दलाईलामा को आज के दिन भारत ने अपनी गोद में दी थी पनाह

Loading

दलाईलामा को आज के दिन भारत ने अपनी गोद में दी थी पनाह 

CHANDIGARH ; 17 MARCH ; RK SHRMA VIKRAMA/KARAN SHRMA ;–  भारत में अतिथि और शरणागत को जो आदर संरक्षण आज भी देने की आदि परम्परा है वह भारतीयता की सार्वभौमिक सहिष्णुता का प्रचुर उदाहरण नहीं तो फिर क्या है ! 17 मार्च 1959 में  तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा को  आज ही के दिन  अपने मुट्ठी भर भरोसेमंद साथियों के साथ भारत ने गोद में बिठाया था और चीन के कहर और खौफ से सम्पूर्ण संरक्षण दिया था ! 1959 में  तिब्बत में चीन के खिलाफ  विद्रोह भड़का तो उसको दबाने के लिए चीन आर्मी  ने अपना कहर जुल्म बरपाने  शुरू किये थे ! . चीन की इस बर्बरता से  ल्हासा में भी भय व् अशांति का वातावरण बना हुआ था !
  सच बात तो ये है कि उक्त हमले से पहले भी चीन ने  कई मर्तबा  तिब्बत को कब्जाने  की निंदनीय कोशिशें अंजाम दी थीं !. ये बदस्तूर जारी रहते हुए  अक्टूबर 1950 को तिब्बत में चीनी सेना दलाई लामा के निवास तक कामयाबी से पहुंची !चीन की गुंडागर्दी से परेशान हताश और निराश होते हुए तिब्बत के धर्म गुरु ने तिब्बत रातोरात छोड़ा था ! कहा जाता है कि दलाईलामा अपने साथ कुछ खच्चरों पर कीमती जेवरात धन दौलत भी लेकर ही भारत की सिमा प्रवेश करते हुए  पूर्वी भारत के बाद हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में पनाह ली थी ! तब से आज तलक वहीँ भयमुक्त जीवनयापन कर रहे हैं !  माना जाता है कि दलाई लामा को चीन से अपनी जान का ख़तरा था. इसी डर और तिब्बत की आजादी की उम्मीदें लेकर अपने हजारों समर्थकों के साथ दलाई लामा 17 मार्च 1959 को तिब्बत छोड़ भारत आये थे ! 
 इतिहास की कानाफूसी के मुताबिक  दलाई लामा को तिब्बत से भारत देश की सीमा के भीतर सकुशल पहुंचाने में अमेरिका की दुनिया में सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी सीआईए [C. I. A. ]  ने ही पूरी हिमायत  की थी.! 30 मार्च को यात्रा खत्म करने के बाद दलाई लामा व उनके हजारों भरोसेमंद साथी असम के तेज़पुर में प्रविष्ट हुए और फिर  इसके बाद भारत में रहते हुए ही  उन्होंने देवभूमि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र धर्मशाला में बौद्ध मठ की स्थापना की और इसको हीफिर अपना मुख्यालय बनाया ! यहीं से  तिब्बती खलकत  की कवायदें अंजाम दी जाती हैं ! फोटोज ;  साभार फेबु !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

158489

+

Visitors