हरियाणा कर्मचारी महासंघ का आंदोलन 20 जनवरी से : धनखड़

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सरकार ने यदि समय रहते मांगे नहीं मानी तो विधानसभा सत्र पर निर्णायक आंदोलन की घोषणा : वीरेन्द्र सिंह धनखड़
चंडीगढ़/पंचकुला,  :17 जनवरी : आरके शर्मा विक्रमा /मोनिका शर्मा ;—– हरियाणा कर्मचारी महासंघ का दूसरे चरण का आंदोलन 20 जनवरी से। राज्य का कर्मचारी वर्ग अपनी मांगो विशेषकर छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर न करने के विरोध में फिर सडक़ों पर उतरकर सरकार का विरोध करेगा। संगठन के प्रांतीय महासचिव वीरेन्द्र सिंह धनखड़ व वित्त सचिव दिलबाग अहलावत ने कहा कि 20 जनवरी को अम्बाला कमिश्ररी का कार्यक्रम अम्बाला कैंट बस स्टैंड पर आयोजित किया जायेगा। जिसमें अम्बाला कमिश्ररी के तहत आने वाले जिले क्रमश: पंचकुला, यमुनानगर, कैथल, कुरूक्षेत्र व अम्बाला के सभी विभागों के कर्मचारी हजारों की संख्या में भाग लेंगे।
प्रांतीय महासचिव ने बताया कि सातवें वेतन आयोग बारे हरियाणा की सरकार देश में सबसे पहले लागू करने का ढ़ोल पीट रही है जबकि सच्चाई यह है कि हरियाणा में बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों एवं सेवा निवृत्त कर्मियों को अब तक सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया है। वैसे भी जब तक पिछली विसंगतियां दूर नहीं हो जाती, राज्य के कर्मचारी वर्ग को दिये गये सातवें वेतन आयोग का कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला। कमिश्ररियों पर किये जाने वाले विरोध प्रदर्शन का विधिवत रूप से राज्य की सरकार को भी नोटिस भेजा जा चुका है। जिसमें मुख्य मांगों में विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार समान काम – समान वेतन की नीति लागू करना। कच्चे कर्मियों को नियुक्ति तिथि से पक्का करना तथा पंजाब के समान वेतनमान लागू करना। छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करते हुए अधिकारियों व कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग समान अनुपात से लागू करना। मैडिकल, कैशलेस सुविधा अधिसूचित करना, सभी विभागों के रिक्त पदों को नियमानुसार स्थायी व पक्की भर्ती करना। जन विभागों का आकार कार्य क्षेत्र अनुसार बढ़ाना तथा निजीकरण व ठेकाकरण जैसी जनविरोधी नीतियों पर रोक लगाते हुए महासंघ द्वारा सौंपे गये 24 सूत्रीय मांग पत्र को शीघ्र लागू करना। अन्यथा अम्बाला कमिश्ररी के बाद राज्य की बची हुई सभी कमिश्ररियों पर भी विरोध प्रदर्शन करते हुए आयुक्त मंडलों के माध्यम से मांगो बारे ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम सौंपा जायेगा।
प्रांतीय महासचिव ने कहा कि इसके उपरांत भी यदि सरकार लोकतांत्रिक तरीके से वार्ता की मेज पर मांगों व समस्याओं का समाधान नहीं करती है तो हरियाणा कर्मचारी महासंघ जो राज्य के सरकारी कर्मचारियों का सबसे बड़ा संगठन है आगामी विधानसभा सत्र में प्रदेश में निर्णायक आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा।

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