चंडीगढ़: 28 अगस्त : धर्मवीर शर्मा राजू :–पामोलिन की खपत आज-कल काफी बढ़ गई है। इससे लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सेहत से खिलवाड़ से बचने के लिए अब सरसो के तेल का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
अबोहर सेहत के लिए फायदेमंद सरसो के तेल की बिक्री किसी समय सबसे ज्यादा होती थी। महंगा होने से अब इसकी बिक्री काफी घट गई है। इसकी जगह सोयाबीन रिफाइंड और पॉमोलीन ने ले लिया है। इसमें भी पॉमोलीन की खपत तेजी से बढ़ी है, क्योंकि सस्ता होने से इसका इस्तेमाल दुकानदार धड़ल्ले से कर रहे हैं, जबकि यह सेहत के लिए हानिकारक है। इससे दिल की बीमारी होने का भी खतरा है।
सरसो का तेल महंगा हुआ तो रिफाइंड की ओर लोगों का बढ़ा रुझान
एक दशक पहले सरसों के तेल का इस्तेमाल ज्यादा होता था। बाद में यह महंगा हुआ तो सोयाबीन रिफाइंड की तरफ लोगों का रुझान बढऩे लगा। कुछ डॉक्टर भी अपने मरीजों को सरसों के तेल की जगह इसके इस्तेमाल के लिए सलाह देने लगे। इधर, चार-पांच वर्षों में पॉमोलीन की खपत तेजी से बढ़ी है।
सस्ता होने के कारण दुकानदार पॉमोलीन का प्रयोग करते हैं : व्यापारी नेता
अबोहर व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश का कहना है कि सबसे ज्यादा बिक्री पॉमोलीन की हो रही है। इसके बाद सोयाबीन रिफाइंड फिर सरसो के तेल की खपत है। वह बताते हैं कि खाने के लिए लोग सरसो का तेल और रिफाइंड ही लेते हैं। सस्ता होने के कारण दुकानदार पॉमोलीन का प्रयोग करते हैं। समोसे, नमकीन, टिकिया, सेव आदि बनाने में इसी का इस्तेमाल हो रहा है।
क्या है पॉमोलीन
पॉमोलीन की खेती मलेशिया और नेपाल में होती है। सोयाबीन की तरह इसकी भी खेती होती है। इसमें से निकलने वाले फलों की पेराई करके पॉमोलीन तैयार किया जाता है।
खास बातें
-सरसो का तेल कच्ची घानी-1460 रुपये में 15 किग्रा.। प्रतिदिन की खपत लगभग 50-60 टन
-सोयाबीन रिफाइंड-1300 रुपये में 15 लीटर। प्रतिदिन की खपत लगभग 70-75 टन
पॉमोलीन-1100-1125 रुपये में 15 किग्रा। प्रतिदिन खपत लगभग 95-100 टन
बोलीं डॉयटीशियन मनीषा
अस्पताल के डॉयटीशियन मनीषा व सोनु कहता हैं कि पामोलीन के अधिक इस्तेमाल से दिल की बीमारी होने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि इसमें सेचुरेटेड फैट ज्यादा है। इसका प्रयोग पिज्जा समेत तमाम फास्टफूड में हो रहा है।