Book on Black Money to increase literacy in Indian youth on the subject

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इंडियन यूथ में काले धन पर साक्षरता बढ़ाने के
लिए ब्लैकमनी पर किताब
नई दिल्ली :  दिसंबर ; अल्फा न्यूज इंडिया :——- मनी वरीज की नई किताब “द ब्लैक, वाइट एंड ग्रे-रिकलरिंग द रुपया” को 20 वर्षीय सीए बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाले प्रगुन जिंदल ने लिखा
है। यह एक तरह की बिगनर्स गाइड है, जो ब्लैक मनी के खतरे पर भारतीयों, खासकर
नौजवानों को शिक्षित करने के लिए लिखी गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री मनीष
तिवारी और वरिष्ठ पत्रकार और सर्वश्रेष्ठ सामाजिक और आर्थिक कमेंट्रेटर श्री
प्रणंजय गुहा ठाकुरता की गरिमापूर्ण मौजूदगी में पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
सभी इस बात से सहमत हे कि काला धन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख श्राप
है। कई अर्थशास्त्रियों ने संकेत दिया है कि अगर भारत में ब्लैकमनी का फ्लो रोक
दिया जाता है या उस पर लगाम लगाने में सफलता मिल जाती है तो हमारी अर्थव्यवस्था
पूर्व में रही विकास दर से कई गुना तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगी। 500 और 1000 के बड़े
नोटों को बैन कर मौजूदा सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, लेकिन यह लड़ाई अभी
शुरू हुई है। इसके बाद उठाए जाने वाले कदमों से ही पता चलेगा कि हमारे देश को इस
ब्लैकमनी के खतरे या जंजाल से छुटकारा मिलता
है या नहीं। 

हालांकि मौजूदा सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से देश में इस समय ब्लैकमनी के
खतरे पर सारा ध्यान फोकस हो गया है, लेकिन हम महसूस करते हैं कि इस मुद्दे पर अभी
काफी विचार-विमर्श की जरूरत है। ब्लैकमनी के बारे में बहुत सारे झूठ, अनजान तथ्य
और आधारहीन अफवाहें चल रही है। ब्लैकमनी के मुद्दे पर भारतीय नागरिकों और भारतीय
नौजवानों के दिमाग में छाया भ्रम और कोहरा हटाने के लिए उन्हें बहुत ज्यादा शिक्षित
करने की जरूरत है। यह किताब बिगनर्स स्टाइल में इन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश
करती है।
इस पुस्तक में लेखक अंधेरे संसार
की परतें उधाड़ता है, जो समानता पर आधारित समाज को नष्ट कर देती है। इसमें अमीर
व्यक्ति अंधेरे में रहकर और गलत तरीके से पैसे कमाकर और ज्यादा अमीर बनता जाता है
और गरीब हाशिए पर पहुंचता जाता है। अपने कारनामों या काले धंधों पर अंधेरे का
पर्दा कायम रखने वालों के पास बहुत ही शातिर तरकीबें हैं। और हर बार जब अंधेरे का
पर्दा हटाने की कोशिश की जाती है, उनकी चाल और ज्यादा शातिर होती जाती हैं।
“द ब्लैक, वाइट एंड ग्रे” के लेखक प्रगुन जिंदल कहते हैं, “किसी अपराध की तरह गरीबी केवल गरीब लोगों को ही प्रभावित करती है। बेरोजगारी
केवल उन्हीं पर असर डालती है, जिनके पास कोई रोजगार या नौकरी नहीं है। शराब या
ड्रग्स केवल उन्हीं पर असर डालती है, जो इसका सेवन करते हैं,  पर  ब्लैकमनी
एक अड़चन, रुकावट और बाधा है, जो उन लोगों पर प्रभाव नहीं डालती, जो काला धन एकत्र
करते हैं, पर यह विशाल आबादी में से आम जनता पर प्रभाव डालती है। प्रगुन कहते हैं
कि मनी के ब्लैक और वाइट शेड की तरह ग्रे शेड्स भी होते हैं और मेरी पुस्तक इस पर भी
प्रकाश डालती है।
यह किताब उस संसार की ओर देखती
है, जो परछाइयों में फलती-फूलती है। नोटों से उसे ईंधन मिलता है। यह अंधेरे में ही
एक से दूसरे हाथ में ट्रांसफर होती जाती है और इसकी कोई रिपोर्ट नहीं होती। इसे ही
कालाधन कहते हैं।
मनी वरीज के चेयरमैन और जिंदल
इक्विटी रिसर्च के निदेशक अखिल जिंदल ने कहा, “हम इन 2 रंगों, काले और सफेद रंग के संसार में कुछ
रंग तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। जब पैसों के रंग की बात आती है तो ये और छिप जाता
है और इसकी कहानी और भी दिलचस्प हो जाती है। हमें अक्सर सुनाई देता है कि बेनामी
बैंक अकाउंट, छुपा रुस्तम टाइम के लॉकरों, दूसरे देशों के गुप्त बैंक खातों के
अलावा बड़े बिजनेसमैन, भ्रष्ट अफसर, माफिया और कुछ ईमानदार नेता अपनी ब्लैकमनी
इंपोर्टेड कारों की बड़ी-बड़ी डिक्कियों में छिपा कर रखते हैं। प्रगुन ने बहुत
अर्थपूर्ण ढंग से यह किताब लिखी है, जिसमें ब्लैकमनी के सभी पहलुओं पर चर्चा के
अलावा विश्व में बिटक्वाइन जैसी नई करंसी की भी बात की गई है।“

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