओं मन्नतों व् मुरादों की बदौलत नसीब हुआ ! सो, उनके अंदर द्विपदी पंछियों के लिए दाना पानी मुहैया करवाने की दया वृति ने संचार किया ! फिर राजा ने इक अंधड़ तूफ़ान और तेज बौछारों में मरी ढेरों चिड़ियों [गौरेया] को देखा; तो मुँह से ओह और दिल में आह घर कर गई ! तब से अब तक राजा विक्रांत शर्मा ने इन मासूमों प्यारी प्यारी चहकती चिड़ियों के लिए कुछ सबसे अलग इंतजाम करने के भगीरथी कदम उठाये ! अपने घर से शुरुआत करते हुए अपनी तीन मंजिली कोठी में लकड़ी के घोंसले बनाये और उनके लिए कुदरती दाने व् पीने के लिए साफ़ पानी के मिटटी के कसोरे लगाए ! एक दो चिडियो ने भूख प्यास से आकर शरण क्या ली, अब यहाँ दो दर्जन से ज्यादा चिड़ियाँ सपरिवार चहकती हैं ! राजा शर्मा खुद घोंसले बनाकर चिड़ियों के चितेरों को उनके घरों पर जाकर घोंसले देते हैं ! चिड़ियों के लुप्त होने के पीछे घरों में संकीर्ण सोच और शहरीकरण कंक्रीट को मानने वाले राजा शर्मा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने चिड़िया को तो राज्यीय पक्षीय 2012 में घोषित किया था ! पर ट्राइसिटी प्रशासन और हरियाणा सरकार सहित पंजाब सरकार ने चिड़ियों के संरक्षण हेतु क्या कदम उठाये, इस यक्ष प्रश्न पर सब चुप्पी साधे हैं ! अदिति कलाकृति हब और हॉब्बीज एंड हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम्स के ऑनरेरी चेयरमेन अवतार सिंह कलेर ने सरकारी तंत्र से पुरजोर मांग की है कि जो विलुप्ति के कगार पर आखिरी दम भरती चिड़ियों के संरक्षण हेतु रातदिन तन मन धन से है कम से कम उसको ही वित्तीय मदद देकर अपनी महती भूमिका तो निभाए ! वर्ना वो दिन दूर नहीं चिड़ियाँ भी डायनासोर जैसी फिल्मों का सबब बनेगीं ! चिड़ियों के एक अन्य चितेरे दोस्त धर्मवीर शर्मा राजू अबोहर वाले ने जानकारी देते हुए बताया की समूचे विश्व में गौरैया की छह प्रजातियां हाउस स्पैरो, स्पैनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, डेड सी स्पैरो, और ट्री स्पैरो हैं ! पर एक हाउस स्पैरो [घरेलू चिड़िया /गौरेया] ही घरों में आंगन मुंडेर छोटे पेड़ों आदि पर चहकती ही दिखाई देती है। उक्त चिड़ियों की औसतन लंबाई 14 से 16 सेमी तक से ज्यादा भी नहीं होती है ! और चींचीं चिचिं करती दुलारी सी चिड़ियों का देहभार महज 25 से 36 ग्राम तक से अधिक नहीं रहता है ।आखिर कब हम सब चेतेंगे और हमारी गैरेया यानि चिड़ियों का चम्बा वापस घरों की मुंडेरों पर चहकेगा ये सब अब हमारे हाथ में ही है ! चिड़ियों की असली सुरक्षा और संरक्षण हमारे अपने हाथों में निहित है ! आओ सब विश्व गैरेया दिवस 20 मार्च को परं लें कि हम जल्दी ही अपनी गैरेया को उसके अपने घर वापस लाएंगे तभी अपने घर आएंगे !