पहली कंधे की रिवर्स रिप्लेसमेंट (जोड़ बदलने की) सर्जरी सफलता से की

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लुधियाना ; 6 मार्च ; अजय पाहवा ;—– एस.पी.एस अस्पताल लुधियाना के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के प्रमुख डा. हरप्रीत एस गिल द्वारा कंधे की जटिल रिवर्स रिप्लेसमेंट सर्जरी को अंजाम दिया गया है। डा. गिल के मुताबिक दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र में यह सर्जरी पहली बार की गई है। 
कंधे की रिवर्स रिप्लेसमेंट, जो मसल टियर होने कारण कंधे में आर्थराइटिस/गठिया के केसों या फिर कंधे से संबंधित जटिल समस्याओं के मामले में, वृद्ध आयु में कंधे में होने वाले फ्रैक्चरों के ईलाज की नई तकनीक है। जब उनमें कंधे की सामान्य रिप्लेसमेंट नहीं हो पाती है।
इस क्रम मेें यह सर्जरी पटियाला से संबंधित एक 72 वर्षीय महिला को की गई है। उन्हें बीते 8-10 सालों से कंधे में दर्द की समस्या थी और उन्होंने कई तरह के ईलाजों का प्रयोग किया था, जिनसे उनकी परेशानी दूर नहीं हो सकी थी। इसके चलते, उनके कंधे की हर तरह की मूवमेंट खत्म हो गई थी और यहां तक कि कंधे को थोड़ा-सा मोडऩा भी दर्द का कारण बन जाता था। वह बहुत ज्यादा दर्द होने के चलते कई घंटे सो भी नहीं पाती थी और उनकी रोजमर्रा की गतिविधियां भी ठहर सी गई थीं।      

 अब कंधे की रिवर्स रिप्लेसमेंट के दो माह बाद, वह दर्द से मुक्त हैं और उन्होंने अपने कंधे की मूवमेंट को दोबारा हासिल कर लिया है।अमेरिका के जोन्स होपकिन्स युनिवर्सिटी अस्पताल में प्रशिक्षण हासिल करने वाले डा. गिल का इस संबंध में कहना है कि पश्चिम में भी इस तरह की कंधे की रिप्लेसमेंट करीब 10 साल पहले ही शुरू हुई है और अब यह सामान्य बात बन चुकी है। हालांकि, भारत में यह सर्जरी अभी भी शुरूआती दौर में है, जिसका कारण देश में मरीजों में जागरूकता की कमी व ऐसी सर्जरी करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त डाक्टरों की कमी है।

कंधे को रिवर्स करने के लिए एक बॉल व सॉकेट ज्वाइंट का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन बॉल को शॉल्डर ब्लेड में लगाया जाता है और कप को बाजू की हड्डी के ऊपर लगाया जाता है। यह हमारी सामान्य शारीरिक रचना पर आधारित रिवर्स है और इसी कारण इसे यह नाम दिया गया है।

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