चंडीगढ़: 13 मई:- आरके शर्मा विक्रमा/ करण शर्मा:– जिस तरह का दुनिया में मुसीबतों का इंदौर चारों तरफ व्याप्त है! और उसकी मंजिल भी सामने नहीं है! उसका सफर भी ना मालूम कहां तक कब तक होगा! ऐसे दौर में पंडित रामकृष्ण शर्मा ने अपने छोटे से प्रयास से एक बहुत बड़ा रास्ता प्रशस्त किया है!! और आसपास के दायरे को उस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित भी किया है!! वह कहते हैं कि सामने मंजिल होती है! राही होता है! रास्ता होता है! और मंजिल तक पहुंचने का वास्ता यही मकसद भी होता है! पर यह सभी कुछ तभी शुरू होता है, जब कोई रहमत उस परमपिता परमेश्वर की उसके किसी बंदे के जरिए होती है! कोरोना वायरस महामारी यह शब्द जिंदगी का भौतिक वातावरण का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं! महामारी चारों तरफ अपना विकराल रूप धारण किए हुए मौतों का एक खौफनाक तांडव नाच रही है! दूसरी ओर इससे बचने के लिए एकांतवास जैसी एकमात्र औषधि इंसान को इंसान से जहां दूर रहने का एकमात्र विकल्प दिया है। वहीं, यह विकल्प इंसान को इंसान से जोड़ने में भागीरथी भूमिका निभा रहा है। सुबह रोजी रोटी कमाने के लिए निकलने वाले लोग शाम को दिन भर की कमाई से आटा दाल चावल लाकर, पकाकर घर के सदस्यों का पेट भरते हैं। लेकिन अब रोजमर्रा की दिहाड़ी मजदूरी आदि पर लॉक डाउन का ताला लग चुका है। यानी इस मजदूर जमात के पेट पर महामारी ने लात मार दी है। लेकिन भारत में इंसान इंसान के लिए मददगार मसीहा बनकर सामने आया है। सभी ने ठान लिया है कि उसके अगल बगल में कोई भी इंसान भूखे पेट नहीं सोएगा। उसका परिवार भूख से नहीं अकुलाएगा। यही भारत की सभ्यता व धर्म संस्कृति है।
पंडित रामकृष्ण शर्मा ने ट्राइसिटी प्रेस क्लब और सिद्ध जोगी पौणाहारी लंगर सेवा दल ट्राइसिटी आदि के नेक नियति के सदस्यों के साथ मिलकर अपने आसपास के दायरे में कुछ अलग करने की छोटी सी कोशिश को उदाहरण का एक ज्योति पिंड बना दिया है। महामारी से लोगों व पीड़ितों को बचाने के लिए अग्रिम पंक्ति के सिपहसलारों की बुनियादी जरूरतों का खयाल रखते हुए उनकी मदद का उदाहरण रचा है। इन सिपहसालारों में मीडिया प्रेस के पत्रकारों छायाकारो व कैमरामैन समाज की हिफाजत के लिए पीपीई किट बंटी गई और फिर अनेकों पत्रकारों के घरों में राशन की आमद की गई अनेकों पत्रकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं उनके लिए पंडित आर के शर्मा के मार्गदर्शन में और आर्थिक मदद के सहारे राशन चावल चीनी सरसों का तेल आटा डालें दलहन आदि की की टीम बनाकर वितरित की गई हैं यह वह पत्रकार वो छायाकार यादव होटल के यूट्यूब चैनल ओके से सुगंधित जुड़े लोग हैं जिनको कोई बंधी हुई आए नहीं है और परिवारों की तमाम जिम्मेदारियों का बोझ उठाए हुए समाज में अपनी पत्रकारिता की सेवा आकषर्ण अदा कर रहे हैं।। विडंबना या मजबूरी यह कहिए कि हर पीड़ित या प्रभावित की आवाज बनने वाले यह लोग अपनी आवाज गले से बाहर तक भी नहीं निकाल पाते हैं। इसी मजबूरी को मध्य नजर रखते हुए पंडित आर के शर्मा ने इनकी मुसीबतों मजबूरियों को नकेल डालते हुए राशन की किटें बांटी।
सुकून देने वाला समाचार यह है कि अब समाज के अनेकों समर्थ लोग, धनाढ्य वर्ग मीडिया प्रेस की कर्मचारी वर्ग की मदद के लिए पंडित रामकृष्ण शर्मा की निस्वार्थ सेवाओं से प्रेरित होकर आगे आ रहे हैं। उन्होंने अनेकों लोगों को, मीडिया के लोगों की जरुरतों की मंजिल तक, दया धर्म की राह पर चलते हुए मदद करने की अनुकरणीय प्रेरणा दी है।।