गरीबी ओर भुखमरी से जूझता मेरा भारत महान,21 वीं सदी का व्याख्यान

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कुरुक्षेत्र  ; 6 जनवरी ; राकेश शर्मा / अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;—— 

गरीबी ओर भुखमरी एक ऐसी समस्या है जो  किसी भी देश की तरक्की ओर विकास में बाधा बना हुआ है ओर भारत भी इस समस्या से अछुता नही है। भारत में भुखमरी ओर गरीबी पर खुब राजनीति होती रही है ओर होती रहेगी जिस हिसाब से देश की आबादी बढ़ रही है उस हिसाब से 2026 तक भारत की आबादी 150 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है। ओर इसका सीधा असर शिक्षा,स्वास्थय सेवाऐं,ओर वितिय संसाधानों पर पडेगा। 
देश के 60 प्रतिशत गरीबी बिहार, झारखंड़़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, उतरप्रदेश, ओर उतराखंड राज्यों में रहती है। 
इन राज्यों की बात करे तो भुखमरी ओर गरीबी का एक कारण है खेती पर निर्भरता जब खेती को बाढ़ ओर सुखे से इनको नुकशान उठाना पड़ता है तो ये लोग पलायन को मजबुर हो जाते है जिससे गरीबी ओर भुखमरी के कारण ओर प्रबल हो जाते है। 
हाल ही में सयुक्तं राष्ट्र ओर विश्व बैंक ने गरीबी को मिटाने के लिए अध्ययन किया ! और  अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए जिन तथ्यों का जिक्र किया है वह बेहद चौकने वाले है रिपोर्ट में कहा गया है दुनिया के 38.5 करोड़ बच्चे बेहद गरीब है अफ्रीकी महाद्वीप में 50 प्रतिशत गरीब बच्चें है जो पहले स्थान पर आता है ओर दुसरे स्थान पर दक्षिण एशिया आता है जहां पर 36 प्रतिशत बच्चें गरीब है ओर तीसरे स्थान पर भारत आता है जहां पर 30 प्रतिशत बच्चें गरीब है जो कि बेहद चिंता का विषय है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में यह हालत ओर भी चिंताजनक बनी हुई है यहंा हर 5 में से 4 बच्चों को भुखमरी छेलनी पड़ रही है। 

भारत देश में सबसे ज्यादा गरीबी की मार बच्चों को छेलनी पढ़ रही है आजादी से अब तक ना जाने कितनी योजनाऐं गरीबी को कम करने के लिए चलाई गयी लेकिन समस्या का सही तरह से निपटारा नही हो पाया 
गरीबों की पहचान करने के लिए अनेक सरकारी कदम उठाये गये ओर इस कदम की शुरूआत सबसे पहले वर्ष 1962 में की गयी जिसमें गरीबी रेखा समिति का गठन किया गया ओर उसके बाद वर्ष 1977 में वाई के अलघ समिति, वर्ष 1989 मेंं लकड़ा वाला समिति, वर्ष 2005 में सुरेश तेदुंलकर समिति, वर्ष 2009 में एन सी सक्सेना समिति, वर्ष 2010 एस आर हाशिम समिति, ओर वर्ष 2012 सी रंगराजन समिति बनाई गयी थी समितियों ने गरीबों का पैमाना तय करने के लिए अलग अलग रिपोर्ट बनायी ओर सुरेश तेंदुलकर समिति ने माना कि शहर में 33 रूपए रोजना ओर गांव में 27रूपए रोजना खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नही है। समिति के अनुसार देश में 27 करोड़ गरीब है। 
सी रंगराजन समिति के अनुसार अपनी रिपोर्ट में कहा कि शहर में 47रूपए ओर गांव में रोजना 32रूपए खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नही है ओर देश में कुल गरीबों की संख्या 36 करोड़ है। 
कोलकता के एशियाटिक सोसायटी के सैमिनार मे खुद देश के उप-राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद असांरी ने गरीबी ओर भुखमरी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि 1973 से 2004-05 के बीच गरीबी में 54.9 फीसदी की गिरावट आई है। बीते दशक में इसमें सुधार हुआ है पर उतना नही जितना होना चाहिए था उन्होने कहा कि लैगिगं जातियां और धार्मिक चुनौतियां ओर बढ़ जाएगी। गांव और शहरी की खाई को मिटानी होगी बुनियादी सुविधाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाना होगा। 
यदि देश को गरीबी ओर भुखमरी से निपटना है तो सबसे पहले हर योजनाओं को धरातल तक  पहुचांना होगा जहां उसकी सही मायने में जरूरत है। शिक्षा ओर स्वास्थय सेवाऐं जन जन तक पहुचानें से शायद गरीबी ओर भुखमरी को कम किया जाऐं। ओर यदि हम अमीरी ओर गरीबी को खाई को खत्म करने में कामयाब हो जाते है तो गरीबी ओर भुखमरी से भी निपटना आसान हो जाएगा………!

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