लक्की शर्मा की लेखनी ने समझा जाती दीवाली का मर्म

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चंडीगढ़ 2 नवंबर आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति— चंडीगढ़ स्टेट ऑफिस बिल्डिंग सेक्टर 17 के पिछवाड़े बैठने वाले ओथ कमिश्नर और टाइपिस्ट, अर्जी नबीस, एफिडेविट पेपर वेंडर्स आदि में लक्की शर्मा का नाम समाज सेवा धर्म परायणता और अनपढ़ अंजान लोगों का सही मार्गदर्शन करने में बड़े सम्मान से लिया जाता है। लक्की शर्मा बड़े सवेरे ही अपने परिवार की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाये डीसी ऑफिस बिल्डिंग के पिछवाड़े बैठे वकीलों में लगी अपनी कुर्सी पर बैठने से पहले निरीह जीव जंतुओं व बंदरों को, चिड़ियों को, चीटियों को अक्सर चारा खाना डालते देखे जाते हैं। उन्हीं की कलम से निकली कुछ दीपावली को समर्पित पंक्तियां अल्फा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से स्थानीय सीनियर जर्नलिस्ट आरके विक्रमा शर्मा प्रस्तुत कर रहे हैं।

दिवाली जा रही है! अगले साल, आने के लिए !! जाते जाते दे रही है! कुछ संदेश, निभाने के लिए !! दिवाली कहती हैं कि मेरे जाने के बाद भी चंद दीपक जला के रखना! एक दीपक आस का ! एक दीपक विश्वास का ! एक दीपक प्रेम का ! एक दीपक शांति का ! एक दीपक मुस्कुराहट का ! एक दीपक अपनों के साथ का! एक दीपक स्वास्थ का ! एक दीपक भाईचारे का ! एक दीपक बड़ों के आशीर्वाद का ! एक दीपक छोटों के दुलार का ! एक दीपक निस्वार्थ सेवा का! और इन ग्यारह दीपकों के साथ बिताना आप अगले ग्यारह महीने !! मैं, फिर अगले साल आ जाऊंगी फिर से एक दूसरे के साथ मिल कर आप मेरे नए दीपक जला लेना !!
शुभचिंतक वो नही होते जो आपसे रोज़ मिलें और बातें करें..
शुभचिंतक वो हैं जो आपसे रोज़ ना भी मिल सकें फिर भी आपकी सुख समृद्धि और ख़ुशी के लिए प्रार्थना करें…….!! मैं, आपकी सुख समृध्दि और ख़ुशी के लिए ऊपर वाले से प्रार्थना करता हूँ.!

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