वृक्ष अर्जुन की जड से निकलता नीरोगी पानी चार गांवों का है जीवन आधार

Loading

कोरबा : 16 मई : आरके शर्मा विक्रमा प्रस्तोता :—छत्तीसगढ़ के कई इलाके पेयजल संकट से जूझ रहे है। वहीं कोरबा के अर्जुन पेड़ की जड़ से अनवरत पानी निकल रहा। यह प्राकृतिक जलस्त्रोत करीब 100 साल से भी अधिक समय से चार गांव के एक बड़ी आबादी की प्यास बुझा रहा। पेड़ के जड़ में ही पाइप लगाकर तीन अलग-अलग स्थानों पर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्राकृतिक अजूबे को कोरबा जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर ग्राम कोरकोमा में देखा जा सकता है।

भीषण गर्मी पड़ने पर जब गांव के आसपास के जल स्त्रोत सूख जाते है, तब भी यहां पानी की धार कम नहीं होती। लोगों ने इसे तुर्री पानी का नाम दिया है। गांव के राठिया मोहल्ले से निकली तुर्री जल धारा पर गांव के लगभग 6500 लोग निर्भर है। खास बात यह है कि पानी इतना शुद्ध है कि इसे बिना छाने या उबाले पीने के उपयोग में ग्रामीण कर रहे हैं। इसके अलावा पानी का उपयोग सुबह-शाम निस्तारी के लिए भी करते है।

अर्जुन औषधी गुणों से भरपूर इसलिए स्वच्छ पानी

अर्जुन पेड़ के जड़ से स्वत: निकल रहे स्वच्छ जल को लेकर कई वैज्ञानिक रहस्य छिपे हुए है। आयुर्वेद डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि अर्जुन पेड़ कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर है। नदी-नालों के किनारे यह पेड़ पाया जाता है। इस पेड़ के छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से हृदय रोग से बचा जा सकता है। डॉ. गुप्ता का मानना है कि इस पेड़ के जड़ से गुजरकर पानी निकल रहा है, इसलिए स्वच्छ है।

स्टाप डैम का हो रहा निर्माण, 817 एकड़ खेत लहलहाएंगे

बाकी समय यूं ही व्यर्थ बह जाने वाले पानी का उपयोग करने प्रशासन ने योजना बनाई है। नजदीक में ही स्टाप डैम का निर्माण किया जा रहा। इसके लिए 44 लाख 21 हजार का आवंटन जल संसाधन विभाग को किया गया है। स्टाप डैम का 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है। इस बारिश में तुर्री पानी व बारिश के पानी से डैम का भराव होगा। इसके साथ ही कचांदी, ढेंगूरडीह, बुंदेली व कोरकोमा के करीब 817 एकड़ कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी।

मिलेगा दोहरे फसल का लाभ

कोरकोमा के वनों में तुर्री व छोटे-छोटे कई जल स्त्रोत है। इन स्त्रोतों से किसान सीमित तादाद में सब्जी की खेती करते है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ज्यादातर किसान वनोपज पर निर्भर है। जल संरक्षण की पहल से किसानों को दोहरे फसल का लाभ मिलेगा। धान की फसल के अलावा सब्जी की खेती को विस्तार मिलेगा।

सूखा पडा है तालाब

कोरकोमा में एक ओर अनवरत प्राकृतिक जलस्त्रोत बह रहा है। वही आसपास के तालाब और कुएं सूख गए है। अभी बीते वर्ष ही 6.88 लाख की लागत से तैयार किया गया तालाब पूरी तरह से सूख गया है।

जड को जितना पानी उतनी लंबी आयु

बॉटनी के प्रोफेसर दिनेश कुमार का कहना है कि अर्जुन के पेड़ की प्रकृति पानी के लिए अनुकूल होती है। जितना ज्यादा इसकी जड़ों को पानी मिलता है, यह उतनी लंबी आयु तक विकसित होता जाता है। चूंकि पानी का स्त्रोत जड़ के नीचे से ही है, इसलिए यह उसके लिए ज्यादा लाभकारी है। यह भी कहा जाता है कि जिन स्थानों पर यह वृक्ष उग आता है, जमीन के नीचे या उपर पानी के स्त्रोत भी होते है। यह वृक्ष औसतन 100 से 120 साल तक जीवित रहता है।

बुजुर्ग ने कहा – पूर्वज भी करते थे इस्तेमाल

गांव में ही रहने वाली 72 वर्षीय शोभाराम पटेल का कहना है कि वह बचपन से ही जल के स्त्रोत को देख रहा है। उनके पूर्वज भी इस स्त्रोत का इस्तेमाल करते थे, इसलिए मैं यह दावे से कह सकता हूं कि 100 साल से भी अधिक समय से कोरकोमा में यह जलस्त्रोत बह रहा है। कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि इसकी धार रूक जाए।.( साभार अ.छ.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

131217

+

Visitors